shabd-logo

क्या यह समझदारी है

20 नवम्बर 2018

173 बार देखा गया 173

* क्या यह समझदारी है *
? ? ?

हर समय समझदारी का बोझ लिये रहना (गंभीर बने रहना), क्या समझदारी है;
हर बार समझदारी दिखलाते रहना, क्या समझदारी है। ???


कुछ कुछ गलती करते रहना (सीखते रहना), भी समझदारी है;
कभी कभी समझदारी न दिखलाना, भी समझदारी है।


कुछ कुछ प्रयोग करते रहना (नया या नये तरीके से करना), भी समझदारी है;
जीवन के भिन्न भिन्न अनुभव लेना, भी समझदारी है।


परस्थिति के अनुरूप, लचीलापन लिये, सिद्धांतों (जो समाविष्ट न हो सके) को छोड़, जो उचित लगे करना, ही समझदारी है;
यह है अपनी जिंदगी, खुल कर जीना, स्वयं अनुसार जीना, ही समझदारी है।

जीवन का सम्मान करना, बोझ मुक्त रहना, आनंद में रहना, आपस में जुड़े रहना, ही समझदारी है;
निज को जो अनुभव होते हैं, उनका निज केलिये महत्त्व समझना, सम्मान करना, ही समझदारी है।

कौन है मूर्ख, सभी समझदार हैं, फिर समझदारी पर चर्चा, क्या समझदारी है; ???
हम स्वयं को समझदार मानते हैं, फिर समझदारी को समझना, क्या समझदारी है।।
? ? ?

उदय, पूना

1

प्रकृति और हम ( बच्चों केलिए )

16 नवम्बर 2018
0
2
1

कविता को हमेशा इंसान को जीना चाहिए और उनसे कुछ ना कुछ सीखना चाहिए। यहां पर मैंने जो कविता लिखी है वो उनके लिए है जो दिल और दिमाग से पूरे बच्चे हैं।, जिन्होंने स्वयं के अंदर स्वयं का बचपन जीवित रखा है। अपने आपको इन कविता से जोड़कर देखिए

2

कविता : जीवन और परम्परा

16 नवम्बर 2018
0
1
0

कवि एक ऐसा व्यक्ति होता है जो कल्पनाओं में ही इंसान को चांद पर ले जा सकता है और वहां की ताकत ये खुद ही बता सकता है। ऐसी कई कविताओं में वे पूरे ब्राह्मांण को जमीन पर उतार सकते हैं। कविताओं में बहुत ताकत होती है और जिस कवि की कविता दिल को छू जाती है उन्हें हमें और लोगों

3

मैं कट्टर नहीं हूं

18 नवम्बर 2018
0
1
0

मैं कट्टर नहीं हूं स्वयं को भारतीय कहना, मानव कहना कट्टरता नहीं है; अपनी जड़ों से जुड़े रहना; जो समूचे विश्व को एक माने, एक कुटम्ब माने, ऐसी जड़ों से जुड़े रहना कट्टरता नहीं है।

4

उल्टा सीधा

18 नवम्बर 2018
0
1
0

शीर्षक - उल्टा सीधा प्रस्तुत है उल्टा पर सीधा करके। जीवन में पूरी पूरी स्वतंत्रता है;जीवन में पूरी पूरी छूट है।हम स्वयं की ऐसी तैसी करते रहें; स्वयं की ऐसी की तैसी करते रहें;स्वयं की पूरी दुर्दशा करते रहें;इसकी भी पूरी पूरी छूट है;हम इसका उल्टा भी कर सकते हैं, यहां इ

5

यह मेरा जीवन कितना मेरा है ?

20 नवम्बर 2018
0
1
0

** यह मेरा जीवन कितना मेरा है ? ** यह जीवन जो मैं जी रहा हूं, वो किस का है? वो किस किस का है? हम में से प्रत्येक यह प्रश्न, इस तरह के प्रश्न स्वयं से कर सकता है। यह जीवन जो मैं जी रहा हूं, मैं उसको मेरा कहता हूं, समझता हूं। पर यह मेरा जीवन कितना मेरा है? हम कह

6

क्या यह समझदारी है

20 नवम्बर 2018
0
1
0

* क्या यह समझदारी है * ? ? ?हर समय समझदारी का बोझ लिये रहना (गंभीर बने रहना), क्या समझदारी है;हर बार समझदारी दिखलाते रहना, क्या समझदारी है। ???कुछ कुछ गलती करते रहना (सीखते रहना), भी समझदारी है;कभी कभी समझदारी न दिखलान

7

गुस्सा -- Balance Sheet दर्पण

22 नवम्बर 2018
0
1
0

" गुस्सा -- Balance Sheet दर्पण " हम गुस्सा, करते रहते हैं;और गुस्सा करने को, उचित भी ठहराते रहते हैं;और साथ साथ, यह भी, मानते रहते हैं;कि गुस्सा देता, सिर्फ घाटा; . . . सिर्फ हानी;और होते, कितने नुकसान हैं। . . . इस उलझन को, हम देखते हैं।।1।।. . . जब जब हमारा काम हो जाता है, गुस्सा करने से;स

8

मैं भटकता रहा

22 नवम्बर 2018
0
4
3

*गहराई की छिपी वर्जनाओं के स्वर*( "स्वयं पर स्वयं" से ) मैं भटकता रहामैं भटकता रहा; समय, यूं ही निकलता रहा; मैं भटकता रहा। उथला जीवन जीता रहा;तंग हाथ किये, जीवन जीता रहा। न किसी को, दिल खोल कर अपना सका;न किसी का, खुला दिल स्वीकार कर सका;न आपस की, दूरी मिटा सका;न सब कु

9

जीवन जीना आता ही नहीं

23 नवम्बर 2018
0
2
1

जीवन जीना आता ही नहीं हम को जीना आता ही नहीं; हम को जीना आता ही नहीं ; हम को जीना आता ही नहीं। कहीं पहुंच जाने के चक्कर में रहते हैं;जीवन यात्रा का आनंद जाना ही नहीं। और, और, और अधिक चाहते रहते हैं;नया पकड़ने केलिए, मुट्ठी ढ़ीली करना आता ही नहीं। दूसरों को जिम्मेदार ठहरता रहता है;बदलना तो स्वयं को है,

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए