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Mukesh soni की पुस्तकें

Mukesh soni के लेख

गजल

23 मार्च 2022
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सो सपने थे राह हजारोंपर हम पार हुवे ना यारोजाने कोन कमी थी हम मेंचित है हम खाने में चारोयाद नही है खुद की हमकोचाहे तुम जिस नाम पुकारोदाँव लगे है खुद हम खुद परचाहे जीतो चाहे हारोआज सितारे है गर्दिश में

गजल

3 मार्च 2022
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अब बुरे का क्या बुरा हो जाएँगानभ बदल कर क्या धरा हो जाएँगाआस के मोती पिरोना छोड़ देख्वाब है जो क्या तिरा हो जाएँगाजो महक पाया नही मिल कर कभीटूट कर वो क्या हरा हो जाएँगाजी जरा ले आज कल की क्या खबर

मुक्तक

27 फरवरी 2022
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परस्तिश का सलीका भी तो उसके बाद आया हैखुदा को हूबहू देखा था उसकी शक्ल सूरत मेंलगा कर के गले उसको में सारी उम्र महका हूँफ़रिश्ता जब उतर आया था इक माटी की मूरत मेंमुकेश सोनी सार्थक

गीत

26 फरवरी 2022
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कौन मुझमे झर रहा है पतझरो का नाम ले करचल पड़ी पुरनम हवाएँ फिर तनिक आराम ले करथाप देती है दिशाएँ गन्ध वाले जाम ले कररँग बसन्ती बह रहा हैकुछ कथाएं कह रहा हैमौन भी चुप की सकल हीअब व्यथाएँ कह रहा हैआ

गजल

25 फरवरी 2022
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गम गर अपने बतलाएँगेअपने हिस्से क्या पाएँगेहै हाला तो राम भरोसेहम साँसों से मर जाएँगेअपने घर मे बिखरे है जोकैसे किसके घर जाएँगेदोनों हाथों जिम्मेदारीकैसे कुंडी खटकाएँगेउलटे उलटे पग पड़ते हैहै मुश्किल तो

मुक्तक

24 फरवरी 2022
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ईश्क तो सच्चा सदा से है ईबादत की तरहझूठ के साँचो ढले हम ही है आदत की तरहयूँ तमाशो की बहुत बिखरी अदा मजमें जवाँजख्म हँस ही ना पड़े फिर से शरारत की तरहमुकेश सोनी सार्थक

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