आप सोच रहे होंगे कि शायद दिल्ली में कोई नई इमारत बन रही है, लेकिन ऐसा कुछ नहीं है। हम जिस लैंडमार्क की बात कर रहे हैं उसकी सच्चाई जानकर आपको विश्वास नहीं होगा और आप ये भी नहीं समझ पाएंगे कि इस उपलब्धि पर गर्व करना चाहिए या फिक्र। बहरहाल, यह ऐतिहासिक लैंडमार्क कुतुब मीनार नहीं है।
आप अपने दिमाग पर ज़्यादा ज़ोर दें इससे पहले ही हम आपको बता देते हैं कि दिल्ली का ये नया लैंडमार्क है गाज़ीपुर लैंडफिल यानी डंपिंग ग्राउंड। जी हां, यहां कचरे का अंबार इतना ज़्यादा लग चुका है कि उसने एक छोटी पहाड़ी का रूप ले लिया है और हैरानी की बात तो ये है कि इसकी ऊंचाई कुतुब मीनार से महज़ 8 मीटर ही कम हैं। इस कचरे के ढेर की ऊंची 65 मीटर है, जबकि कुतुब मीनार 73 मीटर ऊंचा है। इंसानों का लगाया कचरे का ये अंबार देखकर आप भी हैरान रह जाएंगे।
कुतुब मीनार से ऊंचा डंपिंग ग्राउंड
दरअसल, इस डंपिंग ग्राउंड में क्षमता से अधिक कचरा रोजाना यहां फेंका जाता है जिसकी वजह से कचरे का पहाड़ बन चुका हैं। इसे 15 साल पहले ही बंद हो जाना चाहिए था, लेकिन प्रशासन की लापरवाही की बदौलत ये आजतक खुला हुआ है। वैसे गाजीपुर इकलौता ऐसा डपिंग ग्राउंड नहीं है, जहां कचरे का अंबार लगा है। हमारे देश में ऐसे कई और डंपिंग ग्राउंड हैं।
धापा, कोलकाता
कोलकाता के इस डपिंग ग्राउंड में रोज़ाना करीब 2500 टन कचरा डाला जाता है और यह 1980 में शुरू हुआ था। जाहिर है इस एरिया के आसपास रहने वाले लोगों को वायु और ध्वनि प्रदूषण की गंभीर समस्या का सामना करना पड़ता है। आपको जानकर हैरानी होगी कि लोकल माफिया इस जगह का इस्तेमाल पैसे कमाने के लिए करते हैं। दरअसल, कोलकाता की 40 प्रतिशत हरी सब्ज़ियां यहीं डंपिंग ग्राउंड में उगाई जाती हैं।