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भूख की आग…………

18 जनवरी 2019

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बहुत पहले की बात है किसी राज्य मे एक राजा रहता था ! राजा बहुत ही बहादुर,पराकर्मी होने के साथ-साथ घमंडी और दुष्ट प्रवृति का भी था ! उसने बहुत से राजाओं को हराकर उनके राज्य पर कब्जा कर लिया ! उसके बहादुरी और दुष्टता के किस्से दूर-दूर तक फैला हुआ था ! वो किसी भी साधु-महात्मा का कभी सत्कार नहीं करता था,बल्कि उनसे ईर्ष्या करता था !
एक बार उसने किसी राज्य पर आक्रमण किया वहाँ के राजा को बंदी बनाकर उसके राज्य पर कब्जा कर लिया ! जीत की खुशी मे उसने एक बहुत बड़ा जश्न का आयोजन किया,जिसमे उसने अन्य राज्य के राजाओं,राजकुमारों और बड़े-बड़े उद्योगपति और
ब्यापारियों को आमंत्रित किया ! उसने अपने कर्मचारियों को आदेश दिया कि जश्न मे सिर्फ़ उन्हे ही आने दिया जाए जो किसी राज्य के राजा,राजकुमार,उद्योगपति या ब्यापारी हो, अन्यथा और किसी को न आने दिया जाए ! वरना उसके साथ-साथ कर्मचारियों को भी सज़ा दी जाएगी !
उसी दिन एक महात्मा जो किसी दूर राज्य से चलकर उस राज्य मे प्रवेश किए थें ! २-३ दिनों से कुछ खाया नहीं था,भूख और प्यास से उनका बुरा हाल था ! तभी दूर वो जश्न नज़र आया उन्हे,लंबे-लंबे कदम भरते हुए वो भी उसमे शामील होने पहुँचे ! मगर राजा केकर्मचारियों ने उन्हे,अंदर जाने से मना कर दिया बोले हमारे राजा का हुक्म है कि सिर्फ़ राजा, राजकुमार, उद्योगपत्तियों और ब्यापारियों को ही अंदर जाने दिया जाए ! अन्यथा वो उसके साथ-साथ हमें भी सज़ा देंगे ! महात्मा ने बड़े अनुनय-विनय किए कर्मचारियों से,मगर वो भी क्या करें उन्हे भी तो हिदायत दी गई थी ! महात्मा वापस लौट आएँ,मगर पेट की आग उन्हे मजबूर कर रही थी, भूख की आग अब सहा नहीं जा रहा था ! और दूर से पकवान की खुश्बू उन्हे और मजबूर कर रही थी, वहाँ जाने को ! दूसरे रास्ते से कर्मचारियों से छुपते-छुपाते वो किसी तरह वहाँ पहुँच गये जहाँ पकवान खिलाया जा रहा था ! तभी किसी कर्मचारी ने उन्हे देख लिया और पकड़ के राजा के पास ले गया !
राजा ने उस महात्मा को बड़े ही घृणा भरे दृष्टि से देखते हुए, कहा तुम कैसे महात्मा हो जो थोड़ी सी भूख बर्दास्त नहीं कर पाए और चोरी से हमारे जश्न मे शामील हो गये ! तुम महात्मा नही चोर हो, और भी खरी खोटी सुनाते हुए राजा ने महात्मा को बिना खाना खिलाए ही अपने सैनिकों को आदेश दिया कि महात्मा को १०० कोडे लगाकर राज्य से बाहर कर दिया जाए !
बहुत दिनों बाद एक दिन राजा अपने सैनिकों के साथ जंगल मे शिकार खेलने गया ! घना जंगल दूर-दूर तक फैला हुआ था !
शिकार की तलाश मे राजा काफ़ी दूर निकल आया ! सैनिक भी कहीं पीछे छूट गये थें, घना जंगल था राजा रास्ता भूल गया और जंगल मे भटक गया ! काफ़ी कोशिश की राजा ने रास्ता ढूँढने की और अपने सैनिकों से मिलने की मगर नाकामयाब रहा!
जंगल मे इधर-उधर भटकते हुए राजा काफ़ी थक गया, भूख और प्यास भी लग गई थी ! राजा खाना और पानी की तलाश मे भटकता रहा,मगर नाही उसे खाने के लिए फल मिले और नाही जंगल मे कोई झरना दिख रहा था जिससे वो अपनी प्यास बुझा सके ! बुरा हाल था राजा का एक तो सफर करते-करते थक गया था,उपर से भूख और प्यास ने राजा को ब्याकुल कर दिया ! जंगल मे भटकते-भटकते रात होने लगी, तभी कहीं दूर राजा को हल्की सी रोशनी दिखाई दी ! लंबे-लंबे कदम भरते हुए राजा रोशनी के पास पहुँचा, एक छोटी सी झोपड़ी के अंदर दीपक जल रहा था ! राजा झोपड़ी के पास जाके देखा, एक महात्मा जो ध्यान मग्न थें ! राजा झोपड़ी के समीप ही मुँह के बल जमीन पे गीर गया,एक तो थका उपर से भूख और प्यास ने राजा को निर्बल बना दिया था ! राजा के गीरने की आहट सुन के महात्मा का ध्यान टूटा, बाहर आकर देखा झोपड़ी के समीप कोई इंसान अधमरा सा मुँह के बल जमीन पर गीरा पड़ा है ! महात्मा अंदर से जल लेकर आए और राजा के मुँह पे छींटे मारा, राजा होश मे आया और उनके हाथ से जल का पात्र छीन सारा जल एक ही घूँट मे पी गया !
महात्मा ने उससे पूछा…. कौन हो आप और इतनी रात गये इस जंगल मे क्या कर रहे हो ! राजा महात्मा के चरणों मे गीरते हुए बोला हे महात्मा पहले आप मुझे कुछ खाना खिलाए मैं भूख से मरा जा रहा हूँ ! उसके बाद मैं आपको सारा वृतांत बताउँगा ! महात्मा ने कहा….पहनावा और कमर की तलवार बता रही है कि आप कहीं के राजा हो, अभी मेरे पास कुछ विशिष्ट तो नहीं है आपको खिलाने के लिए ! हाँ ये (एक पात्र जिसमे कुछ फल रखे हुए थे,उसकी तरफ इशारा करते हुए बोले) कुछ फल पड़े हुए हैं जिसे बंदरों ने जूठा कर दिया है, अगर आप चाहे तो…..अभी महात्मा ने अपनी बात पूरी भी नहीं की थी, राजा उठा और फल का पात्र उठा के सारा फल खा गया,पानी पी के वहीं जमीन पर लेट गया ! महात्मा ने कहा हे राजन अगर आप चाहों तो झोपड़ी मे विश्राम कर सकते हो ! राजा ने का नहीं महात्मा आज मुझे सच्ची भूख उन फलों मे और गहरी नींद का एहसास इस जमीन पे हो रहा है ! और राजा वहीं जमीन पर सो गया !
सुबह महात्मा ने राजा को उठाते हुए कहा..हे राजन उठो सुबह हो गया, चलो झरने के शीतल जल मे स्नान कर के कुछ ताजे फल ख़ालो ! राजा ने जैसे ही आँखे खोली सामने महात्मा का चेहरा देख के हत्‍ताश सा हो गया और उनके चरण पकड़ के क्षमा माँगने लगा ! हे महात्मा क्षमा कर दीजिए हमें, हमने आपके साथ बड़ा ही दुष्ट ब्यवहार किया था, हमसे बहुत बड़ा पाप हो था उस दिन हमें क्षमा करें, हे महात्मा ! हमने आपको बीना भोजन कराए, और १०० कोडे की सजा देकर अपने राज्य से निकाला था, मैं बहुत बड़ा पापी हूँ, हे महात्मा मुझे क्षमा करें ! भूख और प्यास की आग क्या होती है, ये मुझे कल पता चला, मुझे क्षमा करें हे महात्मा, राजा घंटों तक महात्मा के चरणों से लिपटा क्षमा माँगता रहा !
महात्मा ने कहा हे राजन मेरे मन मे तुम्हारे लिए कोई द्वेष या क्रोध नहीं है ! मैने तो तुम्हे उसी दिन क्षमा कर दिया था !
महात्मा ने राजा को झरने के शीतल जल मे स्नान करा कर कुछ ताजे फल दिए खाने को, राजा फल खा रहा था , तब तक राजा के सैनिक भी राजा को ढूंढते हुए वहाँ पहुँच चुके ! राजा ने सैकड़ो बार महात्मा को अपने राज्य चलने को कहा, पर महात्मा ने मना करते हुए कहा… हे राजन आज तो नहीं मगर फिर कभी ज़रूर आउँगा आपका अतिथ्या स्वीकार करने !
राजा ने महात्मा से विदा लेते हुए अपने किए हुए दुष्ट ब्यव्हार का फिर से क्षमा माँगा और अपने सैनिकों के साथ अपने राज्य वापस लौट आया !

