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नारी जीवन

Ekta

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नमस्कार 🙏🙏🙏 मेरे प्रिय पाठकों मैं अपनी पहली रचना नारी जीवन लिखने जा रहीं हू.... इसमे नारी के कितने जीवन एक ही जिंदगी मे जीने मिलते है ये भी दिखाना चाहूँगी... तो चलिए चलते है अपने सफ़र पर हमने अक्सर ये देखा है कि सभी की जिंदगी मे जीवन हर मोड़ पर नित नए सफर और मंजिल पर चलना सिखाती है और ये सफर ही मंजिल तक जाने का नाम जिंदगी है.. फिर कोई भी क्यो ना हो चाहे कोई गरीब हो या अमिर बेटा हो या फिर बेटी किसी भी वर्ग किसी भी प्रांत किया बात कुओं ना हो.... और वही अगर हम बात एक बेटी की करे तो उसकी जिंदगी तो होती ही है बहुत सी परीक्षा से लड़ने वाली हर वक्त बस जिंदगी एक परिक्षा होती हैं ll और बेटी की जिंदगी मे कभी ना ही परीक्षा खत्म होती है ना ही उनसे लड़ने की उम्मींद... तो ऐसी ही एक बेटी... एक नारी की जिंदगी को हम आपसे बांटने लाए है ll तो ये सफर है सीना का ll सीना जो हमारी कहानी की एक महत्वपूर्ण किरदार है... सीना.... तो चलिए जानते है सीना को और देखते है सीना कि जिंदगी की रोचक परीक्षाओ को कैसे सीना उन्हें सुलझा पाएगी ll हम सभी जानते है कि जीवन में हमेशा वो नही होता ....जो हम चाहते हैं या फिर जो भी हम सोचते हैं ll फिर भी हम इन्तजार करते हैं या ये कहे कि विश्वास रखते है की जो हो रहा है अछा हो रहा है और जो होगा वो भी अच्छा ही होगा ll और हमारी सीना तो हमेशा से ऐसी ही थी जो..... इसी बात पर जीती थी.... कि जो है अच्छा है और जो होगा वो भी अच्छा ही होगा.... उसने हमेशा सभी की खुशियो में ही खुश रहना सिखा था और छोटी छोटी सी ख्वाहिशें और सपने है सीना के जिनमें उसकी सारी दुनिया समायी रहती है ll कुछ बड़ा नहीं कुछ खास नहीं..... सीना एक मध्य वर्गीय परिवार मे जन्मीं सीधी सादी सी लड़की.... सीना के पापा कैलाश त्रिपाठी जी जो सरकारी बिजली बिभाग मे एक क्लर्क की पोस्ट पर कार्यरत है ll और मम्मी रुक्मणी त्रिपाठी जो एक हाउस वाइफ है ll                 एक छोटा भाई संदीप जो अभी 12 वी क्लास का स्टूडेंट है ll इक छोटी बहन है नेहा जो 9th क्लास मे पढ़ती है ll एक छोटा सा खुशहाल परिवार है सीना का ll सीना ने अभी अभी 19 साल की हुई है ll और सीना ने 12 पास कर  b. Com फर्स्ट ईयर मे एडमीशन लिया है ll और कुछ दो महीने हुए हैं उसे कॉलेज स्टार्ट किए ll आज का दिन भी रोज की तरह ही था ll सुबह की पहली  

nari jivan

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मै फिर से अब वो बचपन वाली छुट्टी चाहता हूं ll बरसात में आने वाली मिट्टी की वो खुशबू को फिर से एक बार महसूस करना चाहता हूं ll मैं फिर से एक बार वो बचपन वाली सी सुलह चाहता हूं ll दो उंगलियों के मिलाने भ

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खुद ही उड़ते जाते

18 मई 2022
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फिक्र जिनकी सुबह शाम थीउनका भी दिल दुखा दिया llइन मुहब्बत के एहसासों नेहर रिश्ता उलझा दीया llचाहते तो थे सभी को खुश रखनापर सच पूछो तो उनको रुला दीया llकैसे बताए कितना चाहते थे हमउन्होंने ने तो हमे बेव

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क्या देखूं

20 मई 2022
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अब इससे बुरा क्या देखू मैंखुद को सब कुछ खोते देखा है मैंनेअब इससे ज्यादा क्या समझूं मैंखुद को समझाने में जमाना बदलते देखा मैने

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