shabd-logo

दोराहा

28 नवम्बर 2018

149 बार देखा गया 149

- = + = दोराहा - = + =

हर क्षण, नया क्षण, सदा साथ लाता है दोराहा


हर क्षण, नया क्षण, सदा साथ लाता है दोराहा;

भटकन से भरा, स्थायित्व से भरा होता है दोराहा।


जिसे जो राह चलना है, चुन ले, सब देता है दोराहा;

होश में रहें, साफ साफ देखें, सब से भरा होता है दोराहा।


भटकते ही रहना है तो, बाहर बाहर रहें सदा, यह अवसर भी देता दोराहा;

स्थायित्व की राह अंदर की ओर है, स्वयं से जुड़ने का अवसर भी देता दोराहा।


हर क्षण, नया क्षण, सदा साथ लाता है दोराहा।

-----------------------------------------------------------------------

हर क्षण, नया क्षण, सदा साथ लाता है दोराहा;

हित से भरा, अहित से भरा होता है दोराहा।


हम स्वयं जो चाहें चयन कर लें, अवसर देता दोराहा;

हम स्वयं का हित चुने, अहित चुने, अवसर देता दोराहा।


हित, अहित को खण्ड खण्ड करें तो हम कह सकते हैं कि;


भटकन से भरा, स्थायित्व से भरा;

खुशी से भरा, उदासी से भरा;

शांति से भरा, अशांति से भरा;

उत्थान से भरा, पतन से भरा;

मुक्ति से भरा, बंधन से भरा;

आनंद से भरा, दुख परेशानी से भरा;

इस तरह की जोड़ियों से भरा होता है दोराहा।


हम स्वयं जो चाहें चयन कर लें, अवसर देता दोराहा;

हम स्वयं का हित चुने, अहित चुने, अवसर देता दोराहा।


हर क्षण, नया क्षण, सदा साथ लाता है दोराहा।

---------------------------------------------------------------------------

हम हर क्षण स्वयं का हित चुने, क्यों करें मन का चाहा;

हम विचारें, क्या होता है जब हम करतें हैं मन का चाहा।


सचेत रहें, तैयार रहें, हित चुनते रहें, यह सतत क्रिया है;

क्योंकि हर क्षण में सदा छिपा रहता है दोराहा;

हम सदा चुनेंगे हित, क्या हुआ जो हर क्षण में छिपा रहता है दोराहा।


हर क्षण, नया क्षण, सदा साथ लाता है दोराहा;

हर क्षण, नया क्षण, सदा साथ लाता है दोराहा।


उदय पूना

12
रचनाएँ
KabheeKabhee
0.0
" कभी कभी " - मेरे चिंतन में छलांग; लेख जो आध्यात्म से जुड़े हुए हैं;
1

यह मेरा जीवन कितना मेरा है ?

23 नवम्बर 2018
0
2
2

** यह मेरा जीवन कितना मेरा है ? ** यह जीवन जो मैं जी रहा हूं, वो किस का है? वो किस किस का है? हम में से प्रत्येक यह प्रश्न, इस तरह के प्रश्न स्वयं से कर सकता है। यह जीवन जो मैं जी रहा हूं, मैं उसको मेरा कहता हूं, समझता हूं। परयह मेरा जीवन कितना मेरा है?हम कहते तो हैं कि यह मेरा जीवन है;कौन नहीं कहता

2

गुस्सा -- Balance Sheet दर्पण

23 नवम्बर 2018
0
1
1

" गुस्सा -- Balance Sheet दर्पण "हम गुस्सा, करते रहते हैं;और गुस्सा करने को, उचित भी ठहराते रहते हैं;और साथ साथ, यह भी, मानते रहते हैं;कि गुस्सा देता, सिर्फ घाटा;. . . सिर्फ हानी;और होते, कितने नुकसान हैं। .. . इस उलझन को, हम देखते हैं।।1।।.. .जब जब हमारा काम हो जाता है, गुस्सा करने से;सफलता मिल जात

3

सीने में दर्द

26 नवम्बर 2018
0
4
2

सूचना - जो समझने के लिये वयस्क हैं, पुराने दर्द से छुटकारा चाहते हैं, केवल उन्हीं के लिये। *सीने में दर्द*कहने वाले कहते हैं, सीने में दर्द छिपा है;पर, यह नहीं कहते, स्वयं ही भर कर रखा है, क्यों ??सीने में इतना दर्द संभाल के र

4

प्रकृति और हम - ( वयस्कों केलिए )

