लाल गुलाब कब्र में सोयी अनजान लड़की के नाम
डॉ शोभा भारद्वाज
“यह प्यार था या खुदगर्जी जिसमें माँ बाबा का प्यार गौण हो गया |हर वैलेंटाइन डे पर मुझे कब्र में सोयी अजनबी लड़की याद आती है” ईरान के खुर्दिस्तान की राजधानी सनंदाज की सच्ची दास्तान
कई वर्ष ईरान मे रही वहाँ की महिलाओं से इतना घुल मिल गयी कि उन्हीं का हिस्सा बन गयी मेरी कई सहेलियाँ आफिस में काम करती थीं | उनसे मेरा एक ही प्रश्न होता था आपके यहाँ बहु बिवाह प्रथा है तलाक भी बहुत आसानी से हो जाता है मेरा मानना है लड़ंकी बहुत अरमानो से शादी करती है प्यार से घर बसाना चाहती है वह अपने पति को बहुत प्यार करती है | तलाक से एक घाव उसके दिल पर लग जाता है |मेरी ईरानी सहेलियां हंस कर कहती थीं कैसी मोहब्बत हम इस लफड़े में नही पड़ती , क्योकि शौहर अपनी पसंद से जब चाहे दूसरी बीबी ला सकता है , बीबी को बड़ी आसानी से तलाक दिया जा सकता है काजी शौहर के तीन बार तलाक कहने के बाद कहता है खानम आप आजाद हो गयी और मियाँ बीबी का रिश्ता खत्म |मुझे विश्वास नहीं हुआ ,मेरी समझ नहीं आता था ऐसा क्यूँ हैं | तलाक हो सकता है अलगाव भी हो सकता हैं लेकिन प्रेमी ,या शौहर को भूलना क्या आसान है|
उन्होंने एक दिन मुझे एक मुहब्बत की दास्तान सुनायी | हमारे साथ हमारी एक सहेली काम करती थीं नाम नसरीन था ,वह बेहद खूबसूरत थी | दूध में यदि केसर मिला दो ऐसा उसका रंग था, लम्बी, स्याह चश्म (काली आँखे ) आवाज शीरीन (शहद जैसी मीठी ) ईरान की प्रसिद्ध गायिका गौगुश के तराने बड़ी खूबसूरती से गाती थी ,लम्बे काले बाल, उन्होंने मेरे सामने उसकी फोटो रख दी,ऐसी सुंदरता मैने कभी नहीं देखी थीं | ईरानी सुंदरता दुनिया मे मशहूर है पर यह अजब गजब थी | वह तेहरान में पढ़ती थी | उसके साथ एक खुर्द लड़का पढ़ता था ‘तोफीक’ लम्बा ऊँचा मीठा बोलने वाला परन्तु पढ़ने में उसकी बिलकुल रुचि नही थी | दोनों विवाह करना चाहते थे | नसरीन के माँ बाबा को वह पसंद नही था | वह कहते थे, यह हमसे आँख मिला कर बात नहीं करता, हर बात में हाँ –हाँ करता है जो कहो कबूल करता है , फिर भी हमारा मन नहीं मानता लेकिन बेटी के हठ के आगे वह मजबूर थे, उन्होंने विवाह से पूर्व लड़की से कसम ली यदि जिन्दगी में उसे जरा भी कोई तकलीफ महसूस हो वह अपने घर लौट आये | यह उनकी इकलोती सन्तान थी यूं कहिये बुढ़ापे का सहारा |
तोफीक को नौकरी करना पसंद नहीं था उसके बाबा का कालीन का चलता व्यवसाय था उसने घर की चलती दुकान संभाल ली | नसरीन नौकरी करने लगी | विवाह के बाद उसकी दुनिया उसका पति और घर था वह अपनी तनखा का एक –एक पैसा तौफीक के हाथ में रख देती थी | तौफीक को क्या पसंद है, वह क्या खायेगा, क्या पहनेगा, उसे घर की सजावट अच्छी लगी या नहीं | नसरीन को अपना होश ही नहीं था | तौफिक अपने हर दोस्त को अपने घर बुलाता ,मेरे घर आईये मेरी खानम से मिलिए मेरा घर देखिये, ईरान में सजा घर और अपूर्व सुन्दरी बीवी बड़े गर्व की बात है | परन्तु क्या तौफिक नसरीन के प्रति वफादार था ? उसकी दुकान पर लड़कियाँ खरीददारी करने आती वह उनके प्रति आकर्षित हो जाता था | कई लड़कियो को वह विवाह के लिए पैगाम भी भेज चुका था | नसरीन को जब भी उसकी सहेलियो ने शिकायत की उसने विश्वास ही नहीं किया उलटा हंसने लगती | वह अपनी दुनिया मे मगन थीं | उसकी दुनिया जिसमें मोहब्बत ही मोहब्बत थी | हम उसे अक्सर समझाती ,इस बात के सदा याद रक्खो एक दिन तौफिक दूसरी खानम ला कर कहेगा ,नसरीन इससे मिलो यह मेरी दूसरी खानम है | विरोध करने पर वह तुम्हें तलाक भी दे सकता है और काजी साहब , तुम्हे कहेंगे खानम तुम आजाद हो गयी | मजाक में कही गई बात ईरान के मर्दों की दुनिया में कभी भी सम्भव हो जाती है |
