ब्रह्माण्ड की अदभुत् काया,जिसमें संसार समाया,
सौभाग्य हमारा,हम पल इनकी छत्रछाया।
जन्म लेते ही,मऽऽऽ...माॅ..ऽऽ शब्द निकलता,
सब रिश्तों से बढ़कर बनता अटूट रिश्ता।
दुनियां हैं सतरंगी,पर मां तेरे रूप बहुरंगी।
हर काम में पारंगत कर, हर मोङ पर साथ दिया,
शिक्षिका बन,जमाने की बुराई से महफूज किया।
व्यंगवाणों से दिल आघात हुआ,
चिकित्सक बन,घावों पर प्यार का मलहम लगाया।
मेली अभद्रता कभी होती दुखित,
तो सिपाही के माफिक करती दंडित।
उदासमन के कोने मे प्रसन्नता भरे गुब्बारे भरने में,संदेशवाहक बन जाती,
तो कभी,संकट से ऊबारने में,यौद्धा बन प्रहरी बन जाती।
सलाहकार बन,जूझती शंकाओं से उबारती,
भावी कल्पनाओं के पंख लगाकर,सुन्दर-सुन्दर सपने सजाती।
रोने पर,कोकिला बन मीठी लोरी सुनाती,
सुलाते समय किस्सें,कहानी गढ़ती।
ऐसी थी 'हरफनमौला मां',तेरा-मेरा रिशाता था अलवेला।
अदभुत् गुणों की भण्डार,वह थी' साक्षात् स्वरूप भगवान',
धन्य हुई मैं!तुम्हें साष्टांक नमन्.....नमन्....!