shabd-logo

नमन है तुम्हे हिन्द के वीर

10 दिसम्बर 2021

62 बार देखा गया 62

छाती पे तमगे देख के जिसके भूतल हिल जाता था।

सो रहा है वो शेर देखो, देश सत-सत शीश नमाता है।

मरते नहीं है हिन्द के वीर,वीरगति को पाते है।

सच कहते है,ऐसे योद्धा सदियों में आते हैं।

खुद के लिए तो सभी जीते हैं सैनिक सबके लिए जी जाते है।

जना किसी शेरनी ने था वो शावक जो आज बब्बर शेर बना।

चला है जब वो प्रस्थान को तो देखो हाथ नमाये देश खड़ा।

छोड़ प्रिय को जो शेर गए है धरती माँ भी रोती है।

लाल मेरा अमर रहे ये उदघोष देती है।


Dinesh Dubey

Dinesh Dubey

बहुत बढ़िया लिखा है

24 दिसम्बर 2021

Anita Singh

Anita Singh

25 दिसम्बर 2021

धन्यवाद दिनेश जी

कविता रावत

कविता रावत

जो देश के लिए पैदा होते हैं वे कभी मरते नहीं, हमेशा जिन्‍दा रहते हैं हमारे बीच

18 दिसम्बर 2021

Anita Singh

Anita Singh

25 दिसम्बर 2021

सही कहा अपने कविता जी

काव्या सोनी

काव्या सोनी

Behtreen likha aapne 👌🙏

10 दिसम्बर 2021

Anita Singh

Anita Singh

13 दिसम्बर 2021

धन्यवाद काव्या जी🙏

8
रचनाएँ
अनीता की कविता डायरी
0.0
ये क़िताब मेरी कविताओं का संकलन है। झांकी है स्त्री मन की,समसामयिक घटनाओं पे मेरे विचार है जो उकेरे गए है कविता के रूप में ।आशा है कि आपको ये पसंद आएगी🙏
1

सोचों एक दिन नींद खुले।

11 सितम्बर 2021
8
15
3

<p>सोचो एक दिन सोये और नींद खुले अपने कॉलेज के हॉस्टल में होते शोर से</p> <p>खोलें जब दरवाज़ा,जाते हु

2

करवा और भारत-पाकिस्तान मैच

26 अक्टूबर 2021
25
14
7

<p>इस करवाचौथ का वृतान्त सुनो मित्रों-</p> <p>इधर चल रही थी करवा की तैयारी,</p> <p>उधर भारत पाकिस्ता

3

सिसकती नदी

10 नवम्बर 2021
2
2
3

<p>एक दिन यूँही गुज़रना हुआ,नदी के किनारे से।आवाज़ कुछ सुनाई दी नदी किनारे से। पास कुछ जाना हुआ तो पान

4

औरत का दर्द

23 नवम्बर 2021
2
2
2

<div><span style="font-size: 16px;">अक्सर मैंने जोरदार ज़नानी आवाज़ों के पीछे का</span></div><div><spa

5

औरत का दर्द

23 नवम्बर 2021
4
4
3

<div><span style="font-size: 16px;">अक्सर मैंने जोरदार ज़नानी आवाज़ों के पीछे का</span></div><div><spa

6

नमन है तुम्हे हिन्द के वीर

10 दिसम्बर 2021
5
4
6

<p>छाती पे तमगे देख के जिसके भूतल हिल जाता था।</p> <p>सो रहा है वो शेर देखो, देश सत-सत शीश नमाता है।

7

मंथरा का आना

7 जनवरी 2022
2
1
4

जीवन में मंथराओ का आना,आप में भरत-सा स्नेह लाता है।जीवन में मंथराओ का आना,आप में लक्ष्मण सा साथ लाता है।जीवन में मंथराओं का आना,आप में सीता सा विश्वास लाता है।जीवन में मंथराओ का आना,आप को कुछ पल का शो

8

गणतंत्र दिवस

25 जनवरी 2022
0
0
0

स्वतंत्र देश को एक सूत्र में पिरोया ,जब आंबेडकर ने संविधान संजोया।जाति,धर्म, वेशभूष को छोड़,भारत गणतंत्र बन पाया,जब 26 जनवरी 1950 को,गणतंत्र संज्ञान में आया।गणतंत्र की महिमा गाता हर इंसान है,हर्ष से ब

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए