वाराणसी भारत के उत्तर प्रदेश के पूर्वी हिस्से में गंगा नदी के तट पर स्थित दुनिया का सबसे प्राचीन और निरंतर आगे बढ़ने वाला शहर है। वाराणसी को बनारस और काशी के नाम से भी जाना जाता है। विश्व की सबसे प्राचीन नगरी में से एक काशी को भगवन शिव की नगरी भी कहा जाता है | वाराणसी, हिन्दुओं की सबसे पवित्र शहरों में से एक है | वाराणसी में जिसकी भी मौत होती है या जिसका भी अंतिम सस्ंकार होता है, उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है | वो व्यक्ति जन्म और मृत्यु के चक्र से मुक्त हो जाता है | अतः इस जगह को मुक्ति स्थल भी कहा जाता है |
वाराणसी को हमेशा से प्राचीन भारत में धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व के लिए जाना जाता आया है।
गंगा नदी के तट पर स्थित वाराणसी में 87 घाट है जहाँ पूजा अर्चना,धार्मिक अनुष्ठानों और यहां तक कि अंतिम संस्कार के अनुष्ठानों के लिए किये जाते है | इन घाटो का निर्माण 17वीं सदी में मुख्य रूप से मराठा, सिन्धी, होलकर और पेशवा शासकों ने किया |
वाराणसी के घाटों की सूची :
• अस्सी घाट • अहिल्या घाट • आदि केशव घाट • अहिल्याबाई घाट
• बद्री नारायण घाट • बाजीराव घाट • बाउली / अमरोहा घाट • ब्रह्मा घाट • बूंदी परकोटा घाट
• भंडाइनी घाट • भोसले घाट • चऊकी घाट • चौसट्ठी घाट • चेत सिंह घाट
• दांडी घाट • दरभंगा घाट • दशाश्वमेध घाट • दिग्पतिआ घाट • दुर्गा घाट
• गंगा महल घाट (मैं) • गंगा महल घाट (द्वितीय) • गाय घाट• गौरी शंकर घाट
• गणेशा घाट • गोला घाट • गुलारिआ घाट• हनुमान घाट • हनुमानगरधि घाट •
हरीश चंद्र घाट • जैन घाट • जलसई घाट • जानकी घाट • जतारा घाट
• कर्नाटक राज्य घाट • केदार घाट • खिरकिया घाट • खोरी घाट
• श्री गुरु रविदास घाट • लाला घाट • लाली घाट • ललिता घाट
• महानिर्वाणी घाट • मन मंदिरा घाट • माता आनंदमई घाट
• मानसरोवर घाट • मंगला गौरी घाट • मणिकर्णिका घाट
• मेहता घाट • मीर घाट • मुंशी घाट • फूटा घाट • पंचगंगा घाट
• नंदेश्वर घाट • नारद घाट • नया घाट • नेपाली घाट • पांडे घाट
• निरंजनी घाट • निषाद घाट • पुराना हनुमाना घाट • पंचकोटा • प्रभु घाट
• प्रह्लाद घाट • प्रयाग घाट• राजघाट पेशवा अमृतराओ द्वारा बनाया गया
• राजा घाट / दुफ्फरीन पुल / मालवीय पुल• राजा ग्वालियर घाट
• राजेंद्र प्रसाद घाट • राम घाट • राणा महला घाट • रेवन घाट
• शिवाला घाट • शीतला देवी घाट • शीतला घाट • सक्का घाट •
संकठा घाट • सर्वेश्वर घाट • सिंधिया घाट• सामने घाट • सोमेश्वर घाट
• टेलिनाला घाट • त्रिलोचन घाट • त्रिपुरा भैरवी घाट
• तुलसी घाट • वच्छराज घाट • वेणीमाधव घाट • विजयनगरम घाट
वाराणसी के घाट न केवल अध्यात्मिक है बल्कि पर्यटकों का आकर्षण केंद्र भी है | दुनिया भर के लोग यहाँ की खुब्शुर्ती को अपने कैमरे में कैद कर लेना चाहते है | यहाँ दशाश्वमेध घाट की महाआरती देखने के लिए पर्यटकों एवं श्रधालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है | घाट बेहद लोकप्रिय पर्यटक आकर्षण हैं। फोटोग्राफरों की भीड़ से सारी दुनिया में इस जगह पर आती है।
