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नारी शक्ति का दुर्पयोग

20 सितम्बर 2022

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कहाँ रहे वो पुरुष संत सरीखे,
कहाँ उनका वो साधु ह्रदय !
कहाँ आँखों में निश्छलता वो ,
कहाँ सद्पथ पर उनकी सुर लय!!

शुचिता से कोसों दूर ,
'नूतन' वे नर तो हुए कपूर ,
नर आज के तो अत्याचारी हैं ,
काम वासना में तप्त ह्रदय ,जिनका
जिनको नारी उत्पीड़न की बीमारी है।

जो नारी शक्ति का करते दुर्पयोग,
चिंतन रखते ,नारी बस भोग्य योग ,
जगत जननी का मूल्य न जानें,
उनकी शक्ति को न पहचानें ,
विवेक हीन,प्रज्ञामलीन ,
करें क्या उनकी लाचारी है ।

करके नारी से व्यभिचार,
खोलते स्वयं हेतु पतन द्वार ,
जानकर जो बने नासमझ,
इनके कुकृत्यों के बोझ तले,
धरती दबती बेचारी है ।

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वाह...बहुत सुंदर सृजन,शानदार लेखन, उत्कृष्ट अभिव्यक्ति कैप्टन👌👌👌👌👌

20 सितम्बर 2022

Berlin

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20 सितम्बर 2022

धन्यवाद भैया😊🙏

Sanju Nishad

Sanju Nishad

लाजवाब प्रस्तुति 👍💐

20 सितम्बर 2022

Berlin

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20 सितम्बर 2022

धन्यवाद बहन🙏

काव्या सोनी

काव्या सोनी

Behtreen prastuti 👌👏👏

20 सितम्बर 2022

Berlin

Berlin

20 सितम्बर 2022

धन्यवाद 😊🙏

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रचनाएँ
कुछ मन के भाव
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इसमें दैनिक प्रतियोगिता में दिए गए विषय पर कलम चलाने का प्रयास कर रही हूँ
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13 सितम्बर 2022
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मेरे बचपन की दोस्त , मेरी सहेली ,जिसका नाम था निधि 😊हमारी दोस्ती तब हुई थी जब हम नर्सरी में थे । वो रोज एक गुलाब का फूल लाती और मुझे देती ।हमारी दोस्ती भी उस गुलाब के फूल जैसी थी ,तरोताजा,खिली

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15 सितम्बर 2022
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मानवीय पूँजी ,तो हैं मनुष्य के संस्कार,उसके आचार,विचार ,उसका व्यवहार ,यही असली पूंजी है जो ,आपसे कोई चुरा न पाता है,यही पूंजी है वास्तविक ,जिसके बल पर ही इंसान,सबके मन में अपना ,एक अच्छा व अटल स्थान ब

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अंधविश्वास

18 सितम्बर 2022
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अंधविश्वास का कोई निश्चित कारण न होता है ।यह मन का ऐसा विश्वास है जो व्यक्ति अपने मन में मान बैठता है और उससे निकलना ही न चाहता ।अंधविश्वास का अर्थ ही हैकिसी चीज़ पर आँखें मूँद कर ,बिना विवेक का प्रयो

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नारी शक्ति का दुर्पयोग

20 सितम्बर 2022
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कहाँ रहे वो पुरुष संत सरीखे,कहाँ उनका वो साधु ह्रदय !कहाँ आँखों में निश्छलता वो ,कहाँ सद्पथ पर उनकी सुर लय!!शुचिता से कोसों दूर ,'नूतन' वे नर तो हुए कपूर ,नर आज के तो अत्याचारी हैं ,काम वासना में तप्त

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