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प्रश्न कीजिये

5 मार्च 2019

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प्रश्न कीजिए

विजय कुमार तिवारी


बच्चा जैसे ही अपने आसपास को देखना शुरु करता है उसके मन में प्रश्न कुलबुलाने लगते हैं।वह जानना चाहता है,समझना चाहता है और पूछना चाहता है।जब तक बोलने नहीं सीख जाता,व्यक्त करने नहीं सीख जाता,उसके प्रश्न संकेतों में उभरते हैं।उसे यह धरती,यह आकाश,यह प्रकृति सभी आकर्षित करते हैं।सबसे अधिक वह मनुष्यों से प्रभावित होता है क्योंकि उनमें गतिशीलता होती है।बच्चा स्वयं सक्रिय होता है,कभी चुपचाप और शान्त नहीं रहता।हमारे बच्चों से ज्यादे शीघ्रता से जानवरों के बच्चे आत्मनिर्भर होना शुरु कर देते हैं।देर होने से जीवन संकट में पड़ने का खतरा रहता है।

बच्चा जब बोलने लगता है तो खूब प्रश्न करता है,प्रश्न पर प्रश्न करता है।यह प्रश्न करना उसके विकास का आधार होता है।कहना चाहता हूँ कि हमें भी हर पल जिज्ञासु बने रहना चाहिए।जिज्ञासु होना हमारी सक्रियता और जीवंतता का प्रमाण है।जब हम जानना शुरु करते हैं तो स्वतः ही अच्छे-बुरे की पहचान होने लगती है। हमारे भीतर का विवेक जागने लगता है।आपने ध्यान दिया होगा-बच्चा कभी निराश नहीं होता,कभी हार नहीं मानता और सतत प्रयत्नशील रहता है।रोके जाने या हतोत्साहित करने पर भी उसका प्रयास जारी रहता है।

हमें भी यह गुण एक बच्चे से सीखना चाहिए।प्रश्न पूछना एक गुण है।प्रश्न वही कर सकता है जो जागृत है,सचेष्ट है और सक्रिय है।उत्थान और विकास भी उसी का होगा।यह तय है कि हम सबकुछ नहीं जानते।जानते भी हैं तो सतही तौर पर। पूर्ण समझ नहीं है।अधूरी समझ तो और भी हानिकारक है।जानने और समझने के लिए किसी जानकार,समझदार से पूछना होगा।हमारे आसपास भी लोग हैं जो बता सकते हैं।हम उन्हें पहचानते नहीं।पहचान भी लेते हैं तो उनतक पहुँच नहीं पाते। रोज भेंट होती है,रोज दुआ-सलाम भी है परन्तु हमारे भीतर वह साहस नहीं है।

प्रश्न पूछना साहस की बात है।उसकी कुछ सच्चाईयाँ है,कुछ मान्यतायें हैं।पहली बात यह है कि स्वयं को घोषित करना पड़ता है कि मैं नहीं जानता,मैं अज्ञानी हूँं।जानकार होने का दंभ सभी दिखाते हैं परन्तु कोई भी अज्ञानी नहीं दिखना चाहता। सारी समस्याओं की जड़ यही है। इससे वही निकल पाता है जिसमें साहस घटित होता है।

दूसरी बात भी कम महत्वपूर्ण नहीं है।पूछने वाले को विनम्र होना पड़ता है,झुकना पड़ता है जबकि कोई भी झुकना नहीं चाहता।एक समस्या और खड़ी हो सकती है। हम प्रश्न पूछना भी चाहें,झुकना भी चाहें और सामने खड़ा व्यक्ति मौन रह जाय,कुछ बताये ही नहीं।हो सकता है-वह तुम्हारा अनादर कर दे,तिरस्कार करे।यह भी हो सकता है कि उसे भी नहीं मालूम हो या आधा-अधूरा जानता हो। इससे निराश या दुखी होने की जरुरत नहीं है।यह बहुत बड़ी बात है कि तुम्हारे भीतर प्रश्न भी हैं और पूछने का साहस भी।

यहाँ से परमात्मा की व्यवस्था शुरु होती है। हमें और तुम्हें इतना ही करना है। हमारे भीतर प्रश्न जागना चाहिए।साथ ही वह साहस भी घटित होने लगे। तुम्हें बताने वाला खुद आ खड़ा हो जायेगा।परमात्मा ने सारी सृष्टि बनायी है और चाहता है कि सभी इसमें सुख और शान्ति से रहें।सही मार्ग दिखाने वाले भरे पड़े हैं।बस हमें अपने में थोड़ी पात्रता विकसित करनी है।

