कई वर्ष से मेरे एंड्रॉइड फोन का सारथी अर्थात मेरा मोबाइल फोन चलाने वाला मेरा भतीजा मेरा फोन चेक कर रहा था। ऑन लाइन प्लेटफार्म पर मेरे लेख देखकर वह श्रीकृष्ण की तरह मुझे समझाने लगा कि पार्थ किस प्रकार ऑन लाइन में अपने फ़ॉलोअर्स व लाईक बढ़ाये जाते हैं। उसने कहा कि कैसे यूट्यूब, फेसबुक, इंस्टाग्राम आदि का प्रयोग अपनी पॉपुलरटी बढ़ाने में किया जा सकता है। उसने कई ऑन लाइन सेलिब्रिटी के नाम भी बताये।
एंड्रॉयड से मेरा प्रथम साक्षात्कार भी मेरे भतीजे ने ही मुझे कराया था। आज सात साल बाद भी में उसी जगह पर था, केवल व्हाट्सएप ही चला पाता था। उसने जितने भी फेमस लोगों के नाम बताये, उनको देखने के बाद ऐसा लगा जैसे मैंने 20 साल व्यर्थ ही लेखन में व्यर्थ कर दिये। मुझे भी सही से होंठ हिलाने आते तो मैं भी "ठीक-ठाक" (टिक टॉक) पर प्रसिद्ध हो सकता था। शक्ल का क्या है, वो तो फिल्टर से ठीक हो जाती, नहीं तो पड़ोस का ब्यूटी पार्लर किस दिन काम आता। वहाँ तो ओम पुरी को भी जॉन अब्राहम बना दिया जाता है।
इंस्टाग्राम पर एक लड़की रील बना-बनाकर फेमस थी। उसका टेलेंट इतना था कि वो ऊट-पटाँग कपड़े पहन कर पोस्ट डालती थी। यूट्यूब पर कोई लड़का था उसके 30 मिलियन सब्सक्राइबर थे। वो बस अपने वीडियो में एक से एक उम्दा गालियों का प्रयोग करता था। उसे गलियों के अलावा कुछ नहीं आता था। काश मैं अपनी क्लास के उन बच्चों की संगति में रह लेता जिन्हें मास्टर जी रोज क्लास से मार-मारके भगा देते थे।
जब से जियो का नेट आया है हर कोई सेलिब्रिटी हो गया है। जिनमें थोड़ा बहुत टैलेंट है वो जरूर पहले की तरह ही संघर्ष करते नजर आ रहे हैं। कोई उनका टैलेंट देखना भी नहीं चाहता। हमारे एक मित्र जिनके लोकल स्टूडियो में चक्कर लगा-लगा कर आधे बाल सफेद हो गए हैं, अब भी प्रसिद्धि के लिए संघर्ष कर रहे हैं। उन्होंने अपना टैलेंट दिखाने के लिए यूट्यूब पर अपना चैनल बनाया पर उस पर भी गिने चुने व्यू व सब्सक्राइबर ही मिले। काश उन्हें भी गालियों का ज्ञान होता तो आज उनके भी कई मिलियन सब्सक्राइबर होते। खैर हम भारतीयों की प्रसिद्ध होने की चाह से विदेशी आई टी कंपनियाँ जरूर अमीर हो रही हैं। चाहे वो फेसबुक, यूट्यूब, व्हाट्सएप या कोई भी हो।