किसी के प्रेम की देखो राह अब भी मैं तकता हूँ
मेरी उम्मीदें टूटी हैं मगर फिर भी ना थकता हूँ
मेरे दिल में ज़रा झांको जख्म अब ही हरे होंगे
बड़ी शिद्दत से मैं उनको गैर लोगों से ढकता हूँ
मुहब्बत की प्यास मेरी ना मिटने पाई है अब तक
एक दो जाम पीने से फ़कत मैं तो ना छकता हूँ
मेरे दिल का दर्द देखो यूँ ही कम हो ना पाएगा
काश कोई मुझे कह दे मैं सीने में धड़कता हूँ
अगर कर्मों के फल से ही मिला करती हैं सौगातें
कोई तो राज़ है मधुकर जो इतना मैं भटकता हूँ