क्या चाहिए जीवन केलिए
जीवन सुन्दर है, जीवन आंनद है, प्रत्येक व्यक्ति केलिए;
पर हम, स्वयं की कैद में रहते हैं, घुट घुटकर मरने केलिए।
जो कमाई करते रहते हैं, केवल पेट पालने केलिए;
वो भर पेट भोजन क्यों त्यागते, केवल कमाई करने केलिए।
न जाने क्या क्या जुटाते रहते हैं, बाद में ही जीवन जीने केलिए;
जो पास में होता है, बहुत होता है, जीने केलिए।
न जाने किस किस केलिए, मन में जगह बनाते हैं;
पर भूले रहते हैं, स्वयं को ही जगह देने केलिए।
परेशान हो, न न उपाय करते हैं, स्वयं की ही कैद में रहने केलिए;
जीवन सुन्दर है, एक हो जाएं, जुड़ जाएं स्वयं से स्वयं केलिए।
स्वयं को स्वयं की कैद से मुक्त करें, जीवन है प्रसन्न रहने केलिए।
उदय पूना