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मार्वल कॉमिक के फैंटास्टिक हीरो की याद में

13 नवम्बर 2018

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फैंटास्टिक फोर जैसे सूपर हीरो को जन्म देने वाले मार्वल कॉमिक की जान, उसके लेख़क, सम्पादक और प्रकाशक स्टेन ली का सोमवार 12 नवंबर की सुबह देहांत हो गया। यूएस मीडिया के अनुसार 95 वर्ष के स्टेन ली की मृत्यु लॉस एंजिल्स स्थित हॉलिवुड हिल्स में हुई। उनकी मृत्यु के कारणों के बारे में अभी तक कोई निश्चित जानकारी नहीं मिली है। यूएस मीडिया कहता है कि वे काफ़ी लम्बे अरसे से बीमार थे। निमोनिया और कमज़ोर दृष्टि से परेशान थे। 12 नवंबर की सुबह कैलिफोर्निया के लॉस एंजिल्स में सीडर सिनाई मेडिकल सेंटर में उन्होंने अपनी आख़िरी सांस ली।


मार्वल कॉमिक वही कॉमिक है जिसके सूपरहीरो पर सूपर-डूपर फ़िल्में बनी हैं। एवेंजर्स, स्पाइडर मैन, डा. स्ट्रेंज, आइरन मैन, ब्लैक पेंथर और एक्स-मैन, ये सभी मार्वल कॉमिक के ही किरदार हैं। इनके जन्म में स्टेन ली का प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर योगदान रहा है।


सूपरहीरो समेत कईयों ने दी श्रद्धांजलि


स्टेन ली की मृत्यु पर मार्वल कॉमिक और हॉलिवुड की कई हस्तियों ने शोक व्यक्त किया है। राबर्ट डॉनी जूनियर, क्रिस इवांस, सेबिस्टिययन स्टोन, टॉम हॉलैंड, मार्क रफ़्लो, जेनिफर लॉरेंस, रयान रेनॉल्ड्स और ड्विन द रॉक जॉनसन ने उन्हें श्रद्धांलि अर्पित की।

फैंटास्टिक कोर में ह्यूमन टॉर्च और कैप्टन अमेरिका के सूपरहीरो के किरदार निभाने वाले अमेरिकी अभिनेता क्रिस इवान्स ने अपने ऑफ़िशियल ट्विटर हैंडल पर ट्वीट करते हुए कहा, एक और स्टेनली कभी नहीं होगा।


उनकी मृत्यु पर मार्वल एंटरटेन्मेंट ने कहा, हम स्टेनली की मृत्यु पर गहरी उदासी के कारण शांत हैं, उकी स्मृतियों में डूबे हैं।


मार्वल स्टूडियों के अध्यक्ष कैविन फैज ने भी उन्हें श्रद्धांजलि दी। उन्होंने कहा कि मेरे करियर और मार्वल स्टूडियों में हम जो कुछ भी करते थे, उस पर स्टैन ली का बहुत अधिक प्रभाव रहा है। उतना प्रभाव किसी और का उनके करियर में रही रहा है।


स्टैन ली को कॉमिक लेखक होने पर शर्म आती थी


अप्रैल 2014 में शिकागो ट्रिब्यून को दिए एक साक्षात्कार में उन्होंने कहा था कि मुझे कॉमिक लेखक होने पर शर्म आती थी। वे सोचते थे कि जहाँ बाकि लोग पुल बना रहे हैं, मेडिकल में अपना करियर बना रहे हैं, वहीं मैं कॉमिक किरदारों जो अद्भुत कार्य करते हैं और अजीब तरह के कपड़े पहनते हैं, की कहानियाँ लिख रहा हूँ। लेकिन बाद में उन्हें अहसास हुआ कि मनोरंजन लोगों की ज़िंदगी का अहम हिस्सा है। वे कहते हैं कि मुझे महसूस होता है कि यदि आप लोगों का मनोरंजन कर सकते हैं तो आप अच्छा काम कर रहे हैं। इसकी अहमियत को नकारा नहीं जा सकता।