फिर उसके राज्य के लोगों ने जिस राजा को देखा ये राजा वो राजा नहीं था, जिसमे घमंड और दुष्टता भरा हुआ था ! जो साधु-महात्मा का सत्कार नहीं करता और उनसे ईर्ष्या करता था ! बल्कि उस राजा को देखा जो नम्रता और अपने प्रजा के साथ अच्छा ब्यव्हार करता और साधु-महात्माओं का सत्कार और उनकी इज़्ज़त करता !
…………………………………………………....ख़त्म…..……………………………………………
………………………………………...लेखक- इंदर भोले नाथ………………….…………………..
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कहीं डूबा है कोई यादों मे…

23 जून 2016
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कहीं जख्म है नासूर बनें,कहीं समंदर बसा है आँखों मे,कहीं तन्हा हुआ सा है कोई,कहीं सुलग रहा कोई रातों मे…कुछ इस क़दर बेताब हुए, दीवानें राह-ए-उल्फ़त मे,कहीं जीना कोई भूल बैठा, तो कहीं डूबा है कोई यादों मे……इंदर भोले नाथ…http://merealfaazinder.blogspot.in/

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वो बूढ़ी औरत...

24 जून 2016
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रोज सुबह ड्यूटी पे जाना रोज शाम लौट के रूम पे आना,ये रूटीन सा बन गया था, मोहन के लिये ! हालाँकि रूम से फैक्ट्री ज़्यादा दूर नहीं था, तकरीबन१०-१५ मिनट का रास्ता है ! मोहन उत्तर प्रदेश का रहने वाला है,करीब २ सालों से यहाँ (नोएडा) मे एक प्राइवेट फैक्ट्री मे काम कर रहा है ! रोज सुबह ड्यूटी पे जाना,शाम क

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हमें रुलाना नहीं भूली...

25 जून 2016
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अरसा गुजर गये हमेंमुस्कराना भूले हुएहै ज़िंदगी अजीब तूँहमें रुलाना नहीं भूली…इंदर भोले नाथ…http://merealfaazinder.blogspot.in/

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मेरे लाल

30 जून 2016
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फूलों पे बैठेभौंरे गुनगुनानेलगे हैं..तितलियों केपंख भी अबलहराने लगे हैं..देखो वक़्तकितना निकलचुका है..उठो मेरे लालदिन निकलचुका है..देखो ठंडी हवाभी खिड़कियोंसे आने लगी है….गुदगुदा के वोभी तुम्हे उठानेलगी है…देखो तो सबकुछ कितनाबदल चुका है..उठो मेरे लालदिन निकलचुका है..हर जगहकितनी रौनकहै आ गई…..आसमान स

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“सिगरेट……( Cigarette)

30 जून 2016
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सारी रात मैं सुलगता रहा,वो मेरे साथ जलता रहामैं सुलग-सुलग केघुटता रहा,वो जल-जलके, ऐश-ट्रे मे गिरता रहा,गमों से तड़प के मैंहर बार सुलगता रहान जाने वो किस गममे हर बार जलता रहामैं अपनी सुलगन कोउसकी धुएँ मे उछालतारहा, वो हर बार अपनीजलन को ऐश-ट्रेमे डालता रहा,घंटों तलक ये सिलसिलाबस यूँ ही चलता रहामैं हर

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हैं वो ना-समझ “भगवन”

30 जून 2016
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हैं वो ना-समझ “भगवन”जो तुझे पैसों से रिझावे हैं,दुआ करोड़ों की माँगे,चन्द सिक्के चढ़ावे हैं…जिसे ज़रूरत है रोटी की,उसे पानी न पिलावे हैं,जो बना है पत्थरों का, उसे मेवा खिलावे हैं…... इंदर भोले नाथ…

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ख़ौफज़दा दिल…

30 जून 2016
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बड़ा ही ख़ौफज़दा है दिल,इन फरेबी हुक्मरानों से,हयात-ए-आबरू लूटते देखा,अपने ही पासबानों से……इंदर भोले नाथ…ख़ौफज़दा-डरा हुआफरेबी- झूठाहुक्मरानों- नियम बनाने वालेहयात- जीवनआबरू- मर्यादापासबानों- रक्षक-चौकीदार

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वही अपने सारे हैं......!!

2 जुलाई 2016
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चाँद भी वही तारे भी वही..!वही आसमाँ के नज़ारे हैं...!!बस नही तो वो "ज़िंदगी"..!जो "बचपन" मे जिया करते थे...!!वही सडकें वही गलियाँ..!वही मकान सारे हैं.......!!खेत वही खलिहान वही..!बागीचों के वही नज़ारे हैं...!!बस नही तो वो "ज़िंदगी"..!जो "बचपन" मे जिया करते थे...!!... इंदर भोले नाथ…

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"हरिया"

2 जुलाई 2016
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"हरिया"एक बूढ़ी दादी दरवाजे से बाहर आई, और रोते हुए मंगरू से बोली, बेटा तुम्हे लड़का हुआ है ! पर बेटा तोहार मेहरारू बसमतिया इस दुनिया से चल बसी, अब इस अभागे का जो है सो तुम्ही हो ! बेचारी इतने सालों से एक औलाद के लिए तरसती रही, इतने सालों बाद भगवान ने उसकी इच्छा पूरी की, तो बेचारी उसकी सकल देखे बिना

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जिसका नाम हिन्दुस्तान है…

11 जनवरी 2019
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हर तरफ है, मचा कोहराम,है बिखरा, टुकड़ों मे आवाम,है कहीं,नेताओं की मनमानी,सत्ता को समझे पुस्तानी…जिसे चुना, खुद को बचाने को,है वो तैयार, हमें मिटाने को…लड़ता रहा,जो सत्य के लिए,उसका कोई ज़िक्र नहीं…खुदा ढूंढते

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वही अपने सारे हैं......!!

17 जनवरी 2019
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चाँद भी वही तारे भी वही..!वही आसमाँ के नज़ारे हैं...!!बस नही तो वो "ज़िंदगी"..!जो "बचपन" मे जिया करते थे...!!वही सडकें वही गलियाँ..!वही मकान सारे हैं.......!!खेत वही खलिहान वही..!बागीचों के वही नज़ारे हैं...!!बस नही तो वो "ज़िंदगी"..!जो "बचपन" मे जिया करते थे...!!#मेरे_अल

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हे कान्हा....

