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merikavitayen

Rahul Vinchurkar

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पुस्तक के भाग

1

जय महाकाल

23 मार्च 2021
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वह साकार है ,वह निराकार है वह सृष्टि का आधार है वह धरा है , वह व्योम है वही शिव है , वही सोम है। वह मृत्यु का सागर है वह जीवन की गागर है वह ज्ञान का समुद्र है वही काल है , वही रूद्र है।वह सुधा है , वह गरल है वह जटिल है , वह सरल है वह प्रचंड है , वह प्रबल है वही अटल है ,

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होली

27 मार्च 2021
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मोहल्ले में होलिका दहन का आयोजन हो रहा था मन में विचारो का सैलाब उमड़ रहा था कल करेंगे मज़े, एक दम दिल खोलरंगो के साथ होगा, मस्ती का माहौलनाचेंगे, नचाएंगे, रंगो में नहाएंगे जात-पात का भेद भूल, मिलकर धूम मचाएंगेएक रंग में रंगे चेहरों की क्या होगी पहचानन होगा कोई ईसाई, न सिख, न हिन्दू और न मुस्लमान स

3

बचपन

10 अप्रैल 2021
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स्कूल न जाने के लिए पेट का गड़बड़ हो जाना टीचरों की डाँट पर आँखों से टेसुओं का बह जाना पेंसिल को दोनों तरफ से छीलना, रबड़ को गोदना दोस्तों के साथ मौज मस्ती में स्कूल टाइम का बीतना वो २६ जनवरी का स्कूल में खाना और पद संचलन याद आता है मुझे मेरा वो बचपन विष-अमृत हो या हो छुप्पन-छुपाई सिथोलिया हो या

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मुर्दो की चौपाल

10 मई 2021
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एक बार यूहीं शमशान के पास से निकल रहा था गौर से देखा तो वहाँ मुर्दो का चौपाल चल रहा था जो कल तक एक दूसरे को काटने के लिए बने थे कसाईआज ऐसे बैठे थे जैसे हो भाई भाई उनकी चर्चा का विषय था ऑक्सीजन की कमी इस पर बात करते हुए सभी के आँखों में थी नमी जात पात रंग वर्ण किसी का न भेद थाबस सभी को मात्र ऑक्सीजन

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