ली के सूपरहीरो


ली ने जिन सूपरहीरो को जन्म दिया है, उनमें अद्भुत शक्तियाँ हैँ। ये शक्तियाँ ही उन्हें मजबूत बनाती हैं। उन्हें भारी भरकम दुश्मन से लड़ने में मदद करती हैं। लेकिन उनकी पहचान महज़ उनकी शक्तियों की वजह से नहीं है। उनकी कमज़ोरी भी उनकी पहचान है। वे मशीनी नहीं हैं, उनमें इनसानी जज़्बात हैं। इनसानों की तरह वे साहसी भी हैं और कभी-कभी कमज़ोर भी पड़ते हैं। हर बार दुश्मन से विजयी होने पर भी वे परफेक्ट नहीं हैं। वे गलतियाँ करते हैं, मुहब्बत करते हैं। कन्फ्यूज भी होते हैँ।


उदाहरण के लिए पीटर पार्कर यानि स्पाइडर मैन अपने डैंड्रफ़ से परेशान होता है। लड़की को डेट के लिए पूछने से घबराता है। द अमेज़िंग स्पाइडर मैन में वह अपने नेक इरादे से भटक भी जाता है, जो यह बताता है कि दुनिया में कोई भी परफ़ेक्ट नहीं है, सूपरहीरो भी नहीं। यहाँ तक कि भारी-भरकम सूपरहीरो हल्क भी प्रेम के आगे हल्का पड़ जाता है। स्पाइडर मैन और हल्क जैसे किरदार बताते हैं कि सूपरहीरो भी 24 घंटे माचो-मैन वाली ज़िंदगी नहीं जीते।


ये सूपरहीरो किसी संकीर्ण मानसिकता से नहीं पनपे हैं। न ही ये बच्चों को भटकाने काम करते हैं। वे बताते हैं कि मर्द को दर्द होता है, भले ही वह सूपरहीरो क्यों न बन जाए। वे दुखी भी होते हैं, रोते भी हैं।


इन किरदरों पर बनी फ़िल्मों के लेखन में भी स्टैन ली ने अहम भूमिका अदा की है। ये फ़िल्में बताती हैं कि सूपरहीरो होना आसान नहीं है। आपके पास शक्तियाँ हैं, तो जिम्मेदारियाँ भी हैं। कभी-कभी उन जिम्मेदारियों के चलते अपनी निजी खुशियों का भी त्याग करना पड़ता है! समाज अच्छा करने वालों के साथ क्या करता है, ये फ़िल्में यह भी दिखाती हैं। उदाहरण के लिए, स्पाइडर मैन फ़िल्म का मीडिया स्पाइडर मैन का हीरो की तरह नहीं, दानव की तरह चित्रण करता है। सूपरहीरो होते हुए भी पीटर पार्कर एक मामूली से किराए वाले मकान में रहता है। अपनी पढ़ाई का ख़र्च उठाने के लिए काम करता है। उस काम के उसे बेहद कम पैसे मिलते हैं। मीडिया के नकारात्मक रवैये के बावजूद स्पाइडर मैन शहर के लोगों के लिए हीरो है।


हमारे नेताओं को भी इन सूपरहीरो से कुछ सीख़ना चाहिए। उन्हें समझना चाहिए की सत्ता अगर शक्ति देती है, तो जिम्मेदारी भी देती है। उन्हें अपनी जनता के लिए सूपरहीरो की तरह काम करना चाहिए। मीडिया पर दबाव डालने की बजाए अपने काम पर ध्यान देना चाहिए। अपनी छवि सुधारने की बजाए चरित्र सुधारने पर गौर फ़रमाना चाहिए।


स्टैन ली ने एक हिंदी फ़िल्म भी बनाई है


स्टेन ली ने 2013 में अपनी पहली भारतीय सूपरहीरो फ़िल्म, चक्र: द इंविंसिबल बनाई थी। यह फ़िल्म कार्टून नेटवर्क, ग्राफ़िक इंडिया और पाओ इंटरनेश्नल के साँझा प्रयास से बनी थी। यह फ़िल्म एक युवा भारतीय राजू राय की कहानी है, जो मुंबई में रहता है। राजू का एक मार्गदर्शक है। यह मार्गदर्शक एक वैज्ञानिक है। ये दोनों मिलकर एक पोशाक विकसित करते हैं। यह पोशाक पहनने से शरीर के रहस्यमयी चक्र सक्रिय हो जाते हैं। राजू इस पोशाक का इस्तेमाल मुंबई के गुंडो से लड़ने में करता है और एक सूपरहीरो की तरह शहर की रक्षा करता है।


विवादों में भी रहे हैं स्टैन ली


28 दिसंबर, 1922 को न्यूयार्क के एक साधारण से परिवार में स्टेन ली का जन्म हुआ था। माँ का नाम सेलिया था। पिता का नाम जैक था, जो एक दर्जी थे। दुनिया के कई उम्दा लोग जैसे एल्बर्ट आइंस्टाइन, कार्ल मार्क्स, नील्स बोर, बरूच डी स्पिनोज़ा, फ्रायड, अब्राहम, मोसेस, ईसा मसीह आदि यहूदी रहे हैं। स्टेन डी मार्टिन लाईबर भी यहूदी थे।


इतिहास में यहूदी लोगों का बड़ा योगदान रहा है। बड़े कलात्मक रहे हैं। बड़े-बड़े ईजाद किए हैं। बड़े-बड़े विवादों में भी रहे हैं। लेकिन यहाँ विवाद उनके यहूदी होने से नहीं है। विवाद है सूपरहीरो की फिल्मों के श्रेय को लेकर।


ली ने अपने कॉमिक किरदारों पर बनी फ़ल्मों का लेखन भी किया है। इसके लिए उन्होंने अपने कई साथी कलाकारों के साथ मिलकर काम किया। ली ने जैक किर्बी, स्टीव डिटको और कई अन्य कलाकारों के सहयोग से मार्वल कॉमिक को दुनिया की सबसे ज़्यादा बिकने वाली कॉमिक बनाया। किर्बी के साथ मिलकर उन्होंने फैंटास्टिक फोर, हल्क, आइरन मैन, थोर और सिल्वर सर्फ़र और एक्स मेन में काम किया। स्टीव के साथ मिलकर उन्होंने स्पाइडर मैन और सर्जन डॉक्टर स्ट्रेंज जैसे किरदार को लिखा। कलाकार बिल एवर्ट के साथ मिलकर उन्होंने नेत्रहीन सूपरहीरो डेयरडेविल का किरदार लिखा।


लेकिन साथ मिलकर काम करने पर अकसर श्रेय को लेकर विवाद खड़े हो जाते हैं। ऐसा ली के साथ भी हुआ है। ली और डिटको के बीच किरदारों के श्रेय को लेकर आपस में मनमुटाव हुआ। एक दूसरे से लड़ाई हुई। बाद में दोनों को स्पाइडर मैन फिल्म और टीवी शो के लेखन का श्रेय मिला। इस संदर्भ में अप्रैल 2014 में ली ने प्लेबॉय मेगज़ीन से बात करते हुए कहा था, मैं नहीं चाहता कि किसी को ऐसा लगे कि मैंने किर्बी और डिटको के साथ नाइंसाफ़ी की है। मुझे लगता है कि हममें एक अच्छा रिश्ता है। उनमें अद्भुत हुनर है। पर वे जो चीज़ चाहते हैं वह मेरे बस में नहीं है।


आपको बता दें कि मार्वल के किसी भी कर्मचारी के पास कॉपीराईट नहीं है। मतलब अपने बनाए गए किरदारों पर उनका निजी अधिकार नहीं है। ली ने मार्वल के लिए जिन किरदारों के निर्माण में अपना योगदान दिया है, उन पर ली का कोई अधिकार नहीं है। उन्हें किसी तरह की रॉयल्टी प्राप्त नहीं है।


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