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दूर नैन से भी हो जुदा,वे दिल से कब हुए

24 अक्टूबर 2018

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ऐ सिरफिरी हवा ले आ,उनकी कुछ खबर
बिखरा खुश्बू ऐसे कि,महक जाए ये शहर
या हवा दे आ मेरा,कुछ हाल या पता उन्हें
सुनके दास्तां वे सिहर,जायें ऐसा हो असर
ऐ सिरफिरी हवा ले आ,उनकी कुछ खबर
बिखरा खुश्बू ........।


जा कह दिलवर से क्या,दिल पे गुजरती है
कि रातें कयामत की हैं,कैसे घोलतीं जहर
उनके यादों के भंवर में,गोतें लेती फिर भी
जाने कैसी मैं दरिया रहती,प्यासी हर पहर
ऐ सिरफिरी हवा ले आ,उनकी कुछ खबर
बिखरा खुश्बू .......।


दिल यादों की पगडंडियों,पे फिरे आवारा

दिन तो कट जाते होतीं,विरां शामें अक्सर

जलकेे दरिचों पे जाते बुझ,दीप पलकों के
सूरज भी ढाये ढल,तन्हाई के दर पर कहर

ऐ सिरफिरी हवा ले आ,उनकी कुछ खबर
बिखरा खुश्बू .......।


रूतों ने बदले रूख कई,बदलीं तारीखें नई
मगर शक्लें इन्तज़ार की,नहीं बदलीं नज़र
कभी बहार की परिधि,लूटीं कभी खिज़ांयें
पर खड़ा खिज़ां में भी,घने आस का शजर
ऐ सिरफिरी हवा ले आ,उनकी कुछ खबर
बिखरा खुश्बू ........ ।


खामोश सीने की पनाहों में,हैं मौजें हजारों
सुलगते रेतों पे क्या जानें,वो जलता जिगर
उनकी ही अता है कि,आसेब जिन्दगी मेरी
क्या हर्फ़ों से वे समझेंगे,कैसे कटता सफर
ऐ सिरफिरी हवा ले आ,उनकी कुछ खबर
बिखरा खुश्बू ....... ।


दिल को हजारों ज़ख़म दे,बहारें गईं गुजर
मगर उनकी याद का,न नजराना कीं इधर
दूर नैन से भी हो जुदा,वे दिल से कब हुए
अहदे-ख़िज़ाँ ये जिस्त यादें,फिर भी अमर
ऐ सिरफिरी हवा ले आ,उनकी कुछ खबर
बिखरा खुश्बू ....... ।


अता--दी हुई
आसेब--भटकती

अहदे-ख़िज़ाँ--पतझड़ युक्त
सर्वाधिकार सुरक्षित
शैल सिंह

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