26 नवम्बर 2018
0
2
1

* प्रकृति और हम *(( वयस्कों केलिए गहरा सन्देश लिए ))जब एक पेड़ बीमार होता है, तो क्या करते हैं ??यदि पेड़ प्रिय है, तो उपाय करते हैं;क्या फिर, उसके तने, डालियों, पत्तों का इलाज करते हैं ??या, उसकी जड़ों पर काम करते हैं;चलो इसकी बात करते हैं, इस दिशा में कार्य करते

5

दोराहा

28 नवम्बर 2018
0
1
0

- = + = दोराहा - = + =हर क्षण, नया क्षण, सदा साथ लाता है दोराहा हर क्षण, नया क्षण, सदा साथ लाता है दोराहा;भटकन से भरा, स्थायित्व से भरा होता है दोराहा। जिसे जो राह चलन

6

नजरिया और जीवन

2 दिसम्बर 2018
0
3
0

भूमिका : हम देखते हैं, पाते हैं कि अलग अलग व्यक्ति अलग अलग ढ़ंग से, अपने अपने ढ़ंग से ही जीवन जी रहे हैं। बहुत मौटे तौर पर, हम इसको 3 श्रेणी में रख सकते हैं या 3 संभावनाओं के रूप में देख सकते हैं। हरेक के जीवन में हर प्रकार के क्षण आते हैं, उतार चढ़ाव आते हैं, पर कुल मि

7

जीवन यात्रा

4 दिसम्बर 2018
0
1
0

जीवन यात्रा कदम कदम, जिन्दगी बढ़ती रहती, आगे की ओर;बचपन से जवानी, जवानी से बुढ़ापे की ओर।. . . . जवानी से बुढ़ापे की ओर।। जीवन में आते हैं, कुछ ऐसे क्षण;शादी, सेवनिवृत्ती हैं, कुछ ऐसे ही क्षण। जब बदल जाती है जिंदगी, एकदम से;. . . . एकदम से;सिर्फ एक कदम च

8

अनुभव : एक निज सेतु

7 दिसम्बर 2018
0
2
0

II अनुभव : एक निज सेतु IIहमारा निज अनुभव, मनोभाव के स्तर पर, हमें बतलाता है कि भविष्य में स्वयं के अंदर कैसे भाव उभरेंगे ? अंदर के भावों की द्रष्टि से, निज अनुभव हमारे स्वयं के लिए हमारे स्वयं के वर्तमान से निकलते हुये भविष्य की झलक

9

आगे क्या होगा ? ( मनन - 1 )

17 दिसम्बर 2018
0
1
1

" आगे क्या होगा " -- हम क्यों मानकर चलें कि आगे बुरा ही होगा : प्रस्तावना, भूमिका क्या हमें पता होता है कि भविष्य में क्या क्या होने वाला है ??पर दिन-प्रतिदिन के जीवन में हमें यदा-कदा अनुभव होता है कि हम मानकर चलने लगतें हैं "आगे बुर

10

ज्ञान की ओर - ( मनन - 2 )

18 दिसम्बर 2018
0
1
1

** ज्ञान की ओर - ( मनन - 2 ) **हम ज्ञान की ओर तभी बढ़ेंगे;जब हमें जानने की इच्छा हो;उत्सुकता हो;हमारे स्वयं के निज ज्ञान में क्या है या क्या नहीं है कि स्पष्टता हो;हमारे स्वयं के निज अनुभव में क्या आया है या क्या नहीं आया है कि स्पष्टता हो। एक उदाहरण लेलें, तो बात औ

11

विश्वास, अविश्वास, और विज्ञान मार्ग गाथा ( मनन - 3 )

19 दिसम्बर 2018
0
1
1

* विश्वास,अविश्वास,और विज्ञान मार्ग गाथा * ( मनन - 3 )विश्वास-मार्ग,अविश्वास-मार्ग,और विज्ञान-मार्ग की यह गाथा है;जानना है, क्या हैं इनको करने के आधार-मार्ग, और समझना इनकी गाथा है।01।बिना जाने ही स्वीकार कर लेना *व

12

साधना - - दिनचर्या के कार्यों के साथ - साथ

25 दिसम्बर 2018
0
1
0

^^^^^ साधना - - दिनचर्या के कार्यों के साथ - साथ ^^^^^ ()साधना, जिसके लिए अलग समय देने की आवश्यकता नहीं;ऐसी साधना की बात करें। साधना, जो दिन प्रतिदिन के कार्यों को करते हुए की जा सके;ऐसी साधना की बात करें।। स्वयं से जुड़े रहना;होश में बने रहना;बड़ी उपलब्धियां हैं;उन्हे

---

किताब पढ़िए