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मीरा मंजरी की डायरी

मीरा मंजरी

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mera manjari ki dir

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पुस्तक के भाग

1

मेरा आगरा

22 अगस्त 2018
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नफरतें जब बोयेंगे तो नफरते लहरायेगीं ।जब मुहब्बत बोयेंगे नफरते मिट जायेंगी ।।

2

कविता

22 अगस्त 2018
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हो तिरंगा उन हाथों में जिनमें है मायूसी।भारत माँ की जय बोलें लब जिनमें है खामोशी।।वन्दे मांवतन वन्दे मां वतन।कुंठित मन ले खड़ी है जनतासबल आसरा खोज रही हैलोकतन्त्र की कोख से उपजेभ्रष्टतन्त्र को कोस रही हैआओ हम तरकीबें सोचेंकरके कुछ जतन।।।।। ।कहीं देश की सीमाओं परप्रहरी बन जान गंवाते लालकहीं देश के शु

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भोपाल यात्रा

22 अगस्त 2018
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: घर की चाहरदीवारी से अलग स्वान्तःसुखाय यात्रा पर रेल गाड़ी में बैठ कर ,खिड़की के सहारे खेत खलिहानों को दौड़ते, पीछे छूटने देखना और खुद को आगे बढ़ते देखने से रोमांचक यदि कुछ हो सकता है तो जिन्दगी में वह अनुभूति भी अवश्य करनी चाहिए मगर पेड़, पौधों, खम्भों,आकाश, चाँद, सूरज और नदियों को दौड़ते भागते दे

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