Mraman Giri
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कलम मैं तो उठा के जाने कब का रख चुका होता , पर एक तुम हो जो क़िस्सा मुख़्तसर करने नहीं देते ~ वसीम बरेलवी ,कलम मैं तो उठा के जाने कब का रख चुका होता , पर एक तुम हो जो क़िस्सा मुख़्तसर करने नहीं देते ~ वसीम बरेलवी