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अंधविश्वास

18 सितम्बर 2022

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अंधविश्वास का कोई निश्चित कारण न होता है ।यह मन का ऐसा विश्वास है जो व्यक्ति अपने मन में मान बैठता है और उससे निकलना ही न चाहता ।अंधविश्वास का अर्थ ही हैकिसी चीज़ पर आँखें मूँद कर ,बिना विवेक का प्रयोग किए ,बिना सत्य जाँचे परखे विश्वास जमा लेना ।ये अधिकतर अशिक्षा के कारण होता है ।लोग अंधविश्वास के चक्कर में क्या क्या न कर जाते हैं ।अंधविश्वास के कभी कभी बहुत गंभीर परिणाम भुगतने पड़ते हैं ।लोग अंधविश्वास के चक्कर में बच्चे की बलि तक दे देते हैं ।अंधविश्वास से बचने के लिए लोगों का स्वस्थ चिंतन व जागरुक होना आवश्यक होता है ।

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"आज़ाद आईना"अंजनी कुमार आज़ाद

"आज़ाद आईना"अंजनी कुमार आज़ाद

वाह..बहुत सुंदर व्याख्या💐💐👌👌👌👌👌

19 सितम्बर 2022

Berlin

Berlin

19 सितम्बर 2022

धन्यवाद भैया 🙏

कविता रावत

कविता रावत

सच बिडंबना देखिये आज गांव ही नहीं शहर में भी ऐसे अन्धविश्वास की बेहद दर्दनाक घटनाएं सुनने को मिलती हैं तो मन दुःखी हो जाता है

18 सितम्बर 2022

Berlin

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18 सितम्बर 2022

सही कहा मैम ,धन्यवाद 😊🙏

Pragya pandey

Pragya pandey

Nice 👌👌👌

18 सितम्बर 2022

Berlin

Berlin

18 सितम्बर 2022

धन्यवाद प्रज्ञा जी😊🙏

ऋतेश आर्यन

ऋतेश आर्यन

अंधविश्वास का अर्थ,,👌👌 बहुत अच्छा लिखा 👌👌

18 सितम्बर 2022

Berlin

Berlin

18 सितम्बर 2022

धन्यवाद सर 🙏

काव्या सोनी

काव्या सोनी

Very nice shi kaha aapne

18 सितम्बर 2022

Berlin

Berlin

18 सितम्बर 2022

धन्यवाद काव्या 😊🙏

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रचनाएँ
कुछ मन के भाव
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इसमें दैनिक प्रतियोगिता में दिए गए विषय पर कलम चलाने का प्रयास कर रही हूँ
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समय की गति

7 सितम्बर 2022
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समय ,चलता आया है ,सृष्टि प्रारंभ से ,निर्बाध गति से ।समय चलता ही रहता है ,समय के साथ ही ,सभी को चलना पड़ता है ।जो पीछे मुड़कर ,देखता है कभी,समय छोड़ देता है ,उसे वहीं तभी ।समय उसी का होता है ,जो उसकी

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रेलयात्रा

9 सितम्बर 2022
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रेल यात्रा का विषय देखकर मुझे वो घटना याद आ गयी जो आपसब के साथ साझा करने का मन किया।मेरे पापा के साथी प्रोफेसर थे वर्मा अंकल( अब नहीं रहे )वो अपनी पत्नी के साथ रेलयात्रा कर रहे थे।आंटी जी बैठी थीं और

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बचपन की दोस्त

13 सितम्बर 2022
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मेरे बचपन की दोस्त , मेरी सहेली ,जिसका नाम था निधि 😊हमारी दोस्ती तब हुई थी जब हम नर्सरी में थे । वो रोज एक गुलाब का फूल लाती और मुझे देती ।हमारी दोस्ती भी उस गुलाब के फूल जैसी थी ,तरोताजा,खिली

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मानवीय पूंजी

15 सितम्बर 2022
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मानवीय पूँजी ,तो हैं मनुष्य के संस्कार,उसके आचार,विचार ,उसका व्यवहार ,यही असली पूंजी है जो ,आपसे कोई चुरा न पाता है,यही पूंजी है वास्तविक ,जिसके बल पर ही इंसान,सबके मन में अपना ,एक अच्छा व अटल स्थान ब

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पितृपक्ष

16 सितम्बर 2022
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पितृपक्ष , एक पखवारा जब ऐसा माना जाता है कि हमारे पूर्वज धरती पर आते हैं ।उनके लिए इस पखवारे भर के लिए स्वर्ग के द्वार खोल दिए जाते हैं ,और वो अपनों से मिलने ,उन्हें अपने आशीष देने के लिए आते है

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मैं नारी हूँ

17 सितम्बर 2022
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मैं नारी हूँ ,हाँ नारी हूँ।मत अबला,समझो मुझको,मैं सबपर ,भारी हूँ।हाँ नारी हूँ।मैं सकल,सृष्टि की उत्पादक,मैं ही ,दया,क्षमा,त्याग,ममता की मूरत,मैं सुता,मैं अर्धांगिनी,मैं ही हूँ पयस्विनी,नर दीपक,तो मैं

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अंधविश्वास

18 सितम्बर 2022
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अंधविश्वास का कोई निश्चित कारण न होता है ।यह मन का ऐसा विश्वास है जो व्यक्ति अपने मन में मान बैठता है और उससे निकलना ही न चाहता ।अंधविश्वास का अर्थ ही हैकिसी चीज़ पर आँखें मूँद कर ,बिना विवेक का प्रयो

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नारी शक्ति का दुर्पयोग

20 सितम्बर 2022
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कहाँ रहे वो पुरुष संत सरीखे,कहाँ उनका वो साधु ह्रदय !कहाँ आँखों में निश्छलता वो ,कहाँ सद्पथ पर उनकी सुर लय!!शुचिता से कोसों दूर ,'नूतन' वे नर तो हुए कपूर ,नर आज के तो अत्याचारी हैं ,काम वासना में तप्त

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