प्रश्न भी अनेक तरह के होते हैं।सामान्यतः हम इसे दो रुपों में देख सकते हैं। एक प्रश्न जो हमें संसार में जीने,रहने सीखाता है।स्कूली और विद्यालयी अकादमिक शिक्षा के लिए अनेक व्यवस्थायें बनी पड़ी हैं और लोगो का जीवन चलता रहता है।इसके लिए भीतर की जागृति की आवश्यकता नहीं है और ना भीतरी साहस की। इसके लिए पूरी जिम्मेदारी और व्यवस्था सरकार की होती है और प्रायः हर सरकारें यह दायित्व निभाती ही हैं।

मैं उन प्रश्नों की बात कर रहा हूँ जिन्हें प्रायः किसी विद्यालय में नहीं पढ़ाया जाता।इसके लिए कहीं कोई स्कूल या संस्थान नहीं है।आश्चर्य यह है कि ऐसे प्रश्नों के उत्तर सबके लिए एक नहीं होते।मूल रुप से कहूँ तो अतिशयोक्ति नहीं होगी कि हर जीवात्मा के प्रश्न सर्वथा भिन्न होते हैं,सबके उत्तर अलग-अलग होंगे।हर व्यक्ति के अपने प्रश्न हैं और उसका उत्तर उसे ही खोजना है।यह अत्यन्त जटिल भी है और सरल भी।

एक बच्चा किसी घर में जन्म लिया है तो निश्चय मानिये कि परमात्मा की किसी सुदृढ़ व्यवस्था के अधीन ही ऐसा हुआ है।हमें माता-पिता,भाई-बहन,रिश्तेदार,पड़ोसी,सहकर्मी,मित्र, शत्रु,साथ में रहने वाले जीव-जन्तु,पेड़-पौधे सभी से पुनर्मिलन की व्य्वस्था पहले से ही सुनिश्चित है।यह कर्म-प्रधान संसार की व्यवस्था के अन्तर्गत होता है।हमारा हर कर्म प्रतिफलित होता है और समय आने पर उसका फल हमेंं मिलता है।सारे दुखों और सुखों का सम्बन्ध हमारे कर्मो से है। हमारे कर्म ही हमें ऋणी बनाते हैं और समय आने पर चुकाना पड़ता है।जो हमारे ऋणी हैं वे हमें वापस करते हैं।इस व्यवस्था से कोई बच नहीं सकता है।इसलिए संसार में व्यवहार करते समय बहुत सावधान रहना चाहिए।हमारे सारे सम्बन्ध लेन-देन के हैं। जितना ऋण है,चुकाये बिना मुक्ति नहीं है।

ऐसे अति उच्चतर भावों को समझने का एक अलग ही विज्ञान है।साधारण तौर पर हम उसे अध्यात्म कहते हैं।जितनी हमारी चेतना जागृत होगी,सूक्ष्म जगत को समझ पाने की जितनी हमारी क्षमता होगी,यह रहस्य हमारे लिए सरल होता जायेगा। पूर्व जन्मों के उच्चतर संस्कार और परमात्मा की कृपा से सुअवसर बनने लगते हैं और मार्ग खुलने लगता है।

आईये, हम उस उच्चतर की खोज में लग जायें।खोज की शुरुआत हमें अपने भीतर से करनी होगी। प्रश्न खड़े होंगे और उत्तर खोजना होगा।साहस करना होगा और लग जाना होगा।

अन्त में एक बात और कहना चाहता हूँ।मैं भी बहुत कुछ पूछना चाहता हूँ। आप सभी अपने-अपने प्रश्न तैयार रखें और पूछें।विश्वास रखें-सभी के प्रश्नों के उत्तर मिलेंगे।

आज से इसे एक मंच माने और प्रश्न पूछें।इसे स्वयं पढ़ें और अच्छा लगे तो दूसरों को भी पढ़ायें।एक भी व्यक्ति के जीवन में रोशनी आती है तो हमारा-आपका प्रयास सार्थक माना जायेगा। परमात्मा तैयार बैठा है,हमारे-आपके जीवन में सुख-शान्ति देने के लिए।


