अभी हाल ही में 31 दिसम्बर २०१७ को चांदपुर नगरपालिका परिषद की चेयरपर्सन श्रीमती फहमिदा के सुपुत्र और विधानसभा के पूर्व सपा प्रत्याशी मुहम्मद अरशद से एक मुलाकात हुई थी. करीब एक-डेढ़ घंटा चली मुलाकात में उनसे कई मुद्दों पर खुलकर बातचीत हुई थी. जिसमें निम्न मुद्दों पर मैंने विशेष जोर दिया था. १- नगर में एक वैध स्लाटर हाउस बनवाया जाये 2- गंदे पानी की निकासी की उचित व्यवस्था हो 3- डम्पिंग ग्राउंड (वो स्थान जहाँ शहर का कूड़ा-करकट इकट्ठा करके डाला जाये) की उचित व्यवस्था हो 4- नगर में सफाई और प्रकाश की पूर्ण व्यवस्था हो ५- आवारा कुत्तों और बंदरों से निजात दिलवाई जाये ६- एक सार्वजानिक पुस्तकालय की व्यवस्था की जाये स्लाटर हाउस की व्यवस्था पर उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया, किन्तु गंदे पानी की निकासी पर विशेष ध्यान देते हुए उन्होंने कहा कि दिल्ली की कुछ कम्पनियों से बातचीत चल रही है और जल्दी ही उनसे निरीक्षण करवाकर कोई उचित निर्णय लिया जायेगा. उन्होंने बताया कि जहाँ तक डम्पिंग ग्राउंड का सवाल है तो उसके लिए शहर से बाहर कोई उचित स्थान की व्यवस्था की जा रही है. इसके लिए उन्होंने मेरे ही सामने किसी सज्जन से फोन पर बातचीत की और जल्दी ही एक सस्ती किन्तु अच्छी जमीन खरीदने का आग्रह किया. नगर में सफाई के लिए उन्होंने कहा था कि जल्दी ही सफाई कर्मचारियों की एक मीटिंग कराकर उन्हें उचित दिशा-निर्देश दे दिए जायेंगे. सार्वजनिक पुस्तकालय के सवाल पर उन्होंने कहा था कि हम लोग पहले से ही इस सुझाव पर विचार कर रहे हैं और नगरपालिका में ही इसकी व्यवस्था की जाएगी. उन्होंने कहा था कि हम लोग नगरपालिका केम्पस में ही किसी उपर्युक्त स्थान की तलाश में हैं. आवारा कुत्तों से सम्बन्धित सवाल पर भी उन्होंने जल्दी ही कोई कार्यवाही करने की बात की थी. इस वार्तालाप को हुए लगभग १५ दिन बीत चुके हैं किन्तु लगता है कि केवल सफाई व्यवस्था को छोड़कर किसी अन्य समस्या पर कोई विशेष ध्यान नहीं दिया जा रहा है. शहर में सफाई व्यवस्था तो फ़िलहाल ठीकठाक चल रही है किन्तु सवाल ये है कि जो सबसे महत्वपूर्ण समस्याएं हैं जिनमें स्लाटर हाउस, गंदे पानी की निकासी की समस्या प्रमुख है, उनपर क्या प्रगति है? स्लाटर हाउस न होने से पशुओं का अवैध कटान होता है साथ ही कुरैशी भाइयों को भी समस्या आती है. गंदे पानी की निकासी न हो पाने की वजह से बरसात में बहुत समस्या आ जाती है, मोहल्ला पतियापाडा और बाजार बजरिया की तो बहुत बुरी हालत हो जाती है. शहर के कई स्थान तो ऐसे हैं जहाँ नालियों का गंदा पानी बरसात के बिना भी सडकों पर बहता रहता है. सार्वजनिक पुस्तकालय की भी बेहद आवश्यकता है, पिछले काफी सालों से शहर की प्रबुध् जनता द्वारा इसकी मांग की जाती रही है, किन्तु किसी के कान पर जूं तक नहीं रेंगी. नगर में सार्वजनिक पुस्तकालय होने से न केवल गरीब जनता को देश-प्रदेश के हालातों को जानने की सुविधा मिलेगी बल्कि युवाओं में भी अच्छा साहित्य पढ़ने की प्रवृत्ति बढ़ेगी. बुजुर्गों को भी एक स्थान पर बैठकर सभी समाचार -पत्र पढ़ने को मिल जायेंगे. दूसरी ओर आवारा कुत्तों और बंदरों की भी बहुत विकट समस्या है. रात में आवारा कुत्ते सडकों पर भौंकते रहते हैं और लोगों की नींद हराम कर देते हैं. इसके अतिरिक्त कई बार इन कुत्तों ने राहगीरों पर भी हमला बोला है. कई बार ये कुत्ते पागल हो जाते हैं और किसी को भी काट लेते हैं, बच्चों का अकेले सड़क पर चलना तो लगभग दूभर हो गया है. उधर बंदरों की पूरी फ़ौज शहर में मौजूद है, वो कब किस पर हमला कर दे ये कहना मुश्किल है. लोगों को अपने कपड़ों, जुते-चप्पलों की चौकसी करनी पडती है, सड़क पर चलते राहगीरों से सब्जी-फल इत्यादि का थैला छीनकर भागना तो बंदरों के लिए मानों एक आम बात है. कई बार इन बंदरों के हमले के चलते लोगों को अपनी जान तक गंवानी पड़ी है. जो कुत्ते मांस खाने के आदी हो चुके थे उनकी हालत और भी बुरी है. बच्चों में इनके प्रति प्रेम के स्थान पर घृणा ने जन्म ले लिया है, जिसका एक उदाहरण तब देखने को मिला जब एक जिम्मेदार नागरिक ने बताया कि कुछ बच्चों ने मिलकर कई पिल्लों को जिन्दा आग में जला दिया और कुछ पिल्लों को नाली में डुबोकर मार डाला. इस कड़ाके की ठंड में तो इन आवारा पशुओं की और भी बुरी हालत हो गई है, ठंड से बचने के लिए इन्हें कोई उपर्युक्त स्थान नहीं मिल पाता और इसके चलते उनकी मौत हो जाती है, इनका मृत शरीर सड़ता रहता है जिसके चलते शहर में महामारी भी फ़ैल सकती है. इसलिए जनहित को ध्यान में रखते हुए चेयरपर्सन महोदया को चाहिए कि इन आवारा कुत्तों और बंदरों की कोई उचित व्यवस्था करायें. मुझे आशा ही नहीं वरन पूर्ण विश्वास है कि शहर की आम जनता ने जिन आशाओं और अपेक्षाओं को ध्यान में रखते हुए आपको अपना प्रतिनिधि चुना है, उनपर खरा उतरने का आप यथासम्भव प्रयास करेंगे. चेयरपर्सन महोदया और उनके प्रतिनिधि इस ओर अवश्य ध्यान देंगे. -मनोज चतुर्वेदी “शास्त्री” सह-सम्पादक – दैनिक उगता भारत शास्त्री संदेश नोट- “ये मेरे स्वयं के विचार हैं, आपका इनसे सहमत होना या न होना आवश्यक नहीं.” My Website :- www.sattadhari.com