*इस संसार में जन्म लेने के बाद मनुष्य अनेक प्रकार के घटनाक्रम से होते हुए जीवन की यात्रा पूरी करता है | कभी - कभी मनुष्य की जीवनयात्रा में ऐसा भी पड़ाव आता है कि वह किंकर्तव्यविमूढ़ सा होकर विचलित होने लगता है | यहीं पर मनुष्य यदि सत्यशील व दृढ़प्रतिज्ञ नहीं है तो वह अपने सकारात्मक मार्गों का त्याग करके नकारात्मकता की ओर अग्रसर हो जाता है | जबकि मनुष्य को किसी भी परिस्थिति में सत्य का त्याग नहीं करना चाहिए | सत्य परेशान तो हो सकता है परंतु पराजित कभी नहीं हो सकता है | जीवन में अनेकों कठिनाईयाँ सहने के बाद भी महाराज हरिश्चन्द्र ने सत्य को नहीं छोड़ा | पत्नी , पुत्र एवं स्वयं बिक तो गये परंतु सत्यमार्ग के पथिक बने ही रहे | जिसके परिणामस्वरूप आज युगों बीत जाने के बाद भी उनका नाम अमर है | इतिहास/पुराण में अनेकों ऐसे चरित्र देखने व पढ़ने को मिलते हैं जिन्होंने अनेक कठिनाईयों के बाद सत्य का त्याग नहीं किया | प्राय: लोग कहते हैं कि :- "सत्य कड़वा होता है" यह भी कहा जा सकता है | परंतु सत्य यह है कि सत्य कड़वा उसी के लिए होता है जिनके मन में पाप एवं स्वार्थ होता है | जिन्होंने किसी भी प्रकार का अपराध कर दिया हो वह सत्य को बर्दाश्त नहीं कर पाता और तिलमिला उठता है | विभीषण द्वारा लंकापति रावण को भी सत्य का दर्शन कराने का प्रयास किया गया था परंतु अपने किये अपराध , अहंकार के कारण वह सत्य को सुन न सका और तिलमिला कर विभीषण पर पदप्रहार करके निष्कासित कर दिया ! परिणामस्वरूप कुलविनाश हो गया | सत्य सर्वग्राह्य है परंतु कुछ लोग सत्य को सहन नहीं कर पाते ! कारण कि उनकी नींव ही असत्य पर आधारित होती है |* *आज के भोतिकवादी युग में यह तो नहीं कहा जा सकता कि सत्य का लोप हो गया है परंतु यह भी सत्य है कि आज सत्य के दर्शन भी दुर्लभ होते जा रहे हैं | कलियुग का प्रभाव माना जाय या फिर आज के मनुष्य की मानसिकता कि आज मनुष्य किसी को भी प्रसन्न करने के लिए असत्य का पहाड़ खड़ा कर देता है | आज कोई भी सत्य सुनना ही नहीं चाहता और न ही कोई सत्य कहना ही चाहता है | आज मुंहदेखी की राजनीति मुख्य है | वैसे यह बात तो बहुत पहले गोस्वामी तुलसीदास जी ने लिख दी थी कि :- "जो कह झूठ मसखरी नाना ! सोई ग्यानी गुनवंत बखाना !! अर्थात जो जितना ज्यादा झूठ बोल लेगा इस कलियुग में वह उतना ही बड़ा ग्यानी एवं गुणी कहा जायेगा | मैं "आचार्य अर्जुन तिवारी" देख रहा हूँ कि आज यदि किसी को उसकी कमी बता दी जाय या उसे किसी नकारात्मक कार्य के लिए रोकने का पिरयास किया जाता है तो वह तिलमिलाकर अनाप - शनाप कार्य करते हुए अनर्गल पिरलाप करने लगता है | आज समाज के पुराधाओं / विद्वानों से लेकर रीजनीतिज्ञों तक सब के सब असत्य के ऊँचे आसन पर आसीन हैं | ऐसे लोगों को यह विचार करना चाहिए कि इस प्रतिस्पर्धी युग में अपना वही है जो आपकी कमियाँ बताकर आपको सावघान करने का प्रयास करता है | यद्यपि वह जानता है कि यह सतिय स्वीकार नहीं किया जायेगा परंतु वह प्रेमवश बार बार ऐसा करता रहता है जिससे कि भविष्य में आपका अहित न हो |* *सत्य का त्याग करके कुछ क्षण के लिए आनंद तो प्राप्त किया जा सकता है परंतु दूरगामी परिणाम कभी भी सुखद नहीं हो सकता |*