सूनी थी नज़र,
ख्वाब देखना तुम सिखा गए
खामोश होठो को
मुस्कुरना सिखा गए
तन्हा कर जाने का
ग़िला क्या करे तुमसे
तन्हाई में भी खुश
रहना तुम सिखा गए |
2 अप्रैल 2019
सूनी थी नज़र,
ख्वाब देखना तुम सिखा गए
खामोश होठो को
मुस्कुरना सिखा गए
तन्हा कर जाने का
ग़िला क्या करे तुमसे
तन्हाई में भी खुश
रहना तुम सिखा गए |
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मैं एक आयुर्वेद चिकित्सक हूँ | अच्छी किताबें पढ़ना मेरा शौक है कभी कभी कुछ लिखने का मन करता है, कुछ बातें जो शायद अंतर्मन में छुपी होतीं हैं उन्हें व्यक्त करने का मन करता है," अव्यक्त को व्यक्त करने का मन करता है" | D
dhanywaad
17 मार्च 2020