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युवा सोच - देशप्रेम

15 अगस्त 2018

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देशप्रेम सदा ही बहता है,

हमसब की ही नस-नस में।

आन पड़ी तो जान भी देंगे,

खाते हैं हम, ये कसमें।


माना हमने कभी लड़ी नहीं,

देशहित में एक लड़ाई।

पर हमको जब-जब मौका मिला,

हम ने भी, जान लगाई।


इक क्रिकेट में ही दिखता है,

मेरा देशप्रेम कुछ को।

पिज्जा-बर्गर संस्कृति कहकर

ताना देते है मुझको।


आज तिरंगा विख्यात हुआ है

इन युवाओं के कन्धों पर।

इस देश का परचम लहरा है

मेरे खून-पसीने पर।


केसर का रंग बसा है मन में,

हरा बसा मेरे कर्म में।

सफ़ेद रंग बसता वाणी में,

नीला-चक्र मेरे श्रम में।


रहे ऊँचा, भारत का तिरंगा,

सभी करते अपना जतन।

इसके ख़ातिर करते सभी भारतीय

अर्पण अपना तन-मन-धन।


सब का साथ, सब का विकाश हो,

आओ मिलकर काम करें।

सोने की चिड़िया भारतवर्ष

विश्व फिर से पुकार करे।


-© राकेश कुमार श्रीवास्तव "राही"

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अमित

अमित

बहुत ख़ूब

16 अगस्त 2018

अमित

अमित

बहुत ख़ूब

16 अगस्त 2018

रेणु

रेणु

तिरंगे और युवाओं का सम्बन्ध अटूट है | युवाओं ने तिरंगे की आन बान और शान की खातिर अपने प्राणों तक की आहुतियाँ तक दी है | साथ चलने से ही देश का विकास सम्भव है | तिरंगे की शान अमर हो -- जय हिन्द - जय जवान !! बेहतरीन रचना |

15 अगस्त 2018

रेणु

रेणु

आदरणीय राकेश जी -- आपकी बेहतरीन रचना के साथ आपको इस मंच पर देखकर अपार हर्ष हुआ |मेरी हार्दिक शुभकामनायें आपको | आपके ब्लॉग की तरह आप यहाँ भी लोकप्रिय लेखक बनें मेरी यही कामना है | स्वतन्त्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाये स्वीकार हों | जय हिंद |

15 अगस्त 2018

रवीन्द्र  सिंह  यादव

रवीन्द्र सिंह यादव

नमस्ते, आपकी यह प्रस्तुति BLOG "पाँच लिंकों का आनंद" ( http://halchalwith5links.blogspot.in ) में गुरुवार 16 अगस्त 2018 को प्रकाशनार्थ 1126 वें अंक में सम्मिलित की गयी है। प्रातः 4 बजे के उपरान्त प्रकाशित अंक अवलोकनार्थ उपलब्ध होगा। चर्चा में शामिल होने के लिए आप सादर आमंत्रित हैं, आइयेगा ज़रूर। सधन्यवाद।

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युवा सोच - देशप्रेम

15 अगस्त 2018
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देशप्रेम सदा ही बहता है,हमसब की ही नस-नस में। आन पड़ी तो जान भी देंगे,खाते हैं हम, ये कसमें। माना हमने कभी लड़ी नहीं,देशहित में एक लड़ाई। पर हमको जब-जब मौका मिला,हम ने भी, जान

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नारी - हिम्मत कर हुंकार तू भर ले

7 मार्च 2019
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#नारी - हिम्मत कर हुंकार तू भर ले#नारी के हालात नहीं बदले,हालात अभी, जैसे थे पहले,द्रौपदी अहिल्या या हो सीता,इन सब की चीत्कार तू सुन ले। राम-कृष्ण अब ना आने वाले,अपनी रक्षा अब खुद तू कर ले,सतयुग, त्रेता, द्वापर युग बीता,कलयुग में अपनी रूप बदल ले।लक्ष्य कठिन है, फिर भी

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बाल कथा : प्रकृति और जीवन

12 अगस्त 2020
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प्रकृति और जीवन विश्व के दो महाद्वीपों के कुछ हिस्सों में हाथियों का साम्राज्य है। एशिया महाद्वीप में ऍलिफ़स और उसके संतान मैक्सिमस, इन्डिकस और सुमात्रेनस का साम्राज्य है और अफ्रीका में लॉक्सोडॉण्टा और उसके संतान अफ़्रीकाना और साइक्लोटिस का। गर्मियों के दिन शुरू होने वाले थे। मैक्सिमस, इन्डि

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