17 जनवरी 2019
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हे कान्हा...अश्रु तरस रहें, निस दिन आँखों से बरस रहें,कब से आस लगाए बैठे हैं, एक दरश दिखाने आ जाते...बरसों से प्यासी नैनों की, प्यास बुझाने आ जाते...बृंदावन की गलियों मे, फिर रास रचाने आ जाते...राधा को दिल मे रख कर के, गोपियों संग रास रचा जाते...कहे दुखियारी मीरा तोह से,

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"9:45 की लोकल"

17 जनवरी 2019
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ऑटो स्टैंड से दौड़ता हुआ , मैं जैसे ही रेलवे स्टेशन पहुँचा, पता चला 9:45 की लोकल जा चुकी है !मेरे घर से तकरीबन 9 .कि.मि. दूर पर है रेलवे स्टेशन, छोटा सा स्टेशन है,लोकल ट्रेन के अलावा 1-2 एक्शप्रेस ट्रेन की भी स्टोपीज़ है, मैं स्टेशन मास्टर के पास गया और पूछा सर बनारस के लिए कोई ट्रेन है ! स्ट

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"9:45 की लोकल"

17 जनवरी 2019
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ऑटो स्टैंड से दौड़ता हुआ , मैं जैसे ही रेलवे स्टेशन पहुँचा, पता चला 9:45 की लोकल जा चुकी है !मेरे घर से तकरीबन 9 .कि.मि. दूर पर है रेलवे स्टेशन, छोटा सा स्टेशन है,लोकल ट्रेन के अलावा 1-2 एक्शप्रेस ट्रेन की भी स्टोपीज़ है, मैं स्टेशन मास्टर के पास गया और पूछा सर बनारस के लिए कोई ट्रेन है ! स्टेशन मास

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"सिगरेट......( Cigarette)

17 जनवरी 2019
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सारी रात मैं सुलगता रहा,वो मेरे साथ जलता रहामैं सुलग-सुलग के घुटता रहा,वो जल-जलके, ऐश-ट्रे मे गिरता रहा,गमों से तड़प के मैंहर बार सुलगता रहान जाने वो किस गममे हर बार जलता रहामैं अपनी सुलगन कोउसकी धुएँ मे उछालतारहा, वो हर बार अपनीजलन को ऐश-ट्रेमे डालता रहा,घंटों तलक ये सिलसि

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वो बूढ़ी औरत…..

18 जनवरी 2019
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रोज सुबह ड्यूटी पे जाना रोज शाम लौट के रूम पे आना,ये रूटीन सा बन गया था, मोहन के लिये ! हालाँकि रूम से फैक्ट्री ज़्यादा दूर नहीं था, तकरीबन१०-१५ मिनट का रास्ता है ! मोहन उत्तर प्रदेश का रहने वाला है,करीब २ सालों से यहाँ (नोएडा) मे एक प्राइवेट फैक्ट्री मे काम कर रहा है ! र

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बता ऐ-दिल-ए-नादां तुझे हुआ क्या है...

18 जनवरी 2019
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क्यूँ उदास हुआ खुद से है तूँ कहीं भटका हुआ सा है,न जाने किन ख्यालों मे हर-पल उलझा हूआ सा है,बता ऐ-दिल-ए-नादां तुझे हुआ क्या हैखोया-खोया सा रहता है अपनी ही दुनिया मे,गुज़री हुई यादों मे वहीं ठहरा हुआ सा है,बता ऐ-दिल-ए-नादां तुझे हुआ क्या हैशीशा-ए-ख्वाब तो टूटा नहीं तेरे हा

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वो-प्यार याद आया...

18 जनवरी 2019
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गुजरें जो गली से उसके,वो-दीदार याद आया पलते नफ़रतों के दरमियाँ,वो-प्यार याद आया आँखों से मिलने का वो इशारा करना उसका फिर करना तन्हा मेरा,वो इंतेजार याद आया शिकवे लिये लबों पे,बेचैन वो होना मेरा फिर चुपके से लिपट के उसका,वो इज़हार याद आया मिल के उससे दिल का,वो फूल सा खिल जा

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बसंत का मौसम

18 जनवरी 2019
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है महका हुआ गुलाब खिला हुआ कंवल है,हर दिल मे है उमंगेहर लब पे ग़ज़ल है,ठंडी-शीतल बहे ब्यार मौसम गया बदल है,हर डाल ओढ़ा नई चादर हर कली गई मचल है,प्रकृति भी हर्षित हुआ जो हुआ बसंत का आगमन है,चूजों ने भरी उड़ान जो गये पर नये निकल है,है हर गाँव

