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पाण्डेय धर्मेन्द्र शर्मा के बारे में

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पाण्डेय धर्मेन्द्र शर्मा की पुस्तकें

मेरे शब्द

मेरे शब्द

जिन्दगी में जब भी कोई खुशी मिली अथवा जब-जब जीवन में कुछ अलग हुआ,तब-तब यह हृदय मायाजाल में उलझता गया।उलझन से निकलने का हर प्रयास तब विफल हो जाता जब मस्तिष्क में किसी विचार का जन्म होता और होठ उसे शब्द बना देते।

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जिन्दगी में जब भी कोई खुशी मिली अथवा जब-जब जीवन में कुछ अलग हुआ,तब-तब यह हृदय मायाजाल में उलझता गया।उलझन से निकलने का हर प्रयास तब विफल हो जाता जब मस्तिष्क में किसी विचार का जन्म होता और होठ उसे शब्द बना देते।

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