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कवितास्नेह निर्झरविजय कुमार तिवारीऔर ठहरें,चाहता हूँ, चाँदनी रात में,नदी की रेत पर।कसमसाकर उमड़ पड़ती है नदी,उमड़ता है गगन मेरे साथ-साथ। पूर्णिमा की रात का है शुभारम्भ,हवा शीतल,सुगन्धित।निकल आया चाँद नभ में,पसर रही है चाँदनी मेरे आसपास,सिमट रही है पहलू में।धूमिल छवि ले रही आकर,सहमी,संकुचित लिये वयभा

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28 जनवरी 2019
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व्यंग्यगुरु और चेलाविजय कुमार तिवारीबाबा गुरुचरन दास की झोपड़ी में सदा की तरह उजाला है जबकि सारा गाँव अंधकार में डूबा रहता है।पोखरी के बगल में पे़ड के पास उनकी झोपड़ी सदा राम-नाम की गूँज से गुंजित रहती है।बाबा ने कभी इच्छा नहीं की,नहीं तो वहाँ अब तक विशाल मन्दिर बन चुका ह

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प्रेम का मौसमविजय कुमार तिवारीप्रेम का मौसम चल रहा है और बहुत से युवा,वयस्क और स्वयं को जवान मानने वाले वृद्ध खूब मस्ती में हैं।इनकी व्यस्तता देखते बनती है और इनकी दुनिया में खूब भाग-दौड़ है।प्रयास यही है कि कुछ छूट न जाय और दिल के भीतर की बातें सही ढंग से उस दिल तक पहुँच

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चुनाव 2019

10 फरवरी 2019
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चुनाव-2019विजय कुमार तिवारीहम वोट देने वाले हैं।वोट देना हमारा अधिकार है और कर्तव्य भी।यह बहुत संयम, धैर्य और विचार का विषय है।आज से पहले शायद कभी भी हमने इस तरह नहीं सोचा।चुनाव आयोग और हमारे संविधान ने इस विषय में बहुत से दिशा-निर्देश जारी किये हैं।हम सभी सामान्य वोटर को बहुत कुछ पता भी नहीं है।कई

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आत्म-बोध

15 फरवरी 2019
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पहली मुलाक़ात

21 फरवरी 2019
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कवितापहली मुलाकातविजय कुमार तिवारीयह हठ था या जीवन का कोई विराट दर्शन,या मुकुलित मन की चंचल हलचल?रवि की सुनहरी किरणें जागी,बहा मलय का मधुर मस्त सा झोंका,हुई सुवासित डाली डाली, जागी कोई मधुर कल्पना।शशि लौट चुका थानिज चन्द्रिका-पंख समेटे। उमग रहे थे भौरे फूलों कलियों में,मधुर सुनहले आलिंगन की चाह संजो

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शादी की पीड़ा

23 फरवरी 2019
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प्यार ही डसने लगा

28 फरवरी 2019
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प्यार ही डंसने लगाविजय कुमार तिवारीतुम चले गये,जिन्दगी में क्या रहा?हो गये अपने पराये,आईना छलने लगा। तुम चले गये,जिन्दगी में क्या रहा?हर हवा तूफान सी,झकझोर देती जिन्दगी,धुंध में खोया रहा,पतवार भी डुबने लगा। तुम चले गये,जिन्दगी में क्या रहा?चाँद तारे छुप गये हैं,दर्द के शैलाब में,ढल गया दिल का उजाला,

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बदलते हुए लोग

1 मार्च 2019
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प्रश्न कीजिये

5 मार्च 2019
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प्रश्न कीजिएविजय कुमार तिवारीबच्चा जैसे ही अपने आसपास को देखना शुरु करता है उसके मन में प्रश्न कुलबुलाने लगते हैं।वह जानना चाहता है,समझना चाहता है और पूछना चाहता है।जब तक बोलने नहीं सीख जाता,व्यक्त करने नहीं सीख जाता,उसके प्रश्न संकेतों में उभरते हैं।उसे यह धरती,यह आकाश,य

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विज्ञापन

22 मार्च 2019
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कविताविज्ञापनविजय कुमार तिवारीजागते ही खोजती है अखबार,झुँझलाती है-कि जल्दी क्यों नहीं दे जाता अखबार। अखबार में खोजती है-नौकरियों के विज्ञापन। पतली-पतली अंगुलियों से,एक -एक शब्द को छूती हुई,हर पंक्ति पर दृष्टि जमाये,पहुँच जाती है अंतिम शब्द तक। गहरा निःश्वांस छोड़ती है

