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मुक्तक

2 दिसम्बर 2018

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वो हमारे पास जब भी आते हैं

हमारे खास हैं अहसास ये करते है

सौ -सौ दुआएं सामने सलामती की,

पीछें बर्बादी की योजना बनाते हैं


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