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दुर्गा पूजा पर निबंध हिंदी में

10 अक्टूबर 2018

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दुर्गा पूजा के महत्त्व पर निबंध हिंदी में-Essay on Durga Pooja.

दुर्गा पूजा पर निबंध: हम भारत देश में रहते है यहाँ विभिन्न धर्मो के लोग आपस में भाईचारे के साथ रहते है जैसे- हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई| और अलग अलग धर्मो को मानते है| दुर्गा पूजा, दिवाली, ईद, मुहर्रम,छठ, जन्मास्टमी इत्यादि| लेकिन दुर्गा पूजा उन त्योहारों में से हटकर है, क्योकि ये पूजा नो दिन तक चलती है, और एक से नो दिन का अलग-अलग महत्त्व है| दुर्गा पूजा के नो देवियों के महत्व हम अलग-अलग से विश्लेषण करेगें।

दुर्गा जी शक्ति की देवी माना जाता है, क्योकि जब पृथ्वी पर राक्षसों का अत्याचार बहुत बढ़ गया था और सभी देवता राक्षसों से हार मन चुके थे, तभी दुर्गा जी ने अवतार लेकर राक्षसों का अंत करने का बीड़ा उठाया था| इसलिए हम शक्ति की पूजा करते है|

दुर्गा पूजा का त्यौहार खासकर बंगाल के लोगो का मुख्य त्यौहारों में से एक है , लेकिन यह त्यौहार बंगाल को छोड़कर भारत भर के अन्य हिस्सों में भी धुम-धम से मनाया जाता है| चाहे वो कोई भी धर्म या समुदाय का क्यों न हो |

विशेषता:- दुर्गा पूजा हिन्दुओ का बहुत बड़ा त्यौहार है| लोग यह त्यौहार बहुत ही धूम धाम से मनाते है| यह त्यौहार अश्विन महीने के पिछले यानि शुक्ल पक्ष से सुरु होकर नौ दिन तक चलता है| इस त्यौहार में कुछ लोग नौ दिन तक उपवास करते है तथा कुछ लोग खष्टी , सप्तमी , अष्टमी और नवमी इन चार दिनों का उपवास करते है , तथा कुछ लोग केवल शुरु और अन्तिम दिन को ही उपवास रखते है । दसवें दिन को विजयदशमी या दशहरा कहा जाता है।

इस दिन लोग बहुत ही उत्साह, विश्वाश तथा हर्षोलास से मनाते है, चारो और ख़ुशी का माहौल होता है | दुर्गा माता की विशाल और भव्य मूर्ति बाजार में स्थापित की जाती है, तथा वहां पर मेले का भी आयोजन होता है ।

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Introduction of Durga Pooja ( दुर्गा पुजा एक परिचय ) :-

दुर्गा पूजा पर निबंध: हम भारत देश में रहते है यहाँ विभिन्न धर्मो के लोग आपस में भाईचारे के साथ रहते है जैसे- हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई| और अलग अलग धर्मो को मानते है| दुर्गा पूजा, दिवाली, ईद, मुहर्रम,छठ, जन्मास्टमी इत्यादि| लेकिन दुर्गा पूजा उन त्योहारों में से हटकर है, क्योकि ये पूजा नो दिन तक चलती है, और एक से नो दिन का अलग-अलग महत्त्व है| दुर्गा पूजा के नो देवियों के महत्व हम अलग-अलग से विश्लेषण करेगें।

दुर्गा जी शक्ति की देवी माना जाता है, क्योकि जब पृथ्वी पर राक्षसों का अत्याचार बहुत बढ़ गया था और सभी देवता राक्षसों से हार मन चुके थे, तभी दुर्गा जी ने अवतार लेकर राक्षसों का अंत करने का बीड़ा उठाया था| इसलिए हम शक्ति की पूजा करते है|

दुर्गा पूजा का त्यौहार खासकर बंगाल के लोगो का मुख्य त्यौहारों में से एक है , लेकिन यह त्यौहार बंगाल को छोड़कर भारत भर के अन्य हिस्सों में भी धुम-धम से मनाया जाता है| चाहे वो कोई भी धर्म या समुदाय का क्यों न हो |

विशेषता:- दुर्गा पूजा हिन्दुओ का बहुत बड़ा त्यौहार है| लोग यह त्यौहार बहुत ही धूम धाम से मनाते है| यह त्यौहार अश्विन महीने के पिछले यानि शुक्ल पक्ष से सुरु होकर नौ दिन तक चलता है| इस त्यौहार में कुछ लोग नौ दिन तक उपवास करते है तथा कुछ लोग खष्टी , सप्तमी , अष्टमी और नवमी इन चार दिनों का उपवास करते है , तथा कुछ लोग केवल शुरु और अन्तिम दिन को ही उपवास रखते है । दसवें दिन को विजयदशमी या दशहरा कहा जाता है।