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महत् चिंतन

4 अप्रैल 2019
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सुखी होने के उपाय

5 अप्रैल 2019
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सुखी होने के उपायविजय कुमार तिवारीसंसार में सभी सुख चाहते हैं,दुख कोई नहीं चाहता,जबकि कोई सुखी नहीं है, सभी दुखी हैं।कबीर दास जी ने कहा है कि सारा संसार दुख से भरा है।मेरा मानना है कि हमें सत्य दिखता नहीं।हम असत्य देखने के आदी हो गये हैं।हम झूठ देखते हैं और अपनी सुविधा से

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मि. ख़ का शहर

9 अप्रैल 2019
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प्रेम के भूख

5 सितम्बर 2019
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प्रेम की भूखविजय कुमार तिवारीसभी प्रेम के भूखे हैं।सभी को प्रेम चाहिए।दुखद यह है कि कोई प्रेम देना नहीं चाहता।सभी को प्रेम बिना शर्त चाहिए परन्तु प्रेम देते समय लोग नाना शर्ते लगाते हैं।प्रेम में स्वार्थ हो तो वह प्रेम नहीं है।हम सभी स्वार्थ के साथ प्रेम करते हैं।प्रेम कर

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नदी के दावेदार

28 सितम्बर 2019
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छमा करना

1 अक्टूबर 2019
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मशाल

4 अक्टूबर 2019
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करूँ-ह्रदय

11 अक्टूबर 2019
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दुःख

12 अक्टूबर 2019
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दुनिया युद्ध के महाविनाश की ओर जा रही है।यदि ऐसा हुआ तो किसी न किसी रुप में हम सभी प्रभावित होंगे।वैसे ही दुनिया में लोग अनेकानेक कारणों से दुखी हैं।हम में से बहुत लोग ऐसे हैं जिन्हे कोई न कोई दुख है।हम मिलकर उनका समाधान खोज सकते हैं और दुखों से बचाव कर सकते हैं।कम से कम हम चर्चा तो करें।कोई न कोई स

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उद्बोधन

22 नवम्बर 2019
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उद्बोधनविजय कुमार तिवारीलम्बे अन्तराल के बाद आज कुछ उद्बोधित होने की प्रेरणा जाग रही है।खिड़की से बाहर की दुनिया बड़ी मनोरम दिख रही है।आसमान नीला और शान्त है।मन भी नीरव-शान्ति की अनुभूति से ओत-प्रोत है।कौन कहता है कि हमारा जन्म दुख-भोग के लिए ही है?हमें स्वयं में डुबकी लगाने नहीं आता।हमारी सारी समस्

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ईशावास्योपनिषद के आलोक में

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ईशावास्योपनिषद के आलोक मेंविजय कुमार तिवारीवेदान्त कहे जाने वाले उपनिषदों ने भारतीय जनमानस को बहुत प्रभावित किया है और हमारी चेतना जागृत की है।आज हमारे युवा पथ-भ्रमित और विध्वंसक हो रहे हैं,उन्हें अपने धर्म-ग्रन्थों विशेष रुप से वेदान्त के रुप में जाना जाने वाले उपनिषदों को पढ़ना और उनका अनुशीलन करन

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विवेकानंद के बहाने

12 जनवरी 2020
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विवेकानन्द के बहानेविजय कुमार तिवारीस्वामी विवेकानन्द जी ने उद्घोष किया था,"उठो,जागो और तब तक नहीं रुको जब तक मंजिल प्राप्त न हो जाये।"भारत के उन्हीं महान सपूत की आज जन्म-जयन्ती है।बहुत श्रद्धा पूर्वक याद करते हुए मैं उन्हें नमन करता हूँ।आज पूरा देश उन्हें याद कर रहा है और उनके चरणो में श्रद्धा-सुमन

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निर्भया के बहाने

20 मार्च 2020
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निर्भया के बहानेविजय कुमार तिवारीअन्ततः आज २० मार्च २०२० को निर्भया के दोषियों को फांसी हो ही गयी।१६ दिसम्बर २०१२ को निर्भया के साथ दरिन्दों ने जघन्य अपराध किया था।पूरा देश उबल पड़ा था और हमारी सम्पूर्ण व्यवस्था पर नाना तरह के प्रश्न खड़े किये जा रहे थे।हमारा प्रशासन,हमारी न्याय व्यवस्था,हमारा राजनै

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जनता कर्फ्यू और हमारा देश

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जनता कर्फ्यू और हमारा देशविजय कुमार तिवारीप्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी जी के आह्वान पर आज २२ मार्च २०२० को पूरे देश ने अपनी एकता,अपना जोश और अपना मनोबल पूरी दुनिया को दिखा दिया।इस जज्बे को मैं हृदय से सादर नमन करता हूँ।राष्ट्रपति से लेकर आम नागरिकों तक ने ताली,थाली, घंटी,शंख और नगाड़े बजाकर अपना आभार

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कोरोना और स्त्री

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करोना और स्त्रीविजय कुमार तिवारीकल प्रधानमन्त्री ने देश मेंं कोरोना के चलते ईक्कीस दिनों के"लाॅकडाउन"की घोषणा की है।सभी को अपने-अपने घरों में रहना है।बाहर जाने का सवाल ही नहीं उठता।घर मेंं चौबिसों घण्टे पत्नी के साथ रह पाना,सोचकर ही मन भारी हो जाता है।किसी साधु-सन्त के पास इससे बचाव का उपाय नहीं है।

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महर्षि अरविंद का पूर्णयोग

26 मार्च 2020
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महर्षि अरविन्द का पूर्णयोगविजय कुमार तिवारीमहर्षि अरविन्द का दर्शन इस रुप में अन्य लोगोंं के चिन्तन से भिन्न है कि उन्होंने आरोहण(उर्ध्वगमन)द्वारा परमात्-प्राप्ति के उपरान्त उस विराट् सत्ता को मनुष्य में अवतरण अर्थात् उतार लाने की चर्चा की है।यह उनका एक नवीन चिन्तन है।गीता में दोनो बातें कही गयी हैं

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जिंदगी सुखद संयोगो का खेल है .

27 मार्च 2020
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कहानीजिन्दगी सुखद संयोगों का खेल है।विजय कुमार तिवारीरमणी बाबू को भगवान में बहुत श्रद्धा है।उसके मन मेंं यह बात गहरे उतर गयी है कि अच्छे दिन अवश्य आयेंगे।अक्सर वे सुहाने दिनों की कल्पना में खो जाते हैं और वर्तमान की छोटी-छोटी जरुरतों की लिस्ट बनाते रहते हैं।गाँव के लड़के स्कूल साईकिल पर जाते थे तो व

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धिक्कार है ऐसे लोगो पर

31 मार्च 2020
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धिक्कार है ऐसे लोगोंं परविजय कुमार तिवारीमन दहल उठता है।लाॅकडाउन में भी लाखों की भीड़ सड़कों पर है।भारत का प्रधानमन्त्री हाथ जोड़कर विनती करता है,आगाह करता है कि खतरा पूरी मानवजाति पर है।विकसित और सम्पन्न देश त्राहि-त्राहि कर रहे हैं।विकास और ऐश्वर्य के बावजूद वे अपनी जनता को बचा नहीं पा रहे हैं।आज

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शहर प्रयोगशाला हो गया है

1 अप्रैल 2020
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कविताशहर प्रयोगशाला हो गया हैविजय कुमार तिवारीछद्मवेष में सभी बाहर निकल आये हैंं,लिख रहे हैं इतिहास में दर्ज होनेवाली कवितायें,सुननी पड़ेगी उनकी बातेंं,देखना पड़ेगा बार-बार भोला सा चेहरा।तुमने ही उसे सिंहासन दिया है,और अपने उपर राज करने का अधिकार।दिन में वह ओढ़ता-बिछाता है तुम्हारी सभ्यता-संस्कृति,उ

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मेरे आनंद की बाते

2 अप्रैल 2020
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मेरे आनन्द की बातेंविजय कुमार तिवारीकभी-कभी सोचता हूँं कि मैं क्योंं लिखता हूँ?क्योंं दुनिया को लिखकर बताना चाहता हूँ कि मुझे क्या अच्छा लगता है?मेरी समझ से जो भी गलत दिखता है या देश-समाज के लिए हानिप्रद लगता है,क्यों लोगों को उसके बारे में आगाह करना चाहता हूँ?क्यों दुनिया को सजग,सचेत करता फिरता हूँ

