जीवन प्रभंदन Pt विजयशंकर जी मेहता -भक्ति योग मैडिटेशन (हनुमान चालीसा के साथ)
International Yoga Inaugration,Life Management & Bhakti Yog talk by Shri Pandit Vijay Shankar Mehta
नियंत्रित मन तो फिर भी शहद का छत्ता है लेकिन, अनियंत्रित मन ध्वस्त छत्ते से उड़ती मधुमक्खी की तरह होता है। छत्ते पर पत्थर मारा जाए तो फिर मीठा शहद देने वाली ये मक्खियां कितनी घातक हो सकती हैं, इसे कई लोगों ने भुगता होगा। बस, मन भी ऐसा ही है। शांत है, सही जगह लगा है तो शहद दे देगा वरना घाव देने में नहीं चूकेगा। बड़ी तेजी से भागता और भगाता है मन। इतना दौड़ाता है कि आप थक जाएंगे और उस थकान का नाम है डिप्रेशन।
मन के कारण लोगों ने फुर्सत और व्यस्तता दोनों का जमकर दुरुपयोग किया है। यदि मन नियंत्रित है तो शरीर से जो भी परिश्रम करेंगे वह कृत्य नहीं, निष्ठा होगी। इसलिए मन पर काम करने के लिए थोड़ा योग कीजिए। तब आपको यह अंतर समझ में आएगा कि जो काम आप करते हैं वही मेहनत है। अपने काम को तीन हिस्सों में बांट सकते हैं। एक कर्म, दूसरा अतिरिक्त कर्म और तीसरी मेहनत। जितना मन पर काम करेंगे, आपको पता लग जाएगा कि कर्म व मेहनत का फर्क ही खत्म हो गया और आपकी थकान जाने लगेगी। लेकिन ऐसा तब कर सकेंगे जब यह उड़ता हुआ, भागता हुआ मन नियंत्रण में होगा।
वरना देखिए भारत के गांवों में लोगों को फुर्सत थी लेकिन, वो भी जीवन नहीं बना पाए। शहरों में लोग व्यस्त रहे, वो भी परेशान हुए, क्योंकि सारा मामला मन का है। यदि आप फुर्सत में हैं तो समय का दुरुपयोग मत कीजिए और व्यस्त हैं तो समय को नोच मत लीजिए। थोड़ा मन पर काम कीजिए, फिर देखिए आपकी फुर्सत भी निराली होगी और व्यस्तता में भी खुशहाली का अहसास होगा।
Very Powerful Talk