वाराणसी के प्रमुख घाटों का संचिप्त वर्णन :
दशाश्वमेध घाट - यह वाराणसी का सबसे प्रसिद्ध घाट है | इसे काशी का सबसे पुराना घाट माना जाता है | यहाँ हर संध्या माँ गंगा की महाआरती की जाती है |
मणिकर्णिका घाट - यह बनारस का वो घाट है जहाँ से इंसान को मोक्ष प्राप्त होता है अर्थात यहाँ दाह संस्कार किया जाता है | इस घाट पर 24 घंटे मृत व्यक्तियों का दाह संस्कार किया जाता है और ऐसा मन जाता है कि पिछले 2500 वर्षों से यहाँ पर निरंतर आग जल रह है |
हरीश चंद्र घाट - इस घाट का नाम राजा हरीश चंद्र के नाम पर रखा गया है। इस घाट को आदि मणिकर्णिका घाट के नाम से भी जाना जाता है | मान्यता है की जिसका भी अंतिम संस्कार इस घाट पर किया जाता है, वो जीवन और मृत्यु के चक्र से आज़ाद होकर सीधे मोक्ष को प्राप्त होता है |
अस्सी घाट - इस घाट पर अस्सी नदी गंगा नदी में मिल जाती है इसलिए इस घाट का नाम अस्सी घाट है | यह घाट वाराणसी के दक्षिणी भाग में है | यहाँ भगवान भोलेनाथ का एक भव्य शिवलिंग है जो एक पीपल वृक्ष के नीचे है।
तुलसी घाट - प्रसिद्ध कवि और संत तुलसीदास के नाम पर इस घाट का नाम रखा गया है | मान्यता है कि तुलिदास ने यहीं बैठ कर रामायण और हनुमान चालीसा की रचना की थी | कार्तिक मास में यहाँ एक कृष्ण पूजा समारोह आयोजित किया जाता है।
चेट सिंह घाट - 18 वीं सदी में वाराणसी के महान राजा चेट सिंह ने अंग्रेजों के खिलाफ यहीं पर युद्ध किया था | इसलिए इस घाट का नाम उनके नाम पर रख दिया गया |
दरभंगा घाट - दरभंगा घाट का निर्माण 1990 के दशक में बिहार के दरभंगा के एक शाही परिवार ने करवाया था | मिथिला के महान वास्तुकला का एक आदर्श उदाहरण है दरभंगा घाट है | यह बिहार के तत्कालीन वित्त मंत्री नारायण मुंशी द्वारा 1912 में पुनः बनाया गया था।
मैन मंदिर घाट - मैन मंदिर घाट का निर्माण जयपुर के महाराजा मान सिंह ने 1600 ई. में करवाया था। राजपूत वास्तुकला से निर्मित एक प्राचीन महल भी इस घाट पर है | सवाई जयसिंह द्वितीय ने 1730 में यहाँ एक खगोल विज्ञान वेधशाला भी बनायीं थी ।
सिंधिया घाट - सिंधिया घाट मणिकर्णिका घाट के समीप स्थित है | यह घाट सिन्धी शासकों ने बनवाया था जो अभी भी सिंधिया (शिंदे) के परिवार संरक्षण में है। इस घाट का सबसे बड़ा आकर्षण एक शिव मंदिर है, जो आंशिक रूप से पानी में डूबा है ।
भोसले घाट - यह घाट मराठा शैली का विशिष्ट नमूना है। यहाँ एक भव्य पत्थर के घरों के निर्माण मराठो के काल में किया गया।
दत्तात्रेय घाट - यह घाट दत्तात्रेय नाम के एक ब्राह्मण संत के पदचिह्न के कारण जाना जाता है। इस घाट के पास संत को अर्पित एक छोटा सा मंदिर है।
पंचगंगा घाट - यह जगह है, जहां पांच नदियों गंगा, यमुना, सरस्वती, किराना, और धूतपाप का मिलाप है। यह जगह औरंगजेब द्वारा बनवाये आलमगीर मस्जिद के लिए जाना जाता है।
राजघाट - इस घाट को आदि केशव घाट के रूप में जाना जाता है क्योंकि यहाँ आदि केशव विष्णु मंदिर है। यह माना जाता है की श्री विष्णु ने पहले बनारस में यहां अपने कदम रखे थे।