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पारुल की डायरी

पारुल

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parul ki dir

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पुस्तक के भाग

1

संकळप

5 जून 2018
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आज हम ऐसे समाज में रह रहे है , जहां हम ये नही कह सकते की ये काम मुझे से नहीं हो पायेगा | सिर्फ हम लोगो लोगों को एक संकल्प लेके चलना पङेगा की कुछ भी हो जाये हम रुकेंगे नहीं | कोई भी काम बिना संकळप के पूरा नही हो सकता चाहे काम

2

दोस्त इतने जरुरी क्यों होते हैं |

6 जून 2018
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इंसान इस दुनिया में ईश्वर का बनाया बहुत खूबसूरत तोहफा हैं जो की अपने माता पिता की बदौलत इस दुनिया में कदम रखता हैं | माता पिता अपनी ख़ुशियों को भूला कर अपनी औलाद को सब खुशियाँ प्रदान करता हैं | लेकिन इतना करने के बाद भी उस इंसान को कोई ऐसा चाहिये होता हैं इस से वह इंसान वो हर बात बता सके जो

3

मेहनत का ईनाम

7 जून 2018
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" मेहनत इतनी ख़ामोशी से करो की सफलता शोर मचा दे | " ये लाइन उन पे बहुत सही लगती हैं जो मेहनत करना जानते है ना की उन पे जो मेहनत न करके v सिर्फ बातें बनाना जानते हैं | हमारे घर काकी आती थी खाना

4

परीछा या खिलबाड़

12 जून 2018
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आज कल सीबीएसई का रिजल्ट आ चुका हैं हर तरफ 95% पाने वालों की चर्चा चल रही हैं सोशल मीडिया हो या व्हाट्स एप्प या कुछ और | जिनके 90% हैं या उससे कम वो तो बेचारे शर्म से कुछ कह भी पा रहे मानो वो फेल हो गये हो | इतने मार्क्स की देख कर अक्सर यही सोच

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