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लघुकथा- स्नेह का झूला

5 नवम्बर 2015

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अँधा

12 सितम्बर 2015
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लघुकथा- बैल

23 अक्टूबर 2015
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लघुकथा- बैल हरिया के माथे पर चिंता की लकीरें उभर आई. साहूकार कर्जे में अनाज के साथ बैल भी ले गया. कमल के स्कूल की फीस जमा करना थी और बेटी की शादी भी. इन सब के लिए जरुरी था कि आगामी फसल अच्छी हो. अभी खेत जुताई बाकी थी. इस के लिए बैल चाहिए थे, “ साहूकार बैल देने को तैयार है धनिया. मगर उस की एक शर्त है

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लघुकथा- बुनियाद

5 नवम्बर 2015
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लघुकथा- स्नेह का झूला

5 नवम्बर 2015
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लघुकथा - उस का दर्द

5 नवम्बर 2015
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लघुकथा- बात बनी की नहीं , भाषा

9 दिसम्बर 2015
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लघुकथा – बात बनी की नहीं रघुवीर के चेहरे पर चिंता साफ झलक रही थी, “ बात बनी की नहीं ?”“ अम्माजी ! भैयाजी गए है. मामला टेढ़ा है. पहले उस लावारिस को पटानाफिर डॉक्टर को राजी करना, उस के बाद उस का ओपरेशन होगा. तब जा कर यह मामला फिटहोगा. इस बीच किसी को मालूम भी न हो. यह जरुरी है. अन्यथा अस्पताल वाले और हम

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लघुकथा-सांझे सपने

29 मई 2016
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लघुकथा- साँझे सपने पिछली बार प्याज को रोड़ी में फेकना पड़ा. मगर, इसबार भाव अच्छे थे, “ बाबा ! इस बार तो मुझे नया मोबाइल दिला दोगे ना ?” कालेज मेंपढने का सपना देखने वाले छोटे लड़के ने पूछा तो उस की माँ बोली, “ पहले छुटकी काब्याह करना है. उस के लिए गहनेकपडे लेने होंगे.”“ नहीं माँ ! पहले आप का कमरबंद और स

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