काफी दिनों से हर लड़की और हर कही अमिताभ बच्चन जी का एक dialog है जो हर जगह, हर बार, हर मर्द को सुन्ना पड़ता है, जिसने हम मर्दो की ज़िन्दगी बदल दी
" मर्द को दर्द नहीं होता "
तो मेने सोच की इसी तथ्य पर एक कविता की रचना करू तो पेश है हम मर्दो की व्यथा की हमे कब दर्द होता है
हर मर्द को दर्द होता है
जभी कोई सुन्दर लड़की पास बुलाकर भैया कह दे
तब होता है दर्द मर्द को
जब मैया को याद करो और बीवी कह दे ओ सैयां
तब दोनों के धर्म चक्र में फास जाते है
तब होता है दर्द मर्द को
जब ज़ोरो से दोस्त बुलाए, आईपीएल का मच सताए
और घर में बीवी बुलाले
तब मर्द को दर्द होता है
जब संकट है आन पड़ा
धर्म चक्र में पति फसा
पति बनु के बनु पुत्र इस दुविधा में फसा पड़ा
तब सब को मज़ा बहुत आता है
सुन लो ए दुनिया वालो
मर्द तो तभी बहुत ज़्यादा दर्द होता है
कोण कहता है मर्द को दर्द नहीं होता
मर्द क्या पत्थर का बन होता है जो उसे दर्द नहीं होता?
बॉलीवुड के मसाले के चक्कर में मर्दो के लगा दिए झंडे
दो मिनट के मज़े के चक्कर में
मर्दो का दर्द ही गायब कर दिया
Fathers version
जब बेटी की याद में पिता की हालत बिगड़ जाती है
तब मर्द को दर्द होता है
जब बच्चे की हालत बिगड़ी, बिस्तर पकड़ लेता ह बक्सा
तब होता है दर्द मर्द को
जब एक बेटी बीड़ा होती है , रोकर पापा के सीने से लगती है
तब होता है दर्द मर्द को
जब एक बच्चा रोकर आये
पापा कहकर शोर मकए
उन मोटे आंसू को देखकर
मर्द को दर्द होता है
सबसे बड़ा दर्द दुनिया का हर मर्द तब सेहत है
जब उसका जवान बीटा 4 कंधो पर घर आता है
उस दृष्य को देख कर ईश्वर भी रो पड़ता है
हाँ उस वक़्त मर्द कोबहुत दर्द होता है