मानवता ही नैतिकता का आधार है । सभी नैतिक मूल्य सत्य अहिंसा प्रेम सेवा शांति करुणा इत्यादि गुणों का मूल “मानवता” ही है ।
‘मानवता’ ही नैतिकता का आधार है, जैसे कोई निर्धन, असहाय, बीमार व्यक्ति भूखा है; वहां दया से पूरित होकर कोई सेवा करता है, भूखे को भोजन कराता है; तो वहाँ दया और सेवा करने वाले व्यक्ति का कार्य ‘मानवता’ कहलायेगा । मनुष्य का पृथ्वी पर विद्यमान सभी सजीवों के प्रति निस्वार्थ सेवाभाव ही ‘मानवता’ है ।
विश्व के सभी महापुरुषो ने ‘मानवता’ का पाठ पढ़ाया है कि, हर व्यक्ति को सामाजिक होना चाहिए और से यथासम्भव मानवतापूर्ण कार्य करते रहना चाहिए ।
“मानवता ही सच्ची सेवा”
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