अचानक नसरीन उदास रहने लगी हंसने के बाद उसके गाल पर उठने वाले डिम्पल गायब हो गये | बहुत पूछा उसने कुछ नहीं बताया एक दिन वह ऑफिस नहीं आई परन्तु खबर आई ,नसरीन अस्पताल के बर्न विभाग में बुरी तरह जली अवस्था में लाई गई थी | हम सब अस्पताल भागे, नसरीन जहाँ भर्ती थी कमरे के बाहर तौफीक खड़ा अपना माथा पीट रहा था, बाल नोच रहा था पूरी तरह बेहाल था | हमे लगा अस्पताल से दो जनाजे उठेंगे | उसने रो-रो कर बताया नसरीन ने घर के बाहर वाले गुसलखाने में मिट्टी का तेल अपने पर डाल कर आग लगा ली | उसने दरवाजा तोड़ कर जलती नसरीन को बाहर निकाला सब उसे अस्पताल लाये | देखने वालो ने बताया नसरीन तौफिक का हाथ पकड़ कर बार –बार एक ही बात कह रही थी मन शुमा रा दूस्त दारम (मै तुमसे मोहब्बत करती हूँ ) जब तक वह बेहोश नहीं कर दी गई यही कहती रही | मैं चुपचाप सुन रही थी जलना जला दिया जाना हमारे देश में अकसर होता है | उन्होंने अपनी बात पर जोर देकर कहा हमारे यहाँ खुद अपने को जलाना अकेली घटना है पिदर सुकते तेरा बाप जले ,अर्थात काफिर जलते हैं (कब्र नसीब न हो) गाली है |
कुछ देर सब चुप रही फिर बताया पूरे बदन पर फफोले थे | उसने तड़फ –तड़फ कर दो दिन बाद आँख मूँद ली | बर्फ का मौसम था बड़ी मुश्किल से कब्र खुदी ठंडी कब्र में लगा नसरीन के जले शरीर और जलती रूह को शन्ति मिली होगी तौफिक का हाल तो पूछिये मत वह तो कब्र में साथ लेटने को आमादा था | हमारे दिल से आहें निकल रहीं थी तौफिक नसरीन का सच्चा आधिक था हम उसको समझ नहीं सकीं परन्तु नसरीन ने खुद को मारने के लिए आग क्यों लगाई हम सोच कर परेशान थीं ?
लम्बी साँस ले कर उन्होने बताया मौत को कुछ ही दिन बीते थे ,मैने पूछा कितने दिन? उन्होंने कहा यह मत पूछिये अभी मातम खत्म नही हुआ था उड़ती खबर आई तौफिक् शादी कर रहा है हमें लगा अफ्फाह है हम सब उसके घर गये ,घर के बाहर गाड़ियाँ हॉर्न बजा रहीं थी यह खुशी का सिम्बल है तौफिक शादी कर बीबी लाया था | कहीं मौत का निशान नहीं था केवल बाहर वाले हमाम घर पर जलने के निशान थे | आज के दिन यह प्रसंग देना ठीक नहीं है | यह किस्सा मैने जहाँ सुना था वहाँ तलाक़, उसके बाद फिर से नई जिन्दगी शुरू करना बहुत आसान था | वह लड़की पढ़ी लिखी थी अपने माँ बाबा का अकेला सहारा तथा उनकी जिन्दगी थी | आज कब्र में तन्हा लेती आखिरत का इंतजार कर रही है|
मेरा मन नहीं माना मैं उसके माँ और बाबा से मिलने उस अनजानी लडकी के घर गई जिसे मैने कभी देखा नहीं था|घर के आगे बाग़ था उसमें फलों के कई पेड़ लगे थे लेकिन फल पेड़ पर ही सूख गये थे उन्हें कभी तोडा नहीं गया था| घंटी बजाने पर आवाज आई कौन? मैं उनके लिए अनजान खरिजी (विदेशी ) थी ,घर के मालिक ने दरवाजा खोला वह चकित नजरों से मुझे देखने लगे मेरे सलाम का उन्होंने बेहद शालीनता से उत्तर दिया, अपनी पत्नी को बुलाया और अपने मेहमान खाने में बिठाया| मेरी आँखे फटी रह गई |पति पत्नी का बेहद खूबसूरत खुर्द जोड़ा खानम ने चादर ओढ़ी थी उनके चेहरे गमगीन थे उनकी इतनी उम्र नहीं थी जितने वह बूढ़े लग रहे थे | मैने खड़े हो कर अपना परिचय दिया मैने आपकी बेटी के विषय में सुना था हालाकि इस घटना को काफी समय हो गये फिर भी मैं आपसे मिलना चाहती थी आपका गम बांटना चाहती थी| दोनों ने मेरा एक एक हाथ पकड़ लिया उनकी आखों से आंसू झर रहे थे उनका गम फिर से हरा हो गया | वह मुझे अपने घर के बाग़ में ले गये वहाँ एक अंजीर का पेड़ था उन्होंने कहा यह हमारी बेटी ने लगाया था खूब फल आते थे परन्तु जैसे ही बेटी दुनिया से गई हर अंजीर में कीड़े निकलते हैं | मैं एक घंटा उनके पास रही वह मुझे नसरीन के कमरे में ले गये वहाँ बेटी की हर याद बड़े सलीके से सजाई गई थी |