भाई तुम्हे याद है जब तुम महज 11 साल के थे और मैं 13 साल की ा तुम बहूत बीमार थे ा तुम्हारा ऑपरेशन हुआ था ा ऑपरेशन के बाद मैं तुम्हे देखने तुम्हारे वार्ड में गयी ा उस टाइम पर भी तुम पर दवाइओं का असर था और तुम ढंग से होश में नहीं आये थे ा मैं तुम्हे देखकर वार्ड से बाहर आ रही थी तो तुमने कसकर मेरा हाथ पकड़ लिया था और रोते हुए कहा था -''तुम जा रही हो ? ''मत जाओ न ज्योति (आयशा )''ा तुम्हारे मुँह से निकला हुआ ये दो लब्ज मैं आज तक नहीं भूल पाई हूँ और तुम्हारा वो आँसू ,दर्द और तकलीफ से भरा हुआ चेहरा आज भी मुझे याद है ा भाई वैसे तो बिना कहे ही हम तुम्हारे तकलीफ को महसूस कर लेते हैं लेकिन कभी हम अगर न सुन पाएं तो बस एक आवाज लगा देना ा हम सारी दुनिया को पीछे छोड़कर तुम्हारे पास आ जायेंगे ा तुम्हारी खुशियों से बढ़कर कुछ भी नहीं है हमारे लिए ा
बचपन में हम पाँचों भाई -बहन कितनी शैतानियां किया करते थे न ा हमलोग अक्सर वही काम किया करते थे जिसे करने से मम्मी मना करती थी ा फिर मम्मी नाराज हो जाती और खाना भी नहीं खाती थी ा फिर हमसब मिलकर उन्हें मनाते थे ा यदि फिर भी वो नहीं मानती थी तो हम सभी उनसे लिपटकर रोने लगते थे ा फिर वो मान जाती थी और हम सब अपने हाथों से उन्हें खाना खिलाते ा भाई अगर रस्मों और रिवाजों की वजह से हम कभी दूर हो जाएँ तो तुम माँ का ख्याल रखना और कभी भूख न होने का बहाना बनाके खाना नहीं खाये तो समझ जाना वो हमसे नाराज़ है ा उसी तरह तुम उनके गले से लगकर रोने लगना ा फिर देखना कैसे चुटकी में उनकी नाराज़गी दूर हो जाएगीाजिंदगी में एक काला वक्त भी तो आया था ा हम दोनों घर से दूर रहकर पढाई करते थे ा तुम छठी क्लास में और मैं दसवीं में थी जब पापा का एक्सीडेंट हुआ था ा वो 7 महीने तक दिमागी रूप से पूरी तरह बीमार रहेा घर की आर्थिक स्थिति बद से बदतर हो गयी थी ा हम कैसे भूल सकतें हैं वो दिन जब तुम अपनी पढाई छोड़ घर की जिम्मेदारी संभाली ा पापा के बदले तुम उनकी ऑफिस जाया करते ा उनकी तरह तुम ऑफिसियल काम तो नहीं कर सकते थे लेकिन तुम ऑफिस में झाड़ू लगाते ,फर्श साफ़ करते ा वहाँ के वर्कर को पानी पिलाते ा और मजदूरी के तौर पर तुम्हे शाम के वक़्त 100 रूपया मिलता था ा उसी पैसा से तुम घर के लिए सब्जी और पापा के लिए फल लाया करते थे ा 1800 रुपया तो तुमने सेविंग भी कर लिया था जिन रुपयों से पापा की दवाई आयी थीा क्या कहूं तुम्हारे लिए ?जो भी कहूँगी सब कम पड़ जाएगाा उस उम्र में तुमने अपने परिवार की जिम्मेदारी उठाई जिस उम्र में बच्चा अपना पोषण खुद नहीं कर पाते ा
इतना सबकुछ तो तुमने हमें दिया और इस राखी पर मैं तुमसे क्या माँगूं ?हां भाई एक चीज़ चाहिए -जिस तरह आज तक हम बहनों की आज़ादी में साथ रहे इसी तरह आगे भी हमारी आज़ादी की रक्षा करनााअंत में बस इतना ही कहूँगी - तुम हमारे वीर हो ,हमारी जान हो और हमारे चेहरों की मुस्कराहट हो ा
ये रीती-रिवाज नहीं ,
न ही कोई रस्म है ,
एक अटूट बंधन है ,
विशवाश का ,भरोसे का,
कसमों का , वादों का ,
और पवित्र प्रेम का