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“अब भी आता है”

18 जनवरी 2019
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ज़रा टूटा हुआ है,मगर बिखरा नहीं है ये,वफ़ा निभाने का हुनर इस दिल को अब भी आता है…तूँ भूल जाए हमे ये मुमकिन है लेकिन,हर शाम मेरे लब पे तेरा ज़िक्र अब भी आता है…हज़ारों फूल सजे होंगे महफ़िल मे तेरे लेकिन,मेरे किताबों मे सूखे उस गुलाब से खुश्बू

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भूख की आग…………

18 जनवरी 2019
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बहुत पहले की बात है किसी राज्य मे एक राजा रहता था ! राजा बहुत ही बहादुर,पराकर्मी होने के साथ-साथ घमंडी और दुष्ट प्रवृति का भी था ! उसने बहुत से राजाओं को हराकर उनके राज्य पर कब्जा कर लिया ! उसके बहादुरी और दुष्टता के किस्से दूर-दूर तक फैला हुआ था ! वो किसी भी साधु-महात्मा

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आँखों को जो उसका दीदार हो जाए

18 जनवरी 2019
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आँखों को जो उसका दीदार हो जाएमेरा सफ़र भी मुकम्मल यार हो जाएमैं भी हज़ारों ग़ज़ल लिखता उसपेकाश..हमें भी किसी से प्यार हो जाए==========================……......इंदर भोले नाथ…...……...

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ढूंढता फिर रहा खुद को...

18 जनवरी 2019
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कहीं गुम-सा हो गया हूँ मैं क़िस्सों और अफ़सानों मे…ढूंढता फिर रहा खुद को महफ़िलों और वीरानों मे…कभी डूबा रहा गम मे कभी खुशियों का मेला है…सफ़र है काफिलों के संग पाया खुद को अकेला है…प्यालों मे ढलते,देखा कभी कभी मीला मयखानों मे…..ढूंढता फिर रहा खुद को महफ़िलों और वीरानों म

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चूहों ने जब हिम्मत बनाई ,

18 जनवरी 2019
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चूहों ने जब हिम्मत बनाई ,बिल्ली को मार भगाने की…तब बिल्ली ने ढोंग रचाई,की तैयारी हज को जाने की…———————————-Acct- इंदर भोले नाथ…२१/०१/२०१६….

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खेदारु…. एक छोटी सी कहानी….

18 जनवरी 2019
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गंगा नदी के तट से कुछ दूर पे एक छोटा सा गाँव (चांदपुर) बसा है ! जो उत्तर प्रदेश के बलिया जिले मे स्थिति है,उस गाँव मे (स्वामी खपड़िया बाबा ) नाम का एक आश्रम है, जहाँ बहुत से साधु-महात्मा रहते हैं !उन दिनों गर्मियों का मौसम था, एक महात्मा आए हुए थें ! जिनका नाम स्वामी हरिह

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जब हम बिखर गयें…

18 जनवरी 2019
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बिखरे हुए ल्फ्ज़,अल्फाज़ों मे निखर गयें,निखरे मेरे-अल्फ़ाज़,जब हम बिखर गयें…——————————————————–Acct-इंदर भोले नाथ…08/02/2016

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पर अब है,इतना वक़्त कहाँ...

18 जनवरी 2019
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पर अब है,इतना वक़्त कहाँ...फिर लौट चलूं मैं,”बचपन” मे,पर अब है,इतना वक़्त कहाँ…खेलूँ फिर से,उस “आँगन” मे,पर अब है,इतना वक़्त कहाँ…क्या दिन थें वो,ख्वाबों जैसे,क्या ठाट थें वो,नवाबों जैसे…फिर लौट चलूं,उस “भोलेपन” मे,पर अब है,इतना वक़्त कहाँ…

