नई दिल्ली : देश के केंद्रीय बैंक रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया की साख इस दौर में खतरे में दिख रही है। इसके पीछे बीते कुछ समय की कई ऐसी घटनाएं हैं जिसने आरबीआई की छवि को गहरी चोट पहुंचाई है। नोटबंदी के बाद आरबीआई के कामकाज के तरीकों पर खुद उसके दो पूर्व गवर्नर सवाल उठा चुके हैं।
नोटबंदी के दौरान जहाँ आरबीआई के अधिकारियों को गडबडी करते पाया गया वहीँ अब आयकर विभाग को एक ऐसे मामले का पता चला है जिसमे संभावना जताई जा रही है कि आरबीआई से नोटों के बंडल सीधे बैंकों में जाने के बजाय कुछ लोगों तक चोरी छिपे पहुंचाए जा रहे हैं।
आयकर विभाग के ख़ुफ़िया ब्यूरो को शक है कि इसमें किसी बड़े गिरोह का हाथ भी हो सकता है। आयकर विभाग को इस बात का पता तब चला जब साऊथ दिल्ली के ग्रेटर कैलाश से एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया। जिसके पास दो लाख रूपये मिले। इन रुपयों में दो-दो हजार रूपये की 10 गाड़ियां मिली।
जाँच के दौरान पाया गया कि ये गड्डियां एकदम सीलबंद थी और इन पर अभी भी महाराष्ट्र के नासिक और पश्चिन बंगाल के सालबोनी स्थित प्रेस की मुहर लगी हुई थी। हालाँकि इनकम टैक्स विभाग के पास अभी इसके ज्यादा पुख्ता सबूत नही हैं लेकिन इस दिशा में जाँच अभी भी जारी है।
ऐसे पहुँचते हैं लोगों तक नोट
सीबीआई के आधिकारिक सूत्रों ने इंडिया संवाद बताया कि ऐसी जानकारी सीबीआई के समक्ष भी आयी हैं जिनमे जिनमे कहा गया है कि प्रेस से नोट छपने के बाद सीधे कुछ लोगों के पास पहुँच रहे हैं। वर्तमान में देश में सक्रिय रूप से चार नोट छापख़ाने हैं। जो कि देवास, नासिक, सोलाबनी और मैसूर में हैं।
देवास और नासिक के प्रिंटिंग प्रेस वित्त मंत्रालय चलाती है जबकि सोलाबनी और मैसूर के छापखाने आरबीआई के नियंत्रण में हैं। रूल के अनुसार इन छापेखानों से नोट छपने के बाद सीधे आरबीआई के पास भेजे जाते हैं। आरबीआई इन नोटों को भारतीय स्टेट बैंक के चेस्ट में जाते हैं। एसबीआई इन नोटों को अन्य बैंकों तक पहुंचाती हैं।