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नवगीत

22 जून 2016

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मित्रो प्रस्तुत है एक नवगीत सच ही बोलेंगे ------------------- हम अभी तक मौन थे अब भेद खोलेंगे सच कहेंगे सच लिखेंगे सच ही बोलेंगे धर्म आडम्बर हमें कमजोर करते हैं जब छले जाते तभी हम शोर करते हैं बेंचकर घोड़े नहीं अब और सोंयेंगे मान्यताओं का यहॉ पर क्षरण होता है घुटन के वातावरण का वरण होता है और कब तक आश में विष आप घोलेंगे हो रहे हैं आश्रमों में भी घिनौने पाप कौन बैठेगा भला यह देखकर चुपचाप जो न कह पाये अधर वह शब्द बोलेंगे आस्था की अलगनी पर स्वप्न टॉगे हैं ढोंगियों सेजोड़कर वरदान मॉगे हैं और कब तक ढाक वाले पात डोलेंगे दूर तक छाया अंधेरा है घना कोहरा आड़ में धर्मान्धता की राज़ है गहरा राज़ खुल जायेगा सब यदि साथ हो लेंगे हम अभीतक मौंन थे अब भेद खोलेंगे सच कहेंगे सच लिखेंगे सच ही बोलेंगे ~जयराम जय पर्णिका-बी 11/1कृष्णविहार आवास विकास कल्यणपुर कानपुर 208017 फोन नं० 05122572721 मोबा०नं०09415429104 ई मेल-jairamjay2011@gmail.com

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