इस दिन लोग बहुत ही उत्साह, विश्वाश तथा हर्षोलास से मनाते है, चारो और ख़ुशी का माहौल होता है | दुर्गा माता की विशाल और भव्य मूर्ति बाजार में स्थापित की जाती है, तथा वहां पर मेले का भी आयोजन होता है ।

यह कार्यक्रम सप्तमी से सुरु हो जाता है| माता की मूर्तियों को रंग-बिरंगी कपड़ो तथा फूलो से सजाई जाती है | दुर्गा माता के दस हाथ होते है और दसो हाथों में अस्त्र-सस्त्रो से से सुसज्जित होती है चारो और वातावरण प्रफुलित हो उठता है सुबह और शाम को चारो और आरती और माता की भजन सुनाई देता है ।

सभी स्कूल और कॉलेज बंद रहते है तथा व्यापारी अपने प्रतिस्थान को भी बंद कर देते है | दुर्गा पूजा की तैयारी लोग दो महीने पहले से ही कर देते है | और जो मुर्तिकार होते है, वो तो चार महीने पहले से ही दुर्गा माताजी की प्रतिमा को बनाने चालू कर देते है।

जो लोग अपने रोजी रोटी के लिए अपने गांव से बाहर शहरों में जाते है वे सभी दुर्गा-पूजा पर अपने घर लोट आते है| बच्चे बूढ़े सभी नए नए कपड़े पहनते है तथा आपसी भाई चारे का सन्देश देते है| तथा बच्चें विजयादश्मी के दिन अपने अभिभावक से साथ दुर्गा जी के दर्शन करने के लिए मेलें में जाते है, वहां पर बच्चे अपने लिए मिठाई के साथ-साथ खिलौंने भी खरीदकर घर आते है, मेले के रास्ते में बच्चे खुशी के मारे अपने खिलोने को बजाते हुए आते है, जिससे पुरा रास्ता और वातवरण पुं पा तथा आने-जाने वाले वाहनो की होर्न के आवाज से और भी वातवरन प्र्फ़ुल्लित हो उठता है ।

दुर्गा-पूजा अलग अलग नाम :- Different names of Durga pooja
दुर्गा पूजा को को लोग अलग अलग नामो से भी पुकारते है | जैसे- बंगाल , असम , ओडिशा तथा त्रिपुरा में लोग दुर्गा पूजा को अकाल बोधन के नाम से जानते है |

जबकि गुजरात , उत्तर प्रदेश , पंजाब , केरला तथा महारष्ट्र के लोग इन्हे नवरात्री के नाम से मनाते है| गुजरात के लोग कलशस्थापन से लेकर नवमी तक रोज-रोज डांडिया का आयोजन करते है | तथा तरह तरह का प्रोग्राम का आयोजन करके लोगो का मनोरंजन करते है |

हम सभी भारत देश को भारत माता के नाम से पुकारते है| हमारे देश में पुरुष से ज्यादा नारी का महत्त्व दिया जाता है। देवताओ से ज्यादा देवियो का महत्त्व दिया जाता है, इसीलिए हम लोग माँ दुर्गा को सबसे उच्च स्थान देकर उनकी पूजा करते है|

अत्र नारि पुज्यअन्ते तत्र रमन्ते देवता

अर्थात जहां नारी की पुजा होती है, वहां देवता वास करते है, ये हमारे यहां मान्यता है ।

अतः दुर्गा पूजा का महत्त्व हमारे यहाँ बहुत ज्यादा है |दुर्गा पूजा का त्यौहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है|

दुर्गा-माता पर आधारित पौराणिक कथाएं

एक कथा के अनुसार दुर्गा देवी हिमालय और मेनका की पुत्री थी, जो एक सती के अवतार थी, कालन्तर में उनकी शादी भगवान शंकर से हुई। और दुर्गा-पूजा के प्रथम शुरुआत तब हुई जब मर्यादा-पुरुषोतम भगवान राम ने रावण को वध करने के लिए देवी दुर्गा से शक्ति प्राप्त करने के लिए प्रार्थना की थी।

एक किवदंती के अनुसार इसी दिन दुर्गा माता ने चंडी का रूप धरकर महा बलशाली राक्षस महिषासुर जिसने स्वर्ग पर अधिकार कर बेठा था, जिसने कठिन तपस्या करके बर्ह्मा जी से वरदान प्राप्त कर रखा था, जो भैसे के समान बलशाली था, पर विजय पाई थी, महिसासुर ने पृथ्वी पर चारो और त्राहि त्राहि मचा रखा था ।