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हर युग में आते है भगवान

3 अप्रैल 2020
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कविताहर युग मेंं आते हैं भगवानविजय कुमार तिवारीद्रष्टा ऋषियों ने संवारा,सजाया है यह भू-खण्ड,संजोये हैं वेद की ऋचाओं में जीवन-सूत्र,उपनिषदों ने खोलें हैं परब्रह्म तक पहुँचने के द्वार,कण-कण में चेतन है वह विराट् सत्ता।सनातन खो नहीं सकता अपना ध्येय,तिरोहित नहीं होगें हमारे पुरुषोत्तम के आदर्श,महाभारत स

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5 अप्रैल 2020 ,रात 9 बजे 9 मिनट का प्रकाश-पर्व

5 अप्रैल 2020
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5 अप्रैल 2020,रात 9 बजे,9 मिनट का प्रकाश-पर्वविजय कुमार तिवारीविश्वास करें,यह कोई सामान्य घटना घटित होने नहीं जा रही है और ना ही आज का प्रकाश-पर्व एक सामान्य प्रकाश-पर्व है।ब्रह्माण्ड की ब्रह्म-शक्ति का आह्वान हम सम्पूर्ण देशवासी प्रकाश-पर्व मनाकर करने जा रहे हैं।हमारे भीतर स्थित वह दिव्य-चेतना जागृ

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विपत्ति में ही

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विपत्ति में हीविजय कुमार तिवारीप्राचीन मुहावरा है,"विपत्ति में ही अच्छे-बुरे की पहचान होती है।"मानवता के सामने सबसे भयावह और संहारक परिस्थिति खड़ी हुई है।पूरी दुनिया बेबस और लाचार है।हमारे विकास के सारे तन्त्र धरे के धरे रह गये हैं।कुछ भी काम नहीं आ रहा है।स्थिति तो यह हो गयी है कि जो जितना विकसित ह

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हमउम्र बूढ़ों का परिवार

8 अप्रैल 2020
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कविताहमउम्र बूढ़ोंं का परिवारविजय कुमार तिवारीमैंने सजा लिया है सारे हमउम्र बूढ़ों को अपने फ्रेम में,बना लिया है मित्रों का बड़ा सा समूह। रोज देखता रहता हूँ उनके आज के चेहरे,चमक उठती है पुतलियाँजीवन्त हो उठते हैं उनसे जुडे नाना प्रसंग। मुरझाये गालों और मद्धिम रोशनी लिये आँखें,आज भी कौंंध जाता है उनक

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खूबसूरत आँखोंवाली लड़की-१

12 अप्रैल 2020
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कहानीखूबसूरत आँखोंवाली लड़की-1विजय कुमार तिवारीसालों बाद कल रात उसने ह्वाट्सअप किया,"हाय अंकल ! कहाँ हैं आजकल?"उसने अंग्रेजी अक्षरों में "प्रणाम" लिखा और प्रणाम की मुद्रा वाली हाथ जोड़ेे तस्वीर भी भेज दी।प्रमोद को सुखद आश्चर्य हुआ और हंसी भी आयी।"कैसे याद आयी अंकल की इतने सालों बाद?"प्रमोद ने यूँ ही

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खूबसूरत आँखोंवाली लड़की-२

12 अप्रैल 2020
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कहानीखूबसूरत आँखोंवाली लड़की-2विजय कुमार तिवारीप्रमोद बाबू भी इस माहौल से अछूते नहीं रहे।उनका मिलना-जुलना शुरु हो गया।कार्यालय में बहुत लोगों के काम होते जिसे बड़े ही सहृदय भाव से निबटाते और कोशिश करते कि किसी को कोई शिकायत ना हो।स्थानीय लोगों से उनकी अच्छी जान-पहचान हो गयी है।सुरक्षा बल के लोगों के

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खूबसूरत आँखोंवाली लड़की-३

13 अप्रैल 2020
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कहानीखूबसूरत आँखोंवाली लड़की-3विजय कुमार तिवारी"मैं किसी से नहीं डरता,"मोहन चन्द्र पूरी बेहयायी पर उतर आये।प्रमोद बाबू ने अपने आपको रोका।सुबह की ताजी हवा में भी गर्माहट की अनुभूति हुई और दुख हुआ।हिम्मत करके उन्होंने कहा,"मोहन चन्द्र जी,दूसरों की जिन्दगी में टांग अड़ाना ठीक नहीं है।आपकी बात सही हो तब

