यहाँ महिलाओ के वो कानून बताए गए है जो महिलाओ के लिए लाभदायक है । ये कानून महिलाओ को अवश्य पढ़ने चाहिए।
-- योगेन्द्र सिंह
हमारे भारत देश में महिलाओं को समानता का अधिकार व महिला सुरक्षा अधिनियम दिया गया है।महिलाएं इस अधिकार का प्रयोग करके अपने देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी सफलता के झंडे गाड़ रही है। सरकार महिलाओं की लिए महिला विकास व महिला सुरक्षा के उपाय निरन्तर करती रहती है। महिलाओं के अधिकार होने के बावजूद हमारे देश में महिलाएं आज भी पुराने रीति रिवाजों से जीवन जी रही है। महिलाओं के संवैधानिक अधिकार होने के बावजूद हमारे यहां महिलाओं का आर्थिक शोषण व शारीरिक शोषण भी कम नहीं होता है।हमारे संविधान में महिलाओं के लिए कानून भी बनाए गए हैं लेकिन यह कानून सही तरीके से लागू नहीं हो रहे हैं भारत देश में महिलाओं के साथ घरेलू हिंसा, शारीरिक प्रताड़ना, महिलाओं के साथ मार-पीठ करना मैं शादी करना आदि कई ऐसे अपराध है, जिन्हें पुरुष करते हैं और महिलाएं इन अपराधों को चुपचाप सहती है।
हम आपको ऐसे ही कुछ अपराधों के बारे में बता रहे हैं जिनके लिए कानूनी सजा का प्रावधान किया है, लेकिन जानकारी न होने की वजह से महिलाये इन कानूनों का प्रयोग नहीं कर पाती है।
पहली पत्नी के जीवित रहते दूसरा विवाह करना -- यह अपराध धारा - 494 के अंतर्गत आता है। इसमें पुरुष को 7 साल की सजा का प्रावधान है।
पति या रिश्तेदारों द्वारा क्रूरता -- यह अपराध धारा 498-A में शामिल है। इसमें 3 साल की सजा हो सकती है।
महिलाओं की बेइज्जती करना व झूठे आरोप लगाना -- धारा 499 के अंतर्गत आता है। इसमें 2 साल की सजा हो सकती है।
दहेज -- दहेज लेना और देना दोनों ही जुर्म हैं। यह जुर्म धारा 304 (क) में जोड़ा गया है। इसमें आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान है।
दहेज़ मृत्यु --
धारा-304 (ख) में दहेज मृत्यु को रखा गया है। इसमें अपराध करने वाले को भी आजीवन कारावास की सजा दी जाती है।
आत्महत्या के लिए दबाव बनाना -- यह अपराध धारा 306 के अंदर आता है। आत्महत्या के लिए दबाब डालने वाले को 10 वर्ष की सजा हो सकती है।
यौन अत्याचार -- यौन अत्याचार के लिए सशक्त कानून होने के बावजूद यह अपराध कम होने के बजाये निरंतर बढ़ रहा हैं। यह अपराध धारा 376 में आता है। इसमें 10 साल या उम्र कैद की सजा है।
महिला की सहमति के बगैर गर्भपात कराना -- यह धारा 313 के अंतर्गत है। इसमें 10 वर्ष की कैद या आजीवन कारावास या जुर्माना कुछ भी हो सकता है।
तो ये थे महिलाओं के संवैधानिक अधिकारों के बावजूद होने वाले अत्याचार और उनकी सजा। महिला सुरक्षा अधिनियम के तहत अगर महिलाएं चाहे तो इन अत्याचारों से मुक्त हो सकती है लेकिन इसके लिए महिलाओं व लड़कियों को आगे आना होगा और आगे आने के लिए इनको पुलिस थाने में शिकायत करनी होगी। तभी महिलाएं वह लड़कियां इन अपराधों से मुक्त हो सकती है। देश के विकास के लिए महिलाओं को यह काम करना ही होगा। ताकि हमारे देश में महिलाओं की सुरक्षा हो। जिससे हमारा भारत एक समृद्ध देश बने।