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पाँच वर्ष

21 सितम्बर 2018

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आज अखबार में विज्ञापन छपा था, विज्ञापन के साथ ही पूछताछ के एक सम्पर्क अंक (नम्बर) भी,नवनीत सुबह सुबह चाय की चुस्की ले अखबार पढ़ रहा, अचानक उसकी निगाह उस विज्ञापन पर गयी । चाय का कप टेबल पर रख कर दोनों हाथों में अखबार को ले विज्ञापन पढ़ने लगा । "कुशल इंजीनियर की की आवश्यकता वेतन अनुभव व योग्यता के आधार पर" , तुरन्त ही नवनीत में संपर्क नम्बर पर सम्पर्क कर बाकी जानकारियां ले ली । पूछताछ के बाद नवनीत ने तुरंत ही अपनी ऑफिस फोन कर के आज का अवकाश ले लिया । फोन पर बताये अनुसार ही नवनीत साक्षात्कार के लिये समय रहते ही निश्चित स्थान पर पहुँच गया । बहुत लम्बी लाइन लगी थी, कुल 5 जगहों पर लगभग 40 लोग साक्षात्कार के लिये वहाँ पहुँचे थे । देश मे बेरोजगारी दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है,जिसका फायदा अप्रत्यक्ष रूप में सब कम्पनियां उठा रही है । नवनीत का 10वां नम्बर था, साक्षात्कार के वक्त मन मे अनबन सी बनी रहती है, पता नहीं क्या पूछेंगे ? बड़ी मुश्किल से एक नौकरी नजर आई है वह भी हाथ से चली न जाये । यही सब सोच नवनीत भी सहमा हुआ था । हालांकि वह एक कम्पनी में अभी भी कार्यरत था, वहाँ पिछले 15 वर्ष से वेतन बढोत्तरी न होने की वजह से वह परेशान था । इतनी महंगाई में 10-15 हजार रुपये से घर का चूल्हा भी न सिगले । ऊपर से किराये का मकान,बिजली बिल, राशन, भाड़ा, इन्हीं खर्चों के दबाव में आज दूसरी कम्पनी चुनने का विचार मन मे आया । तभी उसके कान में आवाज आई, "नवनीत" , यस मैडम और वह सहमा सहमा सा आवाज की दिशा में आगे बढ़ गया । क्या मैं अंदर आ सकता हूँ मैडम ? यस कम इन.... सिट डाउन धन्यवाद मैडम अपने डॉक्यूमेंट लाइये... जी मैडम ...लीजिये मैडम ने शौक्षणिक योग्यता सम्बन्धी सभी दस्तावेज बारिकी से पढ़ें । ओह ! बहुत अच्छे.... आपने बीटेक 80 प्रतिशत नम्बर से पास की है । इतने अच्छे नम्बर है फिर क्या आपने कभी सरकारी नौकरी के लिये ट्राई नहीं किया । जी मैडम किया था, कई बार ट्राई किया था पर सामान्य वर्ग में होने की वजह से सलेक्शन नहीं हो पाया । मैडम : ओह.. ये बात है... सामान्य वर्ग में होने से क्या फर्क पड़ता है । नवनीत ने अभी इस प्रश्न का जबाव देना ठीक नहीं समझा । मैडम : अच्छा ये बताओ, आपको इसी कम्पनी में नौकरी क्यों चाहिए ? नवनीत : मैडम सच पूछो तो इस प्रश्न का उत्तर अभी मेरे पास नहीं है ? पर सच्चाई यही है मैडम कि बेरोजगार लोगों को नौकरी चाहिये भले ही वह किसी भी कम्पनी में क्यों न हो । मैडम : इस कम्पनी से जुड़कर, पाँच वर्ष बाद आप अपने आप को कहाँ देखते हैं ? नवनीत : इस सवाल का को सुनकर उसका मन विचलित हो गया,ये वही सवाल था जो आज से पन्द्रह वर्ष पहले एक इंटरव्यू में सुना था । यह सवाल सुनकर नवनीत ने एक बारगी चुप्पी साध ली, फिर लम्बी साँस लेकर बोला... हमारे देखने से क्या होता है मैडम ये बेरोजगारी जहाँ चाहेगी वहीं रहेंगे । और नैनो से जलधार फूट पड़ी । - नवीन श्रोत्रिय उत्कर्ष

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