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मैंने कितना ढूंढा उस को

6 सितम्बर 2022

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writtenbytrishikasrivastavadhara मैंने कितना ढूंढा उस को ब्रज, मथुरा, वृन्दावन में।

अपने भीतर झाँख के देखा, श्याम था मेरे अंतर्मन में।

साँझ को जमुना तट पर, वो मुरली मधुर बजाता था।

मैं दौड़ी चली जाती थी, वो जब भी मुझे बुलाता था।

निस-दिन मेरी आँखों से, अश्रु की धारा बहती है।

मेरा श्याम ज़रूर आएगा, हर बूँद बस यही कहती है।

हर जनम में अपने श्याम से, मैं तो प्रीत लगाउंगी।

उस के प्रेम की छाया में, सौ-सौ सदी बिताऊंगी।

— त्रिशिका श्रीवास्तव ‘धरा’

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धरा के गिरिधर
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कृष्ण प्रेम व कृष्ण भक्ति पर आधारित त्रिशिका श्रीवास्तव 'धरा' द्वारा रचित 'धरा के गिरिधर'

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