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कुछ तो बहेका होगा,

18 जनवरी 2019
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कुछ तो बहेका होगा,रब भी तुझे बनाने मे…सौ मरतबा टूटा होगा,ख्वाहिशों को दबाने मे…!!आँखों मे है नशीलापन,लगे प्याले-ज़ाम हो जैसे…गालों पे है रंगत छाई,जुल्फ घनेरी शाम हो जैसे…सूरज से मिली हो लाली,शायद,लबों को सजाने मे…कुछ तो बहेका होगा,रब भी तुझे बनाने मे…!!मलिका हुस्न की हो या,हो कोई अप्सरा तुम…जो भी हो

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लम्हा तो चुरा लूँ…

18 जनवरी 2019
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उन गुज़रे हुए पलों से,इक लम्हा तो चुरा लूँ…इन खामोश निगाहों मे,कुछ सपने तो सज़ा लूँ…अरसा गुजर गये हैं,लबों को मुस्काराए हुए…सालों बीत गये “.ज़िंदगी”,तेरा दीदार किये हुए…खो गया है जो बचपन,उसे पास तो बुला लूँ…उन गुज़रे हुए पलों से,इक लम्हा तो चुरा लूँ…जी रहे हैं,हम मगर,जिंदगी

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बरसों बाद लौटें हम...

18 जनवरी 2019
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बरसों बाद लौटें हम,जब उस,खंडहर से बिराने मे…जहाँ मीली थी बेसुमार,खुशियाँ,हमें किसी जमाने मे…कभी रौनके छाई थी जहाँ,आज वो बदल सा गया है…जो कभी खिला-खिला सा था,आज वो ढल सा गया है…लगे बरसों से किसी के,आने का उसे इंतेजार हो…न जाने कब से वो किसी,से मिलने को बेकरार हो…अकेला सा प

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वो पहला खत मेरा "तेरे नाम का"..........

18 जनवरी 2019
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वो पहला खत मेरा "तेरे नाम का"..........वो पहला खत मेरा “तेरे नाम का”……….मेरी प्यारी (******)हर वक़्त हमें तेरी मौजूदगी का एहसास क्यूँ है,जब याद करता दिल तुझे, तूँ पास क्यूँ है…ये क्या है क्यूँ है,कुछ समझ नहीं आता,तेरे न होने से आज दिल उदास क्यूँ है…कल तेरे न आने से,मैं सा

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कुछ पल और रुक ए -ज़िंदगी

18 जनवरी 2019
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यादों के पन्ने से…..

18 जनवरी 2019
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यादों के पन्ने से…..हर शाम….नई सुबह का इंतेजारहर सुबह….वो ममता का दुलारना ख्वाहिश,ना आरज़ूना किसी आस पेज़िंदगी गुजरती थी…हर बात….पे वो जिद्द अपनीमिलने की….वो उम्मीद अपनीथा वक़्त हमारी मुठ्ठी मेमर्ज़ी के बादशाह थे हमथें लड़ते भी,थें रूठते भीफिर भी बे-गुनाह थें हमवो सादगी क

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वो यादें..................

20 जनवरी 2019
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कागज़ की कश्ती बनाके समंदर में उतारा था हमने भी कभी ज़िंदगी बादशाहों सा गुजारा था,बर्तन में पानी रख के ,बैठ घंटों उसे निहारा था फ़लक के चाँद को जब

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"वो रिक्शा वाला"

21 जनवरी 2019
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"वो रिक्शा वाला" "साहेब मुझे छोड़ दो साहेब" "साहेब मुझे छोड़ दो साहेब" बार-बार यही फरियाद करता रहा, वो रिक्शा वाला थानेदार "साहेब" से........... "साहेब मुझे छोड़ दो साहेब" मैं बहुत ही ग़रीब आदमी हूँ "साहेब" माँ-बाप ने जैसे-तैसे क़र्ज़ लेकर

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"हरिया"-एक सच्चाई

21 जनवरी 2019
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"हरिया"-एक सच्चाई एक बूढ़ी दादी दरवाजे से बाहर आई, और रोते हुए मंगरू से बोली, बेटा तुम्हे लड़का हुआ है ! पर बेटा तोहार मेहरारू बसमतिया इस दुनिया से चल बसी, अब इस अभागे का जो है सो तुम्ही हो ! बेचारी इतने सालों से एक औलाद के लिए तरसती रही, इतने सालों बाद भगवान ने उसकी इच्छ

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मेरी शायरी

27 जनवरी 2019
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मैं बह गया क़तरा क़तरा, मैं टुटा जा़र जा़र सा, ये मेरी वफ़ा का ईनाम है, तेरी बेवफाई वजह नहीं...

