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मन पंख पसारे उड़ता है

12 अप्रैल 2022

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मन पंख पसारे उड़ता है 
ख्वाबों के बादल बुनता है, 
है डगर नहीं आसान कोई 
पर मन को अब ये फिक्र नहीं 
धरती से नाता तोड़-मोड़ 
बस आसमान को सुनता है 

मन पंख पसारे उड़ता है
ख्वाबों के बादल बुनता है

चाहे राहों में काँटों हो जितने
चाहे बैरी बन चट्टान मिले
अब कदम नहीं पीछे लेगें
चाहे कोई सिंघों से बलवान मिले

चाहे विरुद्ध लहरों के चलना हो
अब धैर्य नहीं खो सकता है 
मन पंख पसारे उड़ता है 
ख्वाबों के बादल बुनता है

अंधियारों की अब डर कैसा
 जब नजर चाँदनी पे रहती हो 
मीलों की अब फिक्र हो कैसी
जब मंजिल आँखों में बसती हो 

आलोचनाओं से डरूं में अब क्यों
जब संघर्षों से इसका नाता है

मन पंख पसारे उड़ता है
ख्वाबों के बादल बुनता है।

    ✍️ प्रियंका विश्वकर्मा




ख्वाबों के बादल बुनता है।
कविता रावत

कविता रावत

बहुत सुंदर प्रस्तुति

15 अप्रैल 2022

Priyanka Vishwakarma

Priyanka Vishwakarma

15 अप्रैल 2022

बहुत धन्यवाद् मैम 🙏😊

काव्या सोनी

काव्या सोनी

Bahut hi badhiya likha आपने

14 अप्रैल 2022

Priyanka Vishwakarma

Priyanka Vishwakarma

14 अप्रैल 2022

जी बहुत बहुत धन्यवाद मैम 🙏🙏😊

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रचनाएँ
💞कोरे पन्ने💞
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नमस्कार दोस्तो 🙏🙏 यह मेरे द्वारा लिखा गया एक काव्य संग्रह है,अगर आप भी हिंदी साहित्य में रुचिकर हैं तो आशा करती हूं की आपको यह पुस्तक और इसके सभी लेख आपके मन को अवश्य छू जायेंगे 🙏🙏💞💞💞😊😊😊
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