किन्नर नहीं दीदी
हूँ।
पो... सरपट रेल चली
छुक-छुक पो...
चटाक पटाक ताली बजाती
दीदी आई|
अरे वो जीजा शाली को ध्यान
दो,
चुलबुला लड़का बोला किन्नर तो
लगती नहीं हो|
अरे बेटा किन्नर को छोड़ बुआ
हूँ तेरी,
सामने बैठे युवक का नोच गाल क्या सोच रहा हैं?
दे-दे दस पाँच रुपया तेरा भला
होगा, सफर सुहाना होगा|
घर जाते ही बी॰बी बच्चों का
प्यार मिलेगा |
खड़े बुड्डे ने कहा थोड़ शर्म
खाओ,
खड़ा रह बुड्डे तेरा दिमाग सठिया
गया हैं,
हम किन्नर नहीं दीदियाँ हैं|
दीदियो को देखसुन सब शर्मा
गए,
उनकी हरकते किन्नरो से कम ना
थी|
सिर्फ फर्क इतना किन्नरो की
आवाज ना थी|
हर मुसाफिर से रिस्ता बनाती
कहती हम दीदी हैं|
रख बेशर्मी मे पैर,बन दीदियाँ
कमाने खाने लगी|
अगर कोई कुछ कहता उन्हे वह
चुप कराती,
कहती हम किन्नर नहीं दीदियाँ|