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देश के खास मंदिर

30 जनवरी 2019
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करणी माता मंदिर इस मंदिर को चूहों वाली माता का मंदिर, चूहों वाला मंदिर और मूषक मंदिर भी कहा जाता है, जो राजस्थान के बीकानेर से 30 किलोमीटर दूर देशनोक शहर में स्थित है। करनी माता इस मंदिर की अधिष्ठात्री देवी हैं, जिनकी छत्रछाया में चूहों का साम्राज्य स्थापित है। इन चूहों में

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गज़ल

7 फरवरी 2019
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जीन्हे भुलने में है.....हमने उम्र गुजारी काश़ हम उन्हें दो वक्त याद आये तो होतें बहाया अश्कों का सागर यादों में जिनके काश़ वो आंसुओं के दो बूंद बहाये तो होतें जीन्हे भुलने में है.....हमने उम्र गुजारी काश़ हम उन्हें दो वक्त याद आये तो होतें

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गज़ल

9 फरवरी 2019
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जीना मुश्किल था कभी जिनका हमारे बीनाआज कल उनके लिए हम बेकार हो गये हैं,हमें देख कर कल निगाहें झुका लीगैरों के लिए आज तैयार हो गये हैं,आज कल उनके लिए हम बेकार हो गये हैं,वो वो नहीं रहें अब जो छूई मूई सा लगा थाआशियाने से निकल कर बाजार हो गये हैं,जो सहेम जाते थें रुह तक,देखकर काफिलामहफ़िलों में आज कल व

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दर्द

15 फरवरी 2019
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यह बात तमाचे कि नहीं जो बापू सा अहिंसावाद रहें वो खून की होली खेल रहें और हम निराशावाद रहें उतर के देखो सियासत से कभी उस घर में कितनी मातम है वो दर्द रूह को छलनी कर दे वो जख्म सालों बाद रहे क्यों मौन साधे यूं बैठे हो फिर तांडव का आगाज करो उन्होंने 40 मारे हैं तुम 400 का शिकार करो नदियां बहा दो खून क

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ग़ज़ल

8 जुलाई 2019
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फन्ना हुई कस्ती मेरी,मेरे आसूओं मे डूबकर,कुछ इस क़दर इश्क़ में रुलाया गया हूँ मैं...https://merealfaazinder.blogspot.com/2019/07/blog-post_73.html

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"गुलज़ार गली" Part-1

8 जुलाई 2019
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"गुलज़ार गली" भाग-१ hindi poem"तुम्हे जाना तो खुद पे हमें तरस आ गया,तमाम उम्र यूँही हम खुद को कोसते रहें"............"गुलज़ार गली" यही नाम था उस गली का....मैने कभी देखा नहीं था बस सुना था, हर किसी के ज़ुबान पे बस उसी गली की चर्चा रहती "गुलज़ार गली" |तकरीबन डेढ़ महीन

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शायरी

26 जुलाई 2019
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नई ज़िंदगी मिल जाती है, उस रोज मैखाने में,आब-ए-चश्म छलक जाते हैं जिस रोज पैमाने में........इंदर भोले नाथ

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वो जून कि गर्मी, वो पीपल का साया

3 अगस्त 2019
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वो जून कि गर्मी, वो पीपल का सायावो यारों की टोली, वो रिश्तों का मायावो मिट्टी का घरौंदा, वो खपरैलों का छतलिए सोंधी सी खुश्बू, वो काग़ज़ का ख़त https://merealfaazinder.blogspot.com/2019/08/blog-post_3.html

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