बदलती जीवनशैली में व्यक्ति की जिस तरह की खान-पान की आदतों में बदलाव आया है, उसके कारण पाचनतंत्र कमजोर होता जा रहा है। आज के समय में अधिकतर लोग किसी न किसी पेट की समस्या से जूझ रहे हैं। इन्हीं में से एक है कब्ज। खराब व अनहेल्दी भोजन, व्यस्त जीवनशैली और तनाव के चलते कब्ज की समस्या बढ़ जाती है। ऐसे में जरूरी नहीं है कि दवाईयों का ही सेवन किया जाए। योगासन भी कब्ज की समस्या को दूर करने में सहायक है। योगासन डाइजेस्टिव सिस्टम को तो बेहतर बनाता है ही, साथ ही तनाव को भी कम करता है। ऐसे में कब्ज से निजात पाना आसान हो जाता है। तो चलिए जानते हैं कब्ज को दूर करने में प्रभावी कुछ योगासनों के बारे में-
उत्तानपादासन
यह आसन कब्ज के लिए प्रभावी माना गया है क्योंकि इसके अभ्यास के दौरान पेट के निचले हिस्से से लेकर नाभि तक खिंचाव का अहसास होता है। ऐसे में यह पेट की समस्याओं को दूर करने में बेहद प्रभावी होता है। इस आसन का अभ्यास करने के लिए सबसे पहले पेट के बल लेट जाएं और गहरी सांस लें। अब दोनों पैरों को मिलाएं और 40-60 डिग्री पर एकदम सीधा उठाएं। कुछ क्षण इस अवस्था में रूकें। ध्यान रहे कि ये करते समय आपकी मुद्रा सीधी होनी चाहिए। दोनों पैरों को ऊपर उठाते हुए सांस लें, जब पैरों को नीचे लाएं तो सांस बाहर होनी चाहिए।
पश्चिमोतानासन
पश्चिमोतानासन के जरिए भी कब्ज की समस्या को दूर किया जा सकता है। इसके अभ्यास के लिए सर्वप्रथम जमीन पर चैकड़ी लगाकर बैठें और सांस लेते हुए दोनों हाथों को ऊपर की ओर ले जाएं। अब सांस छोड़ते हुए कमर से पैरों की ओर झुकें, हाथों से तलवों को पकडें। ऐड़ियों को आगे बढ़ाएं और शरीर के ऊपरी भाग को पीछे की ओर ले जाने की कोशिश करते हुए आगे की ओर झुकें। इस क्षण इस अवस्था में बने रहें। उसके बाद पहले की अवस्था में आ जाएं।
मयूरासन
मयूरासन पाचनतंत्र को बेहतर तरीके से काम करने के लिए प्रेरित करता है। यह न सिर्फ कब्ज बल्कि पेट की अन्य समस्याओं जैसे गैस, पेट में दर्द आदि से भी राहत मिलती है। इस आसन के अभ्यास के लिए सबसे पहले आप घुटनों के बल बैठ जाएं और आगे की ओर झुके। आगे झुकते हुए दोनों हाथों की कोहनियों को मोड़कर नाभि पर लगाकर जमीन पर सटा लें। इसके बाद अपना संतुलन बनाते हुए घुटनों को धीरे-धीरे सीधा करने की कोशिश करें। अब आपका शरीर पूरी सीध में है और सिर्फ आपके हाथ जमीन से सटे हुए हैं। इस आसन को करने के लिए शरीर का संतुलन बनाए रखना जरूरी है। इसलिए इसका प्रतिदिन अभ्यास करें और किसी विशेषज्ञ की देखरेख में ही करें।
हलासन
इस आसन के अभ्यास के दौरान व्यइस आसन का अभ्यास करने के लिए सबसे पहले पीठ के बल ले जाएं। दोनों पैर पूरी तरह सीधे और एक दूसरे से सटे हुए होने चाहिए। अब एक गहरी सांस लेते हुए दोनों पैरों को एक साथ ऊपर लेकर आएं। शरीर के ऊपरी हिस्से से पहले 30 डिग्री, फिर 60, अब दोनों हाथों को कमर पर टिकाते हुए पैरों को 90 डिग्री पर लाएं। अब धीरे-धीरे सांस छोड़ते हुए पैरों को कमर से आगे चेहरे की तरफ लेकर जाएं। ध्यान रखें कि घुटने से पांव मुड़ने नहीं चाहिए। धीरे-धीरे पीछे जाते हुए पैरों को जमीन पर टिकाएं। अपनी दृष्टि नाभि या नाक पर केंद्रित रखें। कुछ क्षण इस अवस्था में रूकें। अब धीरे-धीरे श्वास लेते हुए पैरों को ऊपर उठाते हुए पूर्व रूप में आ जाएं।
मकरासन
मकरासन पेट और कमर के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। जहां एक ओर इसके अभ्यास से पाचनतंत्र संबंधी परेशानियों से निजात मिलती हैं, वहीं दूसरी ओर यह कमरदर्द को भी दूर करने में सहायक है। इस आसन के अभ्यास के लिए सबसे पहले जमीन पर पेट के बल लेट जाइए। अब दोनों हाथों की कोहनियों को मिलाते हुए हाथ मोड़िए और गाल को हथेलियों के बीच टिका लीजिए। इसके बाद दोनों पैरों को मिलाकर सांस को अंदर कीजिए, उसके बाद सांस को बाहर करते हुए दोनों कोहनियों को अंदर की तरफ खींचिए। अब धीरे-धीरे अपने पैरों, हाथों और शरीर के ऊपरी हिस्से को इस तरह ऊपर उठाएं कि आपके शरीर का सारा वजन पेट पर आ जाए। अब धीरे-धीरे पहले की पोजीशन में आ जाइए। सांस को आराम से लेते हुए पैरों को बारी-बारी घुटने से मोड़िए और फिर पहले की पोजीशन में ले जाइए। कोशिश कीजिए कि आपके पैरों की एड़ी नितंबों को छुए। इसी अवस्था में गर्दन को घुमाकर दोनों पैरों की एड़ियों को देखने का प्रयास कीजिए।
पवनमुक्तासन
इस आसन का नाम भी अपनी खूबियों के बारे में बताता है। जब व्यक्ति इस आसन का अभ्यास करता है तो उसके पेट की गैस बाहर निकलती है। साथ ही पेट के सभी अंगों पर दबाव पड़ता है, जिससे कब्ज से भी राहत मिलती है। इस आसन का अभ्यास करने के लिए सबसे पहले शवासन में लेट जाएं। इसके बाद दोनों घुटने को मोड़कर तलवे को जमीन पर टिकाएं। अब दोनों हाथों से घुटने को ऊपर से पकड़ें और सांस लेते हुए पैर के घुटनों को सीने से लगाएं और 10-20 सेकेंड तक सांस रोक कर रखें। इसके बाद घुटने को दोनों हाथों से मुक्त करें फिर सांस छोड़ते हुए पैरों को सीधा करके सामान्य स्थिति में लौट आएं। आप चाहें तो इस आसन को एक-एक पैर से भी अभ्यास कर सकते हैं।