एक बेयर ग्रिल्स हुआ करते थे. मतलब अब भी हैं. मगर पहले ज्यादा हुआ करते थे. ऊंट का गुर्दा निचोड़ के पानी पी लेते थे. अपना सूसू पी लेते थे. कीचड़ वाली घास गार के पी जाते थे. कहते थे इससे पोषण मिल रहा है. गुरुग्राम में डॉमिनोज की एक ब्रांच उनके बड़े काम की हो सकती है.
कुछ ही समय पहले राहुल अरोड़ा नाम के एक फेसबुकिये ने एक पोस्ट लिखा. साथ में डाला वीडियो. वीडियो देखकर उल्टी सी आ गई. पिज्जा में डालने वाले ओरेगनो में कीड़े निकले. निकले नहीं, बिलबिला रहे थे. जैसे बचपन में बाल में जुएं बिलबिलाती थीं.
राहुल ने अपनी पोस्ट में डॉमिनोज चलाने वाली कंपनी जुबिलेंट फ़ूडवर्क्स और खाने के सामान को अप्रूव करने वाली सरकारी संस्था FSSAI को खूब कोसा है. अब ये दोनों क्या हैं, ये एक-एक कर के बताती हूं.
जुबिलेंट फ़ूडवर्क्स
ये एक फ़ूड सर्विस कंपनी है. माने लोगों को खाना खिलाने का काम करते हैं. अब डॉमिनोज तो अमेरिका की कंपनी है. अमेरिका की न होती तो आधे घंटे में पिज्जा न मिल पाता. कभी घर पर आधे घंटे के अंदर खाने की डिमांड करना. जूता नाम का फ़ास्ट फ़ूड मिलेगा. खैर.
तो जुबिलेंट कंपनी इंडिया में डॉमिनोज की फ्रेंचाईजी चलाती है. जैसे मैं बहुत अमीर हूं मान लो. 75 शोरूम हैं. कैसे चलेंगे. मैं अलग अलग शहरों में ठेके पर दे दूं. झंझट से मुक्ति. प्रॉफिट कुछ उन्हें दिया, कुछ रख लिया. ब्रांड हमारा, चलाओ तुम.
केवल डॉमिनोज ही नहीं, डंकिन डोनट चलाने का ठेका भी इन्हीं के पास है. डंकिन वाले डोनट बेचते हैं. यानी मैदे के एक छल्ले को बेक करो. उसके ऊपर फ्रोस्टिंग लगा दो. माने क्रीम. बनता है डोनट. मीठा और नमकीन का कॉम्बिनेशन.
जुबिलेंट का नेटवर्क इंडिया, नेपाल, बांग्लादेश और श्रीलंका में है. 10 साल से ऊपर हो गए इन्हें काम करते हुए. और अब सारी इज्जत का नाश कर रहे हैं.
FSSAI
फ़ूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया. यानी खाना खाने लायक है या नहीं और खाने लायक खाना क्या होता है, ये बताते हैं. सरकार की ओर से तय करते हैं. ये स्वास्थ्य मंत्रालय के अंडर काम करते हैं. इनका काम होता है खाने की जांच कर जुबिलेंट जैसी कंपनियों को लाइसेंस देना. अगर खाना ठीक न हो तो लाइसेंस कैंसल हो सकता है. मैगी याद है न?
दूध से बनी चीजें, तेल, या और चीजें, जिनमें मिलावट का भारी स्कोप होता है, उसे चेक करते हैं. किसी चीज में कोई जानलेवा केमिकल न हो, ये इनकी जिम्मेदारी है.
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राहुल अरोड़ा ने डॉमिनोज की जिस ब्रांच की बात की है, वो असल में एक बहत पॉश जगह है. गुरुग्राम का DLF सिटी सेंटर, एमजी रोड. ये वो जगह है जहां पोंछा भी 500 का मिलता है. हालांकि पिज्जा के दाम फिक्स होते हैं. मगर हम खुले में बन रहे स्ट्रीट फ़ूड को खतरनाक मानते हैं. डॉमिनोज को सेफ मानते हैं.
डॉमिनोज का जवाब (अपडेट):
डॉमिनोज ने एक ईमेल लिखकर हमें जवाब भेजा है. उनके मुताबिक़:
‘Quote from Company Spokesperson
Thank you for reaching out to us. At Domino’s Pizza, we maintain the strictest hygiene and quality standards in all our products and processes. We would like to reassure you that we have thoroughly checked oregano sachets in our restaurants and across our value chain. We have found them to be safe for consumption. We value you as a customer and assure you of best quality and hygiene in our products.
We understand that our consumers love our oregano seasoning. We request everyone to please store any leftover sachets under proper storage conditions.’
‘हम साफ़-सफाई की पूरी परवाह करते हैं. हम विश्वास दिलाते हैं कि हमने अपने पूरी चेन के सभी रेस्टोरेंट के ओरेगनो सैशे चेक किए हैं. वो खाने के लिए सुरक्षित हैं. एक कस्टमर के तौर पर हम आपको बेस्ट क्वालिटी का आश्वासन देते हैं… हम आपसे अनुरोध करते हैं कि बचे हुए ओरेगनो को ‘प्रॉपर’ तरीके से स्टोर करें.’