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खूबसूरत आँखोंवाली लड़की-४

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कहानीखूबसूरत आँखोंवाली लड़की-4विजय कुमार तिवारी"ऐसा नहीं कहते,"प्रमोद बाबू भावुक हो उठे,"इतना ही कह सकता हूँ कि तुम अपनी उर्जा इन सब चीजों में मत लगाओ।"थोड़ा रुककर उन्होंने कहा,"दुनिया ऐसी ही है,लोग कहेंगे ही।तुम्हें तय करना है कि स्वयं को इन वाहियात चीजों में उलझाती हो और अपने को बरबाद करती हो या ब

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खूबसूरत आँखोंवाली लड़की-६

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कहानीखूबसूरत आँखोंवाली लड़की-6विजय कुमार तिवारीप्रमोद बाबू दोनो महिलाओं और मोहन चन्द्र जी की भाव-भंगिमा देख दंग रह गये।सुबह दूध वाले की बातें सत्य होती प्रतीत होने लगी।उन्होंने मौन रहना ही उचित समझा।अन्दर से पत्नी भी आ गयी।मोहन चन्द्र बाबू उन दोनो महिलाओं से कुछ पूछते-बतियाते रहे।थोड़ी देर में पत्नी

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हमारी शादी की सैंतीसवी वर्षगाठ

27 अप्रैल 2020
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हमारी शादी की सैंतीसवीं वर्षगांठविजय कुमार तिवारीआज 27 अप्रैल को हम अपनी शादी की सैंतीसवीं वर्षगांठ मना रहे हैं और सम्पूर्ण मानवता को बताना चाहते हैं कि परमात्मा के आशीर्वाद से,विगत सैंतीस वर्षों से चला आ रहा हमारा अटूट सम्बन्ध पूर्णतः उर्जावान और मधुर प्रेम से भरा हुआ है।आप सभी सुहृदजनों,सखा-सम्बन

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तुम्हारे प्रेम के नाम-२

1 मई 2020
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कहानीतुम्हारे प्रेम के नाम-2विजय कुमार तिवारीदुनिया तो वही है जो सबकी होती है परन्तु मेरे लिए जैसे बिल्कुल अजनबी हो चुकी है।जो जानी-पहचानी दुनिया थी उसे मैं बहुत पीछे छोड़ आया हूँ और यह नयी जगह,नयी दुनिया जैसे मुझे आत्मसात करने को तैयार ही नहीं है।इस दृष्टि से समूची नारी जाति के प्रति मेरा मन पूरी श

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तुम्हारे प्रेम के नाम-३

3 मई 2020
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कहानीतुम्हारे प्रेम के नाम-3विजय कुमार तिवारीतुमने अनेकों बार कुरेदा है मुझे,"कैसे मैं अपने को बचाता रहा और कैसे इस मतलबी दुनिया की शातिर चालों को समझ पाया।"तुमसे खुलकर कहना चाहता हूँ,सच बयान करता हूँ कि यह कोई मुश्किल काम नहीं है।हर व्यक्ति को थोड़ा सजग रहना चाहिए।थो

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वासना गद्दारो और नशेड़ियों का देश

5 मई 2020
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वासना,गद्दारों और नशेड़ियों से भरा देशविजय कुमार तिवारीवासना,गद्दारी या नशे में डूबे रहना यह सब मनुष्य के अधःपतन का द्योतक है और आज की स्थिति देखकर लगता है कि हमारे देश में बहुतायत ऐसे ही लोग हैं।मैं मानता हूँ कि हमे निराश नहीं होना चाहिए परन्तु ये परिदृश्य कोई दूसरी कहानी तो नहीं कह रहे।कल देश में

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डा नन्द किशोर नवल जी की यादें

14 मई 2020
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डा0 नन्द किशोर नवल जी की यादेंविजय कुमार तिवारीपरमादरणीय मित्र,प्रख्यात आलोचक और साहित्यकार डा.नन्द किशोर नवल जी नहीं रहे।मेरा तबादला धनबाद से पटना हुआ था।9अप्रैल 1984 की शाम में बी,एम.दास रोड स्थित मैत्री-शान्ति भवन में प्रगतिशील लेखक संघ की ओर से"राहुल सांकृत्यायन-जयन्ती"का आयोजन था।भाई अरुण कमल,ड

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