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दोस्ती और दुश्मनी

29 सितम्बर 2022

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जिंदगी के हर अहसास के,
अंदाज निराले होते हैं।
प्रकृति यह है मनुष्य की,
कभी हंसते कभी रोते हैं।।

दोस्ती:-
दोस्ती है प्रेम का रिश्ता,
जो दिल में पैदा होता है।
हर मनुष्य के जीवन में,
एक सच्चा दोस्त होता है।।

जहां दोस्ती बसती है,
द्वेष भाव नहीं रहता है।
ईर्ष्या दूर रहती है ,
प्रेम का सागर रहता है।।

विपत्ति का साथी मित्र हैं,
हर संकट में संग देता है।
खून के रिश्ते से बढ़कर,
एक सच्चा दोस्त जन होता है।।

एक राह एक मंजिल होती,
जीवन में सब खुशियां होती।
सुख दुख जीवन साथ बिताये,
मित्र की यह सीरत होती।।

दुश्मनी:-

जलते हैं मनुष्य ,मनुष्य देखकर,
मानव के दुश्मन कहलाते।
द्वेष, दंभ का भाव रखकर,
पीठ पीछे छुरा घौंपते।

जन के स्वभाव का यह अवगुण,
करता है बैचेन सभी को,
पर जन का सुख चुभता है दिल में ,
अपना सूख फीका लगता दुश्मन को।।


हर वक्त ताक में रहता है,
मौके की तलाश में रहता है।
उड़ते गगन खग पंख काटने,
दुश्मन नहीं चूकता है।।

दुश्मनी खतरनाक है उनकी,
जो दीमक बनकर चाट रहे हैं।
संग में रहकर धोखा करते,
भाई-भाई को बांट रहे हैं।।


हर तरफ पैदा हो गये दुश्मन,
दुख होता पर जन की सौहरत से।
वे मन के मैले हो गये दिलों में,
भोले दिखते हैं सूरत से।।


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रचनाएँ
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