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झगड़ा और दुश्मनी

6 दिसम्बर 2018

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झगड़ा और दुश्मनी


यदि आपस में कुछ या गंभीर;

मनमुटाव, गलतफहमी, तकलीफ, घाटा आदि हो जाये;

और बहुत गुस्सा आ जाये;

तो भले ही छोटा झगड़ा कर लेना;

पर दुश्मनी करना नहीं।


दुश्मनी कर लेने के बाद, पछताना ही शेष रहता है;

फिर रिश्ता बचता ही नहीं;

फिर से एक हो जाने का रास्ता खुला रहता नहीं।


व्यथित न हो जायें, फिर से एक होने की संभावना शेष रहती है,

फिर से एक होना कठिन हो जाता है;

पर असंभव रहता नहीं।


आपस में फिर से एक हो जाना चाहिए;

यदि दुश्मनी का कारण शेष रहता नहीं।


आपस के प्यार का, साथ बीते अच्छे समय का, सम्मान करना;

और लम्बा झगड़ा, गंभीर झगड़ा जल्दी में शुरू करना नहीं।

यदि करना भी पड़े तो;

फिर से एक हो जाने का रास्ता खुला रखना;

सबंध की मर्यादा के बहार जाना नहीं।


आपस की दुश्मनी में भी मर्यादा पालन करना;

और परिवार, समाज, देश, मानवता, प्रकृति के विरुद्ध जाना नहीं


आपस में फिर से एक हो जाना चाहिए;

यदि दुश्मनी का कारण शेष रहता नहीं।


उदय पूना


विशेष :

मैं यहां झगड़े और दुश्मनी के शब्दों में स्पष्ट अंतर लेकर चला हूं;

मैं इसको बतला देता हूं;

आपस में झगड़ा हो जाना बड़ी बात नही;

पर दुश्मनी करना साधारण बात नहीं।


प्यार और साथ साथ रहते हुए;

झगड़ा हो सकता है;

पर दुश्मनी और प्यार एक साथ होते नहीं।


झगड़ा हुआ करता है;

आहत होने की अभिव्यक्ति, गुस्सा करना;

कुछ कठोरता से शिकायत करना;

स्वयं के साथ जो बुरा हुआ वो बतलाना;

यह सिर्फ बातों तक ही सीमित रहता है;

इसमें सामनेवाले का नुकसान करना समलित नहीं।


दुश्मनी में एक दूसरे के विरोध में उतर आते हैं, विरोधी बन जाते हैं;

झगड़े में एक दूसरे के विरोधी बनते नहीं।


दुश्मनी में समलित है;

विधिवत, योजना बध्द तरीके से, पीछे से;

षडयंत रच छति पहुंचाना;

केवल शिकायत करने तक, शब्दों तक, यह सीमित रहता नहीं।


उदय पूना

रेणु

रेणु

बहुत बढिया आदरणीय सर - लाख टके की बात कही आपने | आज यही संकुचित मानसिकता आपसी सद्भावना की शत्रु बनी हुई है | सादर आभार और नमन |

6 दिसम्बर 2018

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रचनाएँ
SambandhPrem
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सम्बन्ध में दोनों तरफ से बंधन है, बराबरी का बंधन है. जो एक तरफा हो उसे सम्बन्ध कहते नहीं. सम्बन्ध क्या है समझने केलिय; सम्बन्ध अच्छे कैसे रखें समझने केलिय; यहां सबका, एक एक का स्वागत है. एक एक कुछ न कुछ योगदान करें.
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सम्बन्ध

6 दिसम्बर 2018
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सम्बन्ध सम्बन्ध, यानि बराबरी का बंधन, मन से स्वीकार किया जाता है;सम्बन्ध, किसी प्रकार की कोई मजबूरी नहीं। सम्बन्ध, आपसी प्यार, समझ, साझा उद्देश्य से आगे बढ़ता है;सामान्यता सम्बन्ध में कुछ भी थोपना नहीं। को

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झगड़ा और दुश्मनी

6 दिसम्बर 2018
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झगड़ा और दुश्मनीयदि आपस में कुछ या गंभीर;मनमुटाव, गलतफहमी, तकलीफ, घाटा आदि हो जाये;और बहुत गुस्सा आ जाये;तो भले ही छोटा झगड़ा कर लेना;पर दुश्मनी करना नहीं।। दुश्मनी कर लेने के बाद, पछताना ही शेष रहता है;फिर रिश्ता बचता ही नहीं; फिर से एक

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औरत - मां से पहले पत्नी थी : ( प्रश्न - उत्तर, चिंतन 1 )

20 दिसम्बर 2018
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औरत - मां से पहले पत्नी थी : ( प्रश्न - उत्तर, चिंतन 1 )आवश्यक है, अनिवार्य है मां का सम्मान;मां, बच्चे का जीवन है, क्यों न हो मां का सम्मान। इस के संबंध में कुछ चर्चा करते हैं;मां पहले पत्नी थी, पत्नी रूप में कितना था सम्मान ??मां का; समाज, व्यक्ति और संतान; करें इतना सम्मान;पहले पहले मां पत्नी थी

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प्रश्न - संतान कहां से आती है ? ( कुछ अंश ) : ( प्रश्न - उत्तर, चिंतन 2 )

21 दिसम्बर 2018
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- प्रश्न - संतान कहां से आती है ? ( कुछ अंश ) : ( प्रश्न - उत्तर, चिंतन 2 )संतान कहां से आती है ?संतान माता पिता से नहीं आती; संतान पति पत्नी के रिश्ते से आती है। समाज के नये सदस्य कहां से आते हैं ?समाज के नये सदस्य माता पिता से नहीं आते; समाज के नये सदस्य पति पत्नी के रिश्ते से आते हैं।। हम इस ब

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दूसरा तो दूसरा ही होता है

15 फरवरी 2019
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।। दूसरा तो दूसरा ही होता है।। संबंध तो वही है;जिसमें तोड़ने का विकल्प होता ही नहीं। रिश्ता तो वही है; जिसमें छोड़ने का विकल्प होता ही नहीं।।चलो बात करें, चलो कुछ बात करें;एकदम ही निजी रिश्ते की;एकदम ही अंतरंग रिश्ते की;एकदम ही पूरे पूरे व्यक्तिगत संबंध कीचलो बात करें, चलो कुछ बात करें।।( दूसरा से य

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