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पंचम शक्ति स्कंद माता

10 अप्रैल 2022

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पंचम शक्ति स्कंद माताarticle-image

श्रुति और समृद्धि से युक्त छान्दोग्य उपनिषद के प्रवर्तक सनत्कुमार की माता भगवती का नाम स्कंद है। 

उनकी माता होने से कल्याणकारी शक्ति की अधिष्ठात्री देवी को पांचव दुर्गा स्कंदमाता के रूप में पूजा जाता है। 

नवरात्र में इनकी पूजा-अर्चना का विशेष विधान है। यह माता दो हाथों में कमल लिए हुए और एक हाथ से अपनी गोद में ब्रह्म स्वरूप सनत्कुमार को थामे हुए हैं।

 इनका वाहन सिंह है। यह दुर्गा समस्त ज्ञान-विज्ञान, धर्म, कर्म और कृषि उद्योग सहित पंच आवरणों से समाहित विद्यावाहिनी दुर्गा भी कहलाती है। माना जाता है।

 कि इनकी शक्ति से ही नारी को गर्भधारण करने की अलौकिक शक्ति मिली है।

आरती देवी स्कंद माता जी की...

जय तेरी हो स्कंद माता। 
पांचवां नाम तुम्हारा आता। 
सबके मन की जानन हारी। 
जन जननी सबकी महतारी। 
तेरी जोत जलाता रहूं में। 
हरदम तुझे ध्याता रहूं में ।
 कई नामों से तुझे पुकारा।

मुझे एक है तेरा सहारा। 
कहीं पहाड़ों पर है डेरा। 
कई शहरों में तेरा बसेरा ।
 हर मंदिर में तेरे नजारे। 
गुण गाएं तेरे भक्त प्यारे । 
भक्ति अपनी मुझे दिला दो। 
शक्ति मेरी बिगड़ी बना दो।

इंद्र आदि देवता मिल सारे। 
करें पुकार तुम्हारे द्वारे । 
दुष्ट दैत्य जब चढ़ कर आए। 
तू ही खंडा हाथ उठाए। 
दासों को सदा बचाने आई। 
भक्त की आस पुजाने आई ।

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रचनाएँ
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