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क्या चाहिए जीवन केलिए

24 नवम्बर 2018

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क्या चाहिए जीवन केलिए


जीवन सुन्दर है, जीवन आंनद है, प्रत्येक व्यक्ति केलिए;

पर हम, स्वयं की कैद में रहते हैं, घुट घुटकर मरने केलिए।


जो कमाई करते रहते हैं, केवल पेट पालने केलिए;

वो भर पेट भोजन क्यों त्यागते, केवल कमाई करने केलिए।


न जाने क्या क्या जुटाते रहते हैं, बाद में ही जीवन जीने केलिए;

जो पास में होता है, बहुत होता है, जीने केलिए।


न जाने किस किस केलिए, मन में जगह बनाते हैं;

पर भूले रहते हैं, स्वयं को ही जगह देने केलिए।


परेशान हो, न न उपाय करते हैं, स्वयं की ही कैद में रहने केलिए;

जीवन सुन्दर है, एक हो जाएं, जुड़ जाएं स्वयं से स्वयं केलिए।


स्वयं को स्वयं की कैद से मुक्त करें, जीवन है प्रसन्न रहने केलिए।


उदय पूना

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रचनाएँ
LahalKavita
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लहल - कविता में लहर ही लहर; कविता में हर 2 या 3 पंक्ति में एक बिंदु, लगातार बिंदु के बाद बिंदु, गज़ल नुमा;
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जीवन जीना आता ही नहीं

24 नवम्बर 2018
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जीवन जीना आता ही नहींहम को जीना आता ही नहीं; हम को जीना आता ही नहीं ;हम को जीना आता ही नहीं।कहीं पहुंच जाने के चक्कर में रहते हैं;जीवन यात्रा का आनंद जाना ही नहीं।और, और, और अधिक चाहते रहते हैं;नया पकड़ने केलिए, मुट्ठी ढ़ीली करना आता ही नहीं।दूसरों को जिम्मेदार ठहरता रहता है;बदलना तो स्वयं को है, पर स

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क्या चाहिए जीवन केलिए

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