ब्रम्हा , विष्णु तथा शिव तथा सारे देवतागण ने मिलकर दुर्गा माता की विनती किया की देवी महिसासुर के आतंक से पृथ्वी को मुक्त करो और मानव जाती का कल्याण करों तब माँ दुर्गा ने अष्टभुजा का रुप धरा था, जिसे हम चंडी के नाम से जानते है, जिन्होने दशमी के दिन ही राक्षस महिषासुर का वध किया था |

दुर्गा माता और राक्षस महिषासुर के बीच ये धर्म की लडाई पुरे नो दिन तक चली थी, माता ने अलग-अलग रुप धरकर महाबली राक्षस महिषासुर का नवमें दिन में वध किया था, इसलिए ये पुजा पुरे नव दिन तक चलता है और दसवें दिन को विजयदशमी या दशहरा कहते है |

दूसरी किवदंती के अनुसार रामायण में भगवन राम ने रावण को मारने के पहले दुर्गा जी की आराधना एवं पूजा करके शक्ती का आशीर्वाद लिया था फिर दुर्गा जी प्रकट होकर उन्हें आशीर्वाद दिया और कहा जाओ और विजय होकर लोटो तथा मानव जाति एवं पृथ्वी का कल्याण करो | तो इसी दशमी के दिन भगवन राम ने दशानन रावण का वध किया था|

दुर्गा पूजा के सोलह दिन के बाद दिवाली का त्यौहार आता है उसी दिन भगवन राम भाई लक्ष्मण तथा भार्या सीता जी के साथ चौदह बर्ष का वनवास की अवधि को बिताकर अयोध्या वापस आये थे |

People Celebrate Durga Pooja :-

वैसे तो दुर्गा पूजा बंगाल का प्रसिध्द त्यौहार है, लेकिन इसके आलावा बिहार , झारखण्ड ,ओर्रिसा , असम तथा त्रिपुरा में मनाए जाते है| हमारे पड़ोसी देश नेपाल में भी दुर्गा-पुजा मनाया जाता है | क्योकि नेपाल एक हिन्दू प्रधान देश है यह हिन्दुओ की आबादी 91 % है |

विजयदशमी के दिन कुछ जगहों पर नाटक तथा नाच गाने का भी आयोजन करवाते है| दुर्गा पूजा का कार्यक्रम पूरा हो जाने के अगले दिन सारे लोग दुर्गा जी प्रतिमा को विसर्जित करने का प्रोग्राम करते है और माता की प्रतिमा को विसर्जित करने के लिए तालाब , नदी या जहां गहरे पानी हो वहां ले जाकर मूर्ति को विसर्जित करते है|

और सभी भक्त माता को मन से खूब यद् करते है और उनसे कहते है की अगले साल फिर आप आना और अंतिम में उन्हें उदास होकर वापस लौटना पड़ता है| और ये परंपरा हर साल चलती रहती है ।

दुर्गा-पुजा के लिए बहुत से लोग चंदा एकत्रित करते है और भव्य पंडाल का आयोजन करवाते है तथा उस पंडाल में सुबह शाम माता जी की आरती उतारते है उस पंडाल में रामलीला का मंचन होता है । तथा अंतिम दिन में भव्य-भंडारा का आयोजन भी करवाते है| तथा कुछ लोग इस दिन अविवाहित कुंवारी कन्या को भोजन करवाते है, उनका एसा मानना है, कि माता खुश होगी, और सुख-समृध्दि की वृध्दि होगी ।

इस त्यौहार में कुछ लोग मुक्त हस्त से दान भी देते है, जो धनपति है, जिसे मां ने भरपुर धन-धान्य दिया है। माता की उनहे अपने दिल से आशीर्वाद देती है तथा उन्हें धन-धान्य की वृद्धि भी करती है |

बड़े- बूढ़े , बच्चे सभी नए नए कपड़े पहनते है तथा भाई चारे का सन्देश देते हुए इनका समापन करते है |

हमें दुर्गा पूजा से क्या सिख मिलती है:- दुर्गा माता शक्ति की माता है इसलिए दुर्गा माँ की पूजा शक्ति को पाने की लिए की जाती है | दुर्गा जी ने राक्षस महिषासुर का वध किया था जो किसी देवताओ के वश में नहीं था, और मानव-कल्याण के लिए धरम की रक्षा की |

अत: हम सब यह प्र्ण ले कि हमे भी अपनी शक्ति का उपयोग मानव-कल्याण एवं अच्छे कामो मे लगाना चाहिए । सभी यह प्रण ले की हमें भी बुराइयों पर विजय प्राप्त करने के लिए तथा मानव-कल्याण के लिए ही, धर्म की रक्षा के लिए ही काम करना है |

दुर्गा माता अपने भक्तों के मन में नाकारात्मक उर्जा को बाहर निकाल फ़ेकती है, तथा उसके अन्दर साकारात्मक उर्जा का निर्माण करती है ।

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