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फूल बनकर खिलो

9 जुलाई 2016

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फूल बनकर खिलो

एक कमल की तरह ।

कर दो शीतल सभी को

विधु की तरह ।

आरजू है हमारी

मेरे भाइयों ।

जब मिलो तो मिलो

दोस्तों की तरह ।।

 

था अभी पंक में

एक पंकज खिला ।

पंक बोला कि इससे

हमें क्या मिला ।

बोला पंकज कि

तुझमें मेरी जान है ।

दोस्त तुझसे ही

मेरी ये पहचान है ।

नाम तेरा बढ़े

इस गगन की तरह ।

फूल बनकर खिलो

एक कमल की तरह ।

कर दो शीतल सभी को

विधु की तरह ।।

 

मित्रता नीर और

क्षीर की देखिए ।

करिए मिश्रित इन्हें

और फिर तोलिए ।

है बढ़ा नीर का

क्षीर से मान है ।

मित्रता पर इन्हें

खूब अभिमान है ।

दो बदन हो गए

एक जान की तरह ।

फूल बनकर खिलो

एक कमल की तरह ।

कर दो शीतल सभी को

विधु की तरह ।।

 

स्वाति की बूँद एक

जा गिरी सीप में ।

जाके मोती बनी

सीप की प्रीति में ।

बिन्दु जल का जो था

वो रतन बन गया ।

काम ये मित्रता में

अजब हो गया ।

नाम इनका बढे

इस गगन की तरह ।

फूल बनकर खिलो

एक कमल की तरह ।

कर दो शीतल सभी को

विधु की तरह ।।

आरजू है हमारी

मेरे भाइयों ।

जब मिलो तो मिलो

दोस्तों की तरह ।।

   

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