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मेरे हनुमान जी!!

14 नवम्बर 2021

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कर्म रूप को साध में रख कर,

कर्मभूमि में निहित मेरे हनुमान जी!


ऐश्वर्य छोड़ हरि भक्तन को भागे,

भक्तों में निहित मेरे हनुमान जी!


अहम मिथ्य छोड़ भक्ति में खोए,

भक्ति की शक्ति मेरे हनुमान जी!


कर्म,धर्म,सब उनके सिया राम जी

ऐसे महाबली हैं, मेरे हनुमान जी!!



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मारुत नन्दन
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मारुत नन्दन पवनसुत अपनी भक्ति में रहकर अन्य कर्म रूप को एक सौम्य रूप द्वारा पूर्ण करते हैं जो कर्म में भी भक्ति को एक रूप प्रदान करते हैं।।

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