ले लिया संकल्प तो पूरा करो,
मुश्किलों से ठोकरों से ना डरो।
तोड़ कर चट्टान निकलेगी नदी,
मत इरादा मोम का रख्खा करो।
सब डराएंगे अंधेरों से तुम्हें,
आप सूरज की तरह निकला करो।
क्या मिला है क्या मिलेगा सोच ना,
खुद को इतना दीजिए छलका करो।
रंग खुशबू और हवाओं का हुनर,
जोश रग-रग में भरो पैदा करो।
जीत हो या हार दिल से खेलिये,
कोशिशें थोड़ी नहीं ज़्यादा करो।
भरने दो खुलकर परिंदों को उड़ाने,
आज क़द का आसमां ऊँचा करो।
आये हो तो जाओगे इक दिन जरूर,
पाक़ दामन को ना यूँ मैला करो।
***
'अनुराग'