shabd-logo

मनोज अर्णव के छंद

13 सितम्बर 2021

28 बार देखा गया 28

घनाक्षरी

राजनीति युद्ध नीति भेदनीति में प्रवीण

ध्रुव के समान धीरवान होना चाहिए

भारती के भारत का रथ हाँकने के हेतु

कृष्ण सम सुधी कोचवान होना चाहिए

जिसके हिये में बसा राम अभिराम रहे

ऐसा मतिमान हनुमान होना चाहिए

स्वर्ण लंका ऐसी ढह जाँयें बार बार किन्तु

जामवान जैसा रायवान होना चाहिए

बेटे नहीं कुल मान बेटियाँ बढ़ाने लगीं

अरमान वरदान आन हुईं बेटियाँ ।

अनजान मेहमान मान खान पान दिया

किन्तु अब आन बान शान हुईं बेटियाँ ।।

पैदा कहीं और किन्तु रोपण किसी के खेत

लगता है फसलों में धान हुईं बेटियाँ

आशा लता बनीं हुईं स्वर कोकिला का गान

शाहिनी सुनीता सी उड़ान हुईं बेटियाँ ।।

वसुधा पै ऐसा कोई काज ही बना नहीं कि,

जिसे मनुपुत्र पूर्ण कर सकता नहीं ।

कितने ही संकट पै संकट अपार आयें,

"शुक्ल" पग पीछे कभी धर सकता नहीं ।।

त्रिकुटी में जिसके निवास शिवशंकर का,

ऐसा तो परशुराम डर सकता नहीं ।

पक्का जो इरादा कर लिया मन वाणी से तो,

सीता बिना राम लौट घर सकता नहीं ।

ऊषा है किरन बेदी,कल्पना सी नभ भेदी

देश के लिये तो उपहार हुई बिटिया ।

साक्षी पीवी संधू दीपा साइना हुई है आज

मैडलों का स्वप्न हर बार हुई बिटिया ।।

कभी लता आशा नीती श्रेया सी अवाज बनी

रानी झाँसी बनी तलवार हुई बिटिया ।।

मारते नहीं जो कोख, काश वो जनम लेती

जानते कि कुल का उद्धार हुई बिटिया ।।

     *डा० मनोज शुक्ल अर्णव*

मनोज शुक्ल अर्णव की अन्य किताबें

13 सितम्बर 2021

Shailesh singh

Shailesh singh

बहुत ही अच्छी रचना |

13